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28 : 18

وَاصْبِرْ نَفْسَكَ مَعَ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِیِّ یُرِیْدُوْنَ وَجْهَهٗ وَلَا تَعْدُ عَیْنٰكَ عَنْهُمْ ۚ— تُرِیْدُ زِیْنَةَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَلَا تُطِعْ مَنْ اَغْفَلْنَا قَلْبَهٗ عَنْ ذِكْرِنَا وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ وَكَانَ اَمْرُهٗ فُرُطًا ۟

आप अपने आपको उन लोगों के संग रखें, जो निष्ठापूर्वक अपने पालनहार को दिन की शुरुआत और उसके अंत में, इबादत के तौर पर और कुछ माँगने के लिए, पुकारते हैं। तथा आप धन और सम्मान वाले लोगों के साथ बैठने की इच्छा में उनसे अपनी आँखें न फेरें। और आप उसकी बात न मानें, जिसके दिल पर मुहर लगाकर हमने उसे हमारी याद से असावधान कर दिया है। जिसके कारण उसने आपको अपनी बैठक से गरीबों को हटाने का आदेश दिया, और उसने अपने पालनहार की आज्ञाकारिता पर अपनी इच्छा के अनुपालन को प्रधानता दी और उसके सभी कार्य व्यर्थ और बर्बाद हैं। info
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29 : 18

وَقُلِ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكُمْ ۫— فَمَنْ شَآءَ فَلْیُؤْمِنْ وَّمَنْ شَآءَ فَلْیَكْفُرْ ۚ— اِنَّاۤ اَعْتَدْنَا لِلظّٰلِمِیْنَ نَارًا اَحَاطَ بِهِمْ سُرَادِقُهَا ؕ— وَاِنْ یَّسْتَغِیْثُوْا یُغَاثُوْا بِمَآءٍ كَالْمُهْلِ یَشْوِی الْوُجُوْهَ ؕ— بِئْسَ الشَّرَابُ ؕ— وَسَآءَتْ مُرْتَفَقًا ۟

और (ऐ रसूल!) आप इन लोगों से, जो अपने हृदय की लापरवाही के कारण अल्लाह की याद से गाफ़िल हैं, कह दीजिए : मैं तुम्हारे पास जो कुछ लेकर आया हूँ, वह सत्य है। और वह अल्लाह की ओर से है, मेरी ओर से नहीं। और मैं तुम्हारी यह माँग स्वीकार करने वाला नहीं कि मैं ईमान वालों को निष्कासित कर दूँ। अब तुम में से जो इस सच्चाई पर ईमान लाना चाहे, वह उसपर ईमान ले आए और वह उसके प्रतिफल से प्रसन्न होगा। और तुम में से जो उसपर विश्वास न करना चाहे, वह विश्वास न करे और शीघ्र ही वह उस दंड से दुखी होगा जो उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। हमने कुफ़्र अपनाकर स्वयं पर अत्याचार करने वाले लोगों के लिए भयानक आग तैयार कर रखी है, जिसकी दीवारें उन्हें घेरी हुई होंगी। इसलिए वे उससे भाग नहीं सकेंगे। अगर वे अपनी प्यास की तीव्रता के कारण पानी की फ़र्याद करेंगे, तो उन्हें तलछट जैसा बहुत गर्म पानी दिया जाएगा, जिसकी गर्मी की तीव्रता के कारण उनके चेहरे भुन जाएँगे। क्या बुरा है वह पेय जो उन्हें दिया जाएगा। क्योंकि वह प्यास नहीं बुझाएगा, बल्कि उसे और बढ़ा देगा। तथा वह उस लपट को भी नहीं बुझाएगा जो उनकी खाल उधेड़ रही होगी। जहन्नम क्या ही बुरा घर है जहाँ वे उतरेंगे और क्या ही बुरा ठिकाना है जिसमें वे ठहरेंगे। info
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30 : 18

اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اِنَّا لَا نُضِیْعُ اَجْرَ مَنْ اَحْسَنَ عَمَلًا ۟ۚ

निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और नेक कार्य किए, उन्होंने अच्छा काम किया है। इसलिए उनके लिए बहुत बड़ा प्रतिफल है। निःसंदेह हम अच्छे कर्म करने वाले लोगों का बदला व्यर्थ नहीं करते, बल्कि उन्हें कोई कमी किए बिना पूरा-पूरा बदला देते हैं। info
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31 : 18

اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ یُحَلَّوْنَ فِیْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّیَلْبَسُوْنَ ثِیَابًا خُضْرًا مِّنْ سُنْدُسٍ وَّاِسْتَبْرَقٍ مُّتَّكِـِٕیْنَ فِیْهَا عَلَی الْاَرَآىِٕكِ ؕ— نِعْمَ الثَّوَابُ ؕ— وَحَسُنَتْ مُرْتَفَقًا ۟۠

ईमान एवं अच्छे कार्य करने की विशेषताओं से विशिष्ट इन लोगों के लिए हमेशा के लिए निवास करने के लिए बगीचे हैं, उनके महलों के नीचे से स्वर्ग की मीठी नहरें बहती हैं। वे वहाँ सोने के कंगनों से सुशोभित किए जाएँगे तथा पतले और मोटे रेशम से बने हरे कपड़े पहनेंगे। वे सुंदर पर्दों से सजाए गए बिस्तरों पर टेक लगाए बैठे होंगे। उनका प्रतिफल बहुत अच्छा है और जन्नत उनके लिए निवास करने के लिए एक बेहतरीन घर और ठिकाना है। info
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32 : 18

وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلًا رَّجُلَیْنِ جَعَلْنَا لِاَحَدِهِمَا جَنَّتَیْنِ مِنْ اَعْنَابٍ وَّحَفَفْنٰهُمَا بِنَخْلٍ وَّجَعَلْنَا بَیْنَهُمَا زَرْعًا ۟ؕ

और (ऐ रसूल!) आप (उनके सामने) दो व्यक्तियों का उदाहरण दें, जिनमें से एक काफ़िर और दूसरा मोमिन था। हमने उनमें से काफ़िर के लिए अंगूर के दो बाग़ बनाए। और हमने दोनों बाग़ों को खजूर के पेड़ों से घेर दिया, तथा हमने उनके खाली क्षेत्र में फसलें उगाईं। info
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33 : 18

كِلْتَا الْجَنَّتَیْنِ اٰتَتْ اُكُلَهَا وَلَمْ تَظْلِمْ مِّنْهُ شَیْـًٔا ۙ— وَّفَجَّرْنَا خِلٰلَهُمَا نَهَرًا ۟ۙ

प्रत्येक बगीचे ने अपने फल दिए, जिसमें खजूर, अंगूर और फसलें शामिल थीं। और उसमें से कुछ भी कम नहीं किया, बल्कि पूरा-पूरा फल दिया। तथा हमने उन्हें आसानी से पानी देने के लिए उनके बीच एक नहर जारी कर दी। info
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34 : 18

وَّكَانَ لَهٗ ثَمَرٌ ۚ— فَقَالَ لِصَاحِبِهٖ وَهُوَ یُحَاوِرُهٗۤ اَنَا اَكْثَرُ مِنْكَ مَالًا وَّاَعَزُّ نَفَرًا ۟

और इन दो बाग़ों के मालिक के पास अन्य धन और फल भी थे। चुनाँचे उसने गर्व करते हुए अपने मोमिन साथी से, जबकि वह उसे प्रभावित करने के लिए उससे संबोधित था, कहा : मैं तुमसे अधिक धनवान, तुमसे बढ़कर सम्मान वाला और तुमसे ज़्यादा शक्तिशाली बिरादरी वाला हूँ। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• فضيلة صحبة الأخيار، ومجاهدة النفس على صحبتهم ومخالطتهم وإن كانوا فقراء؛ فإن في صحبتهم من الفوائد ما لا يُحْصَى.
• अच्छे लोगों की संगति की विशेषता, तथा उनकी संगति अपनाने और उनके साथ मेल-जोल रखने पर स्वयं से संघर्ष करना, भले ही वे गरीब हों। क्योंकि उनके साथ रहने में अनगिनत लाभ हैं। info

• كثرة الذكر مع حضور القلب سبب للبركة في الأعمار والأوقات.
• दिल की उपस्थिति के साथ अधिक से अधिक ज़िक्र करना आयु और समय में बरकत का कारण है। info

• قاعدتا الثواب وأساس النجاة: الإيمان مع العمل الصالح؛ لأن الله رتب عليهما الثواب في الدنيا والآخرة.
• प्रतिफल (सवाब) के दो नियम और मुक्ति का आधार : ईमान और अच्छा काम है। क्योंकि अल्लाह ने लोक और परलोक में सवाब (प्रतिफल) को इन्हीं दो चीज़ों पर आधारित किया है। info