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98 : 18

قَالَ هٰذَا رَحْمَةٌ مِّنْ رَّبِّیْ ۚ— فَاِذَا جَآءَ وَعْدُ رَبِّیْ جَعَلَهٗ دَكَّآءَ ۚ— وَكَانَ وَعْدُ رَبِّیْ حَقًّا ۟ؕ

ज़ुल-क़रनैन ने कहा : यह बाँध मेरे रब की ओर से एक दया है, जो याजूज और माजूज को धरती में उपद्रव मचाने से रोकने का काम करेगा। फिर जब वह समय आ जाएगा, जिसे अल्लाह ने क़ियामत से पहले उनके निकलने के लिए निर्धारित कर रखा है, तो अल्लाह उसे ध्वस्त कर देगा। तथा उसे ध्वस्त करके ज़मीन के बराबर करने और याजूज एवं माजूज के निकलने से संबंधित अल्लाह का वादा अटल है, जिसका उल्लंघन नहीं हो सकता। info
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99 : 18

وَتَرَكْنَا بَعْضَهُمْ یَوْمَىِٕذٍ یَّمُوْجُ فِیْ بَعْضٍ وَّنُفِخَ فِی الصُّوْرِ فَجَمَعْنٰهُمْ جَمْعًا ۟ۙ

और हम अंतिम काल में लोगों को इस अवस्था में छोड़ देंगे कि वे एक-दूसरे से मौजों की तरह परस्पर गुत्थम-गुत्था हो जाएँगे और “सूर” फूँक दिया जाएगा, तो हम सभी प्राणियों को हिसाब और बदले के लिए इकट्ठा कर लेंगे। info
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100 : 18

وَّعَرَضْنَا جَهَنَّمَ یَوْمَىِٕذٍ لِّلْكٰفِرِیْنَ عَرْضَا ۟ۙ

और (उस दिन) हम काफ़िरों के लिए जहन्नम को स्पष्ट रूप से प्रकट कर देंगे, ताकि वे उसे अपनी आँखों से देख लें। info
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101 : 18

١لَّذِیْنَ كَانَتْ اَعْیُنُهُمْ فِیْ غِطَآءٍ عَنْ ذِكْرِیْ وَكَانُوْا لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ سَمْعًا ۟۠

हम उसे उन काफ़िरों के लिए प्रकट करेंगे, जो संसार में अल्लाह के स्मरण से अंधे थे, क्योंकि उनकी आँखों पर अल्लाह की याद से रोकने वाला पर्दा पड़ा था और वे अल्लाह की आयतों को इस तरह सुनने में सक्षम नहीं थे कि उन्हें स्वीकार कर लें। info
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102 : 18

اَفَحَسِبَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنْ یَّتَّخِذُوْا عِبَادِیْ مِنْ دُوْنِیْۤ اَوْلِیَآءَ ؕ— اِنَّاۤ اَعْتَدْنَا جَهَنَّمَ لِلْكٰفِرِیْنَ نُزُلًا ۟

क्या अल्लाह पर विश्वास न रखने वालों ने समझ रखा है कि वे मुझे छोड़कर मेरे बंदों; फ़रिश्तों, रसूलों और शैतानों को पूज्य बना लेंगे?! निःसंदेह हमने जहन्नम को विश्वास न रखने वालों के लिए ठिकाने के रूप में तैयार कर रखा है। info
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103 : 18

قُلْ هَلْ نُنَبِّئُكُمْ بِالْاَخْسَرِیْنَ اَعْمَالًا ۟ؕ

(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : क्या हम (ऐ लोगो!) तुम्हें उन लोगों के बारे में बताएँ जो अपने कर्म की दृष्टि से सबसे अधिक घाटा उठाने वाले हैंॽ info
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104 : 18

اَلَّذِیْنَ ضَلَّ سَعْیُهُمْ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَهُمْ یَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ یُحْسِنُوْنَ صُنْعًا ۟

वे लोग जो क़ियामत के दिन यह देखेंगे कि वे दुनिया में जो प्रयास कर रहे थे, वह बेकार हो गया। जबकि वे समझते हैं कि वे अच्छी कोशिश कर रहे हैं और वे अपने कर्मों से लाभान्वित होंगे, हालाँकि वास्तविकता इसके विपरीत है। info
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105 : 18

اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ وَلِقَآىِٕهٖ فَحَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فَلَا نُقِیْمُ لَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ وَزْنًا ۟

