قۇرئان كەرىم مەنىلىرىنىڭ تەرجىمىسى - قۇرئان كەرىم قىسقىچە تەپسىرىنىڭ ھىندىچە تەرجىمىسى

بەت نومۇرى:close

external-link copy
15 : 12

فَلَمَّا ذَهَبُوْا بِهٖ وَاَجْمَعُوْۤا اَنْ یَّجْعَلُوْهُ فِیْ غَیٰبَتِ الْجُبِّ ۚ— وَاَوْحَیْنَاۤ اِلَیْهِ لَتُنَبِّئَنَّهُمْ بِاَمْرِهِمْ هٰذَا وَهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟

फिर याक़ूब ने उसे उनके साथ भेज दिया। जब वे उसे लेकर दूर चले गए और उसे कुएँ के तल में फेंकने का निश्चय कर लिया, तो उस वक़्त हमने यूसुफ़ की ओर वह़्य की : तुम अवश्य उन्हें उनके इस करतूत के बारे में बताओगे और उस समय वे तुम्हें पहचान भी नहीं पाएँगे। info
التفاسير:

external-link copy
16 : 12

وَجَآءُوْۤ اَبَاهُمْ عِشَآءً یَّبْكُوْنَ ۟ؕ

और यूसुफ़ के भाई अपने फ़रेब को चलाने के लिए रोने का ढोंग करते हुए इशा के समय अपने पिता के पास आए। info
التفاسير:

external-link copy
17 : 12

قَالُوْا یٰۤاَبَانَاۤ اِنَّا ذَهَبْنَا نَسْتَبِقُ وَتَرَكْنَا یُوْسُفَ عِنْدَ مَتَاعِنَا فَاَكَلَهُ الذِّئْبُ ۚ— وَمَاۤ اَنْتَ بِمُؤْمِنٍ لَّنَا وَلَوْ كُنