Bản dịch ý nghĩa nội dung Qur'an - 简易古兰经经注印度语版

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164 : 7

وَاِذْ قَالَتْ اُمَّةٌ مِّنْهُمْ لِمَ تَعِظُوْنَ قَوْمَا ۙ— ١للّٰهُ مُهْلِكُهُمْ اَوْ مُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِیْدًا ؕ— قَالُوْا مَعْذِرَةً اِلٰی رَبِّكُمْ وَلَعَلَّهُمْ یَتَّقُوْنَ ۟

और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब उनका एक समूह उन्हें इस बुराई से रोक रहा था और उन्हें इससे सावधान कर रहा था, तो एक अन्य समूह ने उससे कहा : तुम ऐसे लोगों को क्यों नसीहत करते हो, जिन्हें अल्लाह उनके गुनाहों के कारण इस दुनिया में नष्ट करने वाला है, या क़ियामत के दिन उन्हें कठोर यातना देने वाला है? इसपर नसीहत करने वालों ने कहा : हम उन्हें नसीहत, अल्लाह के समक्ष उज़्र करने के लिए कर रहे हैं, हम भलाई का आदेश देने और बुराई से रोकने के कर्तव्य का पालन कर रहे हैं, जिसका अल्लाह ने हमें आदेश दिया है। ताकि उसे त्याग करने पर वह हमारी पकड़ न करे, और इसलिए कि शायद वे नसीहत से लाभान्वित हों और जिस पाप में लिप्त हैं, उसे छोड़ दें। info
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165 : 7

فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖۤ اَنْجَیْنَا الَّذِیْنَ یَنْهَوْنَ عَنِ السُّوْٓءِ وَاَخَذْنَا الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا بِعَذَابٍۭ بَىِٕیْسٍ بِمَا كَانُوْا یَفْسُقُوْنَ ۟

फिर जब अवज्ञाकारियों ने नसीहत करने वालों की नसीहत से मुँह फेर लिया और अपनी हरकत से बाज़ नहीं आए, तो हमने बुराई से रोकने वालों को यातना से बचा लिया और शनिवार के दिन शिकार करके अत्याचार करने वालों को, उनके अल्लाह की अवज्ञा करने और गुनाह पर अड़े रहने के कारण, गंभीर यातना में पकड़ लिया। info
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166 : 7

فَلَمَّا عَتَوْا عَنْ مَّا نُهُوْا عَنْهُ قُلْنَا لَهُمْ كُوْنُوْا قِرَدَةً خٰسِىِٕیْنَ ۟

फिर जब वे अभिमान एवं हठ के कारण अल्लाह की अवज्ञा करने में सीमा पार कर गए और नसीहत हासिल नहीं की, तो हमने उनसे कहा : ऐ अवज्ञाकारियो! तुम अपमानित बंदर हो जाओ। चुनाँचे वे हमारी मंशा के अनुसार बंदर हो गए। क्योंकि हमारा मामला यह है कि हम जब कसी चीज़ का इरादा करते हैं, तो उससे कहते हैं कि "हो जा" तो वह हो जाती है। info
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167 : 7

وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكَ لَیَبْعَثَنَّ عَلَیْهِمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ مَنْ یَّسُوْمُهُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ لَسَرِیْعُ الْعِقَابِ ۖۚ— وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟

और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब अल्लाह ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि वह क़ियामत के दिन तक यहूदियों पर ऐसे व्यक्ति को अवश्य प्रभुत्व प्रदान करता रहेगा, जो उन्हें उनके सांसारिक जीवन में अपमानित और तिरस्कृत करता रहे। निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार अवज्ञाकारियों को शीघ्र दंड देने वाला है। यहाँ तक कि कभी-कभी वह उन्हें इसी दुनिया में दंड दे देता है। और वह अपने तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला है। info
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168 : 7

وَقَطَّعْنٰهُمْ فِی الْاَرْضِ اُمَمًا ۚ— مِنْهُمُ الصّٰلِحُوْنَ وَمِنْهُمْ دُوْنَ ذٰلِكَ ؗ— وَبَلَوْنٰهُمْ بِالْحَسَنٰتِ وَالسَّیِّاٰتِ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟

और हमने उन्हें धरती में बिखेर दिया और उन्हें उसमें कई संप्रदायों में विभाजित कर दिया, जबकि वे पहले एक साथ (इकट्ठा) थे। उनमें से कुछ लोग सदाचारी थे, जो अल्लाह के हक़ और उसके बंदों के हक़ अदा करने वाले थे। तथा उनमें से कुछ लोग बीच की राह चलने वाले थे, जबकि उनमें से कुछ लोग पापों के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वाले थे। और हमने उन्हें खुशहाली और तंगी के ज़रिए आज़माया, इस आशा में कि वे अपने रवैये से बाज़ आ जाएँ। info
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169 : 7

فَخَلَفَ مِنْ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ وَّرِثُوا الْكِتٰبَ یَاْخُذُوْنَ عَرَضَ هٰذَا الْاَدْنٰی وَیَقُوْلُوْنَ سَیُغْفَرُ لَنَا ۚ— وَاِنْ یَّاْتِهِمْ عَرَضٌ مِّثْلُهٗ یَاْخُذُوْهُ ؕ— اَلَمْ یُؤْخَذْ عَلَیْهِمْ مِّیْثَاقُ الْكِتٰبِ اَنْ لَّا یَقُوْلُوْا عَلَی اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّ وَدَرَسُوْا مَا فِیْهِ ؕ— وَالدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَیْرٌ لِّلَّذِیْنَ یَتَّقُوْنَ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟

फिर इन लोगों के बाद, दुष्ट लोग आए जो इनके उत्तराधिकारी बने। उन्होंने तौरात को अपने पूर्वजों से लिया। वे उसे पढ़ते हैं, लेकिन उसमें जो कुछ है, उसपर अमल नहीं करते हैं। वे अल्लाह की पुस्तक को विकृत करने और जो कुछ उसमें उतारा गया है उसके अलावा के साथ फैसला करने के लिए इस दुनिया के तुच्छ सामान को रिश्वत के रूप में लेते हैं। इसके बावजूद, वे यह आशा रखते हैं कि अल्लाह उनके पापों को क्षमा कर देगा। और यदि उनके पास दुनिया का तुच्छ सामान दोबारा आ जाए, तो वे इसे फिर से ले लेंगे। क्या अल्लाह ने इन लोगों से दृढ़ वचन नहीं लिया था कि वे अल्लाह पर बिना किसी विरूपण या परिवर्तन के, सत्य के अलावा कुछ नहीं कहेंगे?! उनका पुस्तक पर अमल न करना अज्ञानता के कारण नहीं था, बल्कि ज्ञान के बावजूद था। चुनाँचे उन्होंने पुस्तक में जो कुछ था, उसे पढ़ा था और उसकी उन्हें जानकारी थी। इसलिए उनका पाप अधिक गंभीर है। तथा आख़िरत का घर और आख़िरत के घर में जो स्थायी नेमतें हैं, उन लोगों के लिए क्षणभंगुर संपत्ति से बेहतर हैं, जो अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते हैं। क्या ये लोग जो इस तुच्छ सामान को लेते हैं, इस बात को नहीं समझते कि अल्लाह ने डरने वालों के लिए आख़िरत में जो कुछ तैयार कर रखा है, वह सबसे बेहतर और अधिक स्थायी है। info
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170 : 7

وَالَّذِیْنَ یُمَسِّكُوْنَ بِالْكِتٰبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ؕ— اِنَّا لَا نُضِیْعُ اَجْرَ الْمُصْلِحِیْنَ ۟

और जो लोग पुस्तक को दृढ़ता से पकड़ते हैं और उसमें जो कुछ है उसपर अमल करते हैं, तथा नमाज़ को उसके समय, उसकी शर्तों, उसकी वाजिबात (अनिवार्य कार्यों) और उसकी सुन्नतों की पाबंदी करते हुए अदा करते हैं, अल्लाह क़रीब ही उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा। क्योंकि अल्लाह उस व्यक्ति का प्रतिफल बर्बाद नहीं करता, जिसका कार्य अच्छा हो। info
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Trong những bài học trích được của các câu Kinh trên trang này:
• إذا نزل عذاب الله على قوم بسبب ذنوبهم ينجو منه من كانوا يأمرون بالمعروف وينهون عن المنكر فيهم.
• जब किसी जाति पर, उसके गुनाहों के कारण अल्लाह की यातना आती है, तो उससे उनमें से वे लोग बच जाते हैं, जो उन्हें अच्छी बातों का आदेश देते और बुरी बातों से रोकते थे। info

• يجب الحذر من عذاب الله؛ فإنه قد يكون رهيبًا في الدنيا، كما فعل سبحانه بطائفة من بني إسرائيل حين مَسَخَهم قردة بسبب تمردهم.
• अल्लाह की यातना से सावधान रहना चाहिए। क्योंकि वह दुनिया में (भी) भयानक हो सकती है। जैसा कि अल्लाह ने बनी इसराईल के एक संप्रदाय के साथ किया था जब उनकी सरकशी के कारण उनकी शक्ल बिगाड़कर बंदर बना दिया था। info

• نعيم الدنيا مهما بدا أنه عظيم فإنه قليل تافه بجانب نعيم الآخرة الدائم.
• अल्लाह ने बनी इसराईल पर अपमान व दरिद्रता लिख दी है और बता दिया है कि वह उनपर प्रत्येक युग में ऐसे लोगों को भेजता रहेगा, जो उनके अत्याचार और विमुखता के कारण उन्हें यातना का मज़ा चखाते रहेंगे। info

• أفضل أعمال العبد بعد الإيمان إقامة الصلاة؛ لأنها عمود الأمر.
• दुनिया की नेमत चाहे जितनी बड़ी प्रतीत हो, लेकिन आख़िरत की स्थायी नेमत के मुक़ाबले में वह अल्प और तुच्छ है। info

• كتب الله على بني إسرائيل الذلة والمسكنة، وتأذن بأن يبعث عليهم كل مدة من يذيقهم العذاب بسبب ظلمهم وانحرافهم.
• ईमान के बाद बंदे का सबसे अच्छा कर्म नमाज़ क़ायम करना है, क्योंकि वह दीन का स्तंभ है। info