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62 : 18

فَلَمَّا جَاوَزَا قَالَ لِفَتٰىهُ اٰتِنَا غَدَآءَنَا ؗ— لَقَدْ لَقِیْنَا مِنْ سَفَرِنَا هٰذَا نَصَبًا ۟

जब वे दोनों उस स्थान से आगे बढ़ गए, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने सेवक से कहा : हमें दोपहर का खाना लाओ, हम इस यात्रा से बहुत थक गए हैं। info
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63 : 18

قَالَ اَرَءَیْتَ اِذْ اَوَیْنَاۤ اِلَی الصَّخْرَةِ فَاِنِّیْ نَسِیْتُ الْحُوْتَ ؗ— وَمَاۤ اَنْسٰىنِیْهُ اِلَّا الشَّیْطٰنُ اَنْ اَذْكُرَهٗ ۚ— وَاتَّخَذَ سَبِیْلَهٗ فِی الْبَحْرِ ۖۗ— عَجَبًا ۟

युवक ने कहा : क्या आपने देखा कि जब हम चट्टान के पास ठहरे थे तब क्या हुआ था?! वास्तव में, मैं आपसे मछली की बात का उल्लेख करना भूल गया था। और मुझे आपसे उसका उल्लेख करना शैतान ही ने भुलाया था। हुआ यह कि मछली ज़िंदा हो गई और उसने आश्चर्यजनक रूप से समुद्र में अपना रास्ता बना लिया। info
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64 : 18

قَالَ ذٰلِكَ مَا كُنَّا نَبْغِ ۖۗ— فَارْتَدَّا عَلٰۤی اٰثَارِهِمَا قَصَصًا ۟ۙ

मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने सेवक से कहा : यह वही है, जो हम चाहते थे। यही तो उस नेक बंदे के स्थान की निशानी है। फिर वे दोनों अपने पैरों के निशान देखते हुए वापस हुए; ताकि राह न भटकें, यहाँ तक कि चट्टान के पास पहुँच गए और वहाँ से मछली के प्रवेश की जगह तक पहुँचे। info
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65 : 18

فَوَجَدَا عَبْدًا مِّنْ عِبَادِنَاۤ اٰتَیْنٰهُ رَحْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا وَعَلَّمْنٰهُ مِنْ لَّدُنَّا عِلْمًا ۟

जब वे दोनों मछली गुम होने के स्थान पर पहुँचे, तो हमारे एक सदाचारी बंदे को पाया (जो कि ख़ज़िर अलैहिस्सलाम थे)। हमने उसे अपने पास से दया प्रदान की थी और उसे अपनी ओर से ऐसा ज्ञान सिखाया था, जिसे लोग नहीं जानते थे। और यह कहानी उसी ज्ञान पर आधारित है। info
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66 : 18

قَالَ لَهٗ مُوْسٰی هَلْ اَتَّبِعُكَ عَلٰۤی اَنْ تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمْتَ رُشْدًا ۟

मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे विनम्रता के साथ कहा : क्या मैं इस (शर्त) पर आपका अनुसरण करूँ कि अल्लाह ने आपको जो ज्ञान सिखाया है, जो सच्चाई के लिए एक मार्गदर्शक है, उसमें से कुछ मुझे सिखा दें? info
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67 : 18

قَالَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟

ख़ज़िर अलैहिस्सलाम ने कहा : तुम मेरे ज्ञान में से जो कुछ देखोगे, उसपर हरगिज़ धैर्य नहीं रख सकोगे, क्योंकि वह तुम्हारे पास मौजूद ज्ञान से मेल नहीं खाएगा। info
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68 : 18

وَكَیْفَ تَصْبِرُ عَلٰی مَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ خُبْرًا ۟

और तुम उन कामों को देखकर कैसे धैर्य रख सकते हो, जिनके बारे में तुम्हें नहीं पता कि उसमें क्या सही है; क्योंकि तुम उनके बारे में अपने ज्ञान की मात्रा के अनुसार फ़ैसला करोगे?! info
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69 : 18

قَالَ سَتَجِدُنِیْۤ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ صَابِرًا وَّلَاۤ اَعْصِیْ لَكَ اَمْرًا ۟

मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : अगर अल्लाह ने चाहा, तो आप मुझे, मेरे द्वारा देखे गए अपने कार्यों पर धैर्य रखने वाला, आपकी आज्ञाकारिता के लिए प्रतिबद्ध पाएँगे। आप मुझे जो आदेश देंगे, मैं उसकी अवज्ञा नहीं करूँगा। info
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70 : 18

قَالَ فَاِنِ اتَّبَعْتَنِیْ فَلَا تَسْـَٔلْنِیْ عَنْ شَیْءٍ حَتّٰۤی اُحْدِثَ لَكَ مِنْهُ ذِكْرًا ۟۠

ख़ज़िर ने मूसा से कहा : यदि आप मेरा अनुसरण करते हैं, तो मुझसे उस चीज़ के बारे में मत पूछें, जो आप मुझे करते हुए देखते हैं, यहाँ तक कि मैं खुद ही उसकी वजह बताना शुरू कर दूँ। info
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71 : 18

فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَا رَكِبَا فِی السَّفِیْنَةِ خَرَقَهَا ؕ— قَالَ اَخَرَقْتَهَا لِتُغْرِقَ اَهْلَهَا ۚ— لَقَدْ جِئْتَ شَیْـًٔا اِمْرًا ۟

जब वे दोनों इस बात पर सहमत हो गए, तो समुद्र के तट की ओर चल पड़े, यहाँ तक कि एक नौका मिली, और वे दोनों ख़ज़िर के सम्मान में किराए के बिना ही उसमें सवार हो गए। लेकिन ख़ज़िर ने नौका का एक तख़्ता उखाड़कर उसे फाड़ दिया। मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : क्या आपने उस नौका को फाड़ दिया, जिसके लोगों ने हमें बिना किसी किराए के सवार किया, ताकि आप उसके सवारों को डुबो दें?! निश्चित रूप से आपने एक गंभीर काम किया है। info
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72 : 18

قَالَ اَلَمْ اَقُلْ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟

ख़ज़िर ने मूसा से कहा : क्या मैंने नहीं कहा था : तुम जो कुछ मुझसे देखोगे, उसपर मेरे साथ हरगिज़ धैर्य नहीं रख सकोगे?! info
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73 : 18

قَالَ لَا تُؤَاخِذْنِیْ بِمَا نَسِیْتُ وَلَا تُرْهِقْنِیْ مِنْ اَمْرِیْ عُسْرًا ۟

मूसा अलैहिस्सलाम ने ख़ज़िर से कहा : मेरे भूलवश आपकी प्रतिज्ञा छोड़ने के कारण आप मेरी पकड़ न करें और अपनी संगत के मामले में मुझे तंगी में न डालें और सख़्ती न करें। info
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74 : 18

فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَا لَقِیَا غُلٰمًا فَقَتَلَهٗ ۙ— قَالَ اَقَتَلْتَ نَفْسًا زَكِیَّةً بِغَیْرِ نَفْسٍ ؕ— لَقَدْ جِئْتَ شَیْـًٔا نُّكْرًا ۟

फिर नाव से उतरने के बाद, वे दोनो तट पर चलने लगे। तो उन्होंने एक बच्चे को, जो अभी बालिग नहीं हुआ था, अन्य बच्चों के साथ खेलते देखा। तो ख़ज़िर ने उसे मार डाला। इसपर मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : क्या आपने एक पवित्र (निर्दोष) जान को जो बालिग नहीं हुई थी, बिना किसी अपराध के क़त्ल कर दिया?! आपने एक बहुत ही बुरा काम किया है! info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• استحباب كون خادم الإنسان ذكيًّا فطنًا كَيِّسًا ليتم له أمره الذي يريده.
• किसी व्यक्ति का सेवक (नौकर) बुद्धिमान, होशियार और चालाक होना चाहिए, ताकि वह उसके उस काम को पूरा कर सके, जो वह चाहता है। info

• أن المعونة تنزل على العبد على حسب قيامه بالمأمور به، وأن الموافق لأمر الله يُعان ما لا يُعان غيره.
• बंदे पर अल्लाह की मदद उसके अल्लाह के आदेशों का पालन करने के अनुरूप ही उतरती है, तथा अल्लाह के आदेश के अनुसार चलने वाले की जो सहायता की जाती है, वह किसी अन्य की नहीं की जाती। info

• التأدب مع المعلم، وخطاب المتعلم إياه ألطف خطاب.
• शिक्षक के साथ शीलता एवं शिष्टता का व्यवहार करना, और शिक्षार्थी का उसे सबसे विनम्र शब्दों से संबोधित करना। info

• النسيان لا يقتضي المؤاخذة، ولا يدخل تحت التكليف، ولا يتعلق به حكم.
• भूल-चूक पर जवाबदेही नहीं बनती, तथा वह शरई दायित्व के अंतर्गत नहीं आती और न ही उससे कोई शरई हुक्म संबंधित होता है। info

• تعلم العالم الفاضل للعلم الذي لم يَتَمَهَّر فيه ممن مهر فيه، وإن كان دونه في العلم بدرجات كثيرة.
• एक उत्कृष्ट ज्ञानी व्यक्ति का वह ज्ञान, जिसमें वह दक्ष नहीं है, ऐसे व्यक्ति से सीखना, जो उसमें दक्ष है, भले ही वह ज्ञान में उससे कई दर्जा नीचे हो। info

• إضافة العلم وغيره من الفضائل لله تعالى، والإقرار بذلك، وشكر الله عليها.
• ज्ञान तथा उसके अलावा अन्य गुणों को सर्वशक्तिमान अल्लाह से संबंधित करना, उन्हें स्वीकार करना और उनके लिए अल्लाह का आभारी होना। info