यही वे लोग हैं, जिन्होंने अपने पालनहार की उन आयतों का इनकार किया, जो उसके एकेश्वरवाद को दर्शाती हैं और उससे मिलने का इनकार किया। अतः उनके इस इनकार के कारण उनके सारे कर्म बेकार हो गए। इसलिए, क़ियामत के दिन अल्लाह के निकट उनका कोई मान नहीं होगा। info
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106 : 18

ذٰلِكَ جَزَآؤُهُمْ جَهَنَّمُ بِمَا كَفَرُوْا وَاتَّخَذُوْۤا اٰیٰتِیْ وَرُسُلِیْ هُزُوًا ۟

वह बदला जो उनके लिए तैयार किया गया है, जहन्नम है। क्योंकि उन्होंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, तथा मेरी उतारी हुई आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया। info
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107 : 18

اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ كَانَتْ لَهُمْ جَنّٰتُ الْفِرْدَوْسِ نُزُلًا ۟ۙ

निश्चय जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उन्हें उनके सम्मान स्वरूप जन्नत का सर्वोच्च स्थान प्राप्त होगा। info
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108 : 18

خٰلِدِیْنَ فِیْهَا لَا یَبْغُوْنَ عَنْهَا حِوَلًا ۟

जिसमें वे सदैव रहेंगे, वहाँ से स्थानांतरित होना नहीं चाहेंगे, क्योंकि उसके बराबर का कोई प्रतिफल नहीं होगा। info
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109 : 18

قُلْ لَّوْ كَانَ الْبَحْرُ مِدَادًا لِّكَلِمٰتِ رَبِّیْ لَنَفِدَ الْبَحْرُ قَبْلَ اَنْ تَنْفَدَ كَلِمٰتُ رَبِّیْ وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهٖ مَدَدًا ۟

(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : मेरे पालनहार की बातें बहुत ज़्यादा हैं। अतः यदि उन्हें लिखने के लिए समुद्र स्याही बन जाए, तो पवित्र अल्लाह की बातें समाप्त होने से पहले ही समुद्र का पानी समाप्त हो जाएगा। बल्कि यदि हम और भी समुद्र ले आएँ, तो वे भी समाप्त हो जाएँगे। info
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110 : 18

قُلْ اِنَّمَاۤ اَنَا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ یُوْحٰۤی اِلَیَّ اَنَّمَاۤ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَمَنْ كَانَ یَرْجُوْا لِقَآءَ رَبِّهٖ فَلْیَعْمَلْ عَمَلًا صَالِحًا وَّلَا یُشْرِكْ بِعِبَادَةِ رَبِّهٖۤ اَحَدًا ۟۠

(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : मैं तो तुम्हारे ही जैसा एक मनुष्य हूँ। मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है कि तुम्हारा वास्तविक पूज्य बस एक ही है, उसका कोई साझी नहीं और वह अल्लाह है। अतः जो अपने रब से मिलने का भय रखता हो, वह अपने पालनहार के प्रति निष्ठावान होकर उसकी शरीयत के अनुसार कार्य करे और अपने पालनहार की उपासना में किसी को साझी न बनाए। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• إثبات البعث والحشر بجمع الجن والإنس في ساحات القيامة بالنفخة الثانية في الصور.
• “सूर” में दूसरी बार फूँक मारे जाने पर जिन्न और इनसान को जीवित करके क़ियामत के मैदान में एकत्र करने का सबूत। info

• أن أشد الناس خسارة يوم القيامة هم الذين ضل سعيهم في الدنيا، وهم يظنون أنهم يحسنون صنعًا في عبادة من سوى الله.
• क़ियामत के दिन सबसे अधिक घाटा उठाने वाले लोग वे होंगे, जिनके दुनिया के सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएँगे। हालाँकि वे यह समझते थे कि वे अल्लाह के अलावा की उपासना करके अच्छा काम कर रहे हैं। info

• لا يمكن حصر كلمات الله تعالى وعلمه وحكمته وأسراره، ولو كانت البحار والمحيطات وأمثالها دون تحديد حبرًا يكتب به.
• अल्लाह की बातों, उसके ज्ञान, उसकी हिकमत और उसके रहस्यों के सभी पहलुओं को समेटना और महसूर करना संभव नहीं है, अगरचे समुद्रों, महासागरों और बिना निर्दिष्ट किए इसी तरह की चीज़ों को लिखने के लिए स्याही बना लिया जाए। info