105. यह बात यहूदियों ने कही थी। (देखिए : सूरतुल बक़रा, आयत : 254)
106. अर्थात आकाश से अग्नि आ कर उसे जला दे, जो उसके स्वीकार्य होने का लक्षण है।
107. अर्थात यहूद आदि। 108. प्रकाशक जो सत्य को उजागर कर दे।
109. अर्थात सत्य आस्था और सत्कर्मों के द्वारा इस्लाम के नियमों का पालन करके।
110. अर्थात मूर्तियों के पुजारी, जो पूजा अर्चना तथा अल्लाह के विशेष गुणों में अन्य को उसका साझी बनाते हैं।