Vertaling van de betekenissen Edele Qur'an - Indische vertaling - Aziz Al-Haq Al-Amri

Pagina nummer:close

external-link copy
89 : 2

وَلَمَّا جَآءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْ ۙ— وَكَانُوْا مِنْ قَبْلُ یَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَی الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۚ— فَلَمَّا جَآءَهُمْ مَّا عَرَفُوْا كَفَرُوْا بِهٖ ؗ— فَلَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟

और जब उनके पास अल्लाह की ओर से एक पुस्तक (क़ुरआन) आई, जो उसकी पुष्टि करने वाली है, जो उनके पास है, हालाँकि वे इससे पूर्व काफ़िरों पर विजय की प्रार्थना किया करते थे, फिर जब उनके पास वह चीज़ आ गई, जिसे उन्होंने पहचान लिया, तो उन्होंने उसका इनकार[42] कर दिया। तो काफ़िरों पर अल्लाह की लानत है। info

42. आयत का भावार्थ यह है कि मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस पुस्तक (क़ुरआन) के साथ आने से पहले वह काफ़िरों से युद्ध करते थे, तो उनपर विजय की प्रार्थना करते और बड़ी व्याकुलता के साथ आपके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। जिसकी भविष्यवाणि उन के नबियों ने की थी, और प्रार्थनाएँ किया करते थे कि आप शीघ्र आएँ, ताकि काफ़िरों का प्रभुत्व समाप्त हो, और हमारे उत्थान के युग का शुभारंभ हो। परंतु जब आप आ गए, तो उन्होंने आपके नबी होने का इनकार कर दिया, क्योंकि आप बनी इसराईल में नहीं पैदा हुए। फिर भी आप इबराहीम अलैहिस्सलाम ही के पुत्र इसमाईल अलैहिस्सलाम के वंश से हैं, जैसे बनी इसराईल उनके पुत्र इसहाक़ अलैहिस्सलाम के वंश से हैं।

التفاسير:

external-link copy
90 : 2

بِئْسَمَا اشْتَرَوْا بِهٖۤ اَنْفُسَهُمْ اَنْ یَّكْفُرُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ بَغْیًا اَنْ یُّنَزِّلَ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۚ— فَبَآءُوْ بِغَضَبٍ عَلٰی غَضَبٍ ؕ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟

बहुत बुरी है वह चीज़ जिसके बदले उन्होंने अपने आपको बेच डाला, कि उस चीज़ का इनकार कर दें, जो अल्लाह ने उतारी[43] है, इस द्वेष (हठ) के कारण कि अल्लाह अपना कुछ अनुग्रह अपने बंदों में से जिसपर[44] चाहता है, उतारता है। अतः वे प्रकोप पर प्रकोप लेकर लौटे और (ऐसे) काफ़िरों के लिए अपमानजनक यातना है। info

43. अर्थात क़ुरआन। 44. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नबी बना दिया।

التفاسير:

external-link copy
91 : 2

وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اٰمِنُوْا بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ قَالُوْا نُؤْمِنُ بِمَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا وَیَكْفُرُوْنَ بِمَا وَرَآءَهٗ ۗ— وَهُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَهُمْ ؕ— قُلْ فَلِمَ تَقْتُلُوْنَ اَنْۢبِیَآءَ اللّٰهِ مِنْ قَبْلُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟

और जब उनसे कहा जाता है उस पर ईमान लाओ जो अल्लाह ने उतारा[45] है, तो कहते हैं : हम उसपर ईमान रखते हैं जो हमपर उतारा गया है, और जो उसके अलावा है, उसका वे इनकार करते हैं! जबकि वही सत्य है, उनके पास जो कुछ है उसकी पुष्टि करने वाला है। आप (उनसे) कह दीजिए कि अगर तुम ईमान वाले थे, तो फिर इससे पहले अल्लाह के नबियों की हत्या क्यों किया करते थे? info

45. अर्थात क़ुरआन पर।

التفاسير:

external-link copy
92 : 2

وَلَقَدْ جَآءَكُمْ مُّوْسٰی بِالْبَیِّنٰتِ ثُمَّ اتَّخَذْتُمُ الْعِجْلَ مِنْ بَعْدِهٖ وَاَنْتُمْ ظٰلِمُوْنَ ۟

और निःसंदेह मूसा तुम्हारे पास खुली निशानियाँ लेकर आए, फिर तुमने उसके बाद बछड़े को (पूज्य) बना लिया और तुम अत्याचारी थे। info
التفاسير:

external-link copy
93 : 2

وَاِذْ اَخَذْنَا مِیْثَاقَكُمْ وَرَفَعْنَا فَوْقَكُمُ الطُّوْرَ ؕ— خُذُوْا مَاۤ اٰتَیْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاسْمَعُوْا ؕ— قَالُوْا سَمِعْنَا وَعَصَیْنَا ۗ— وَاُشْرِبُوْا فِیْ قُلُوْبِهِمُ الْعِجْلَ بِكُفْرِهِمْ ؕ— قُلْ بِئْسَمَا یَاْمُرُكُمْ بِهٖۤ اِیْمَانُكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟

और (याद करो) जब हमने तुमसे पक्का वचन लिया और तुम्हारे ऊपर तूर पर्वत उठा लिया। (हमने कहा :) हमने तुम्हें जो दिया है, उसे मज़बूती से पकड़ो और सुनो। उन्होंने कहा : हमने सुना और नहीं माना। और उनके कुफ़्र के कारण उनके दिलों में बछड़े की मुहब्बत पिला दी गई। (ऐ नबी!) आप कह दीजिए : बुरी है वह चीज़, जिसका आदेश तुम्हें तुम्हारा ईमान देता है, यदि तुम ईमान वाले हो। info
التفاسير: