4. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बद्र के दिन कहा : यह घोड़े की लगाम थामे और हथियार लगाए जिब्रील अलैहिस्सलाम आए हुए हैं। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3995) इसी प्रकार एक मुसलमान एक मुश्रिक का पीछा कर रहा था कि अपने ऊपर से घुड़सवार की आवाज़ सुनी : हैज़ूम (घोड़े का नाम) आगे बढ़। फिर देखा कि मुश्रिक उसके सामने चित गिरा हुआ है। उसकी नाक और चेहरे पर कोड़े की मार का निशान है। फिर उसने यह बात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बताई। तो आपने कहा : सच्च है। यह तीसरे आकाश की सहायता है। (देखिए : सह़ीह़ मुस्लिम : 1763)
5. बद्र के युद्ध के समय मुसलमानों की संख्या मात्र 313 थी। और सिवाय एक व्यक्ति के किसी के पास घोड़ा न था। मुसलमान डरे-सहमे थे। जल के स्थान पर शत्रु ने पहले ही अधिकार कर लिया था। भूमि रेतीली थी जिसमें पाँव धंस जाते थे। और शत्रु सवार थे। और उनकी संख्या भी तीन गुना थी। ऐसी दशा में अल्लाह ने मुसलमानों पर निद्रा उतारकर उन्हें निश्चिंत कर दिया और वर्षा करके पानी की व्यवस्था कर दी। जिससे भूमि भी कड़ी हो गई। और अपनी असफलता का भय जो शैतानी संशय था, वह भी दूर हो गया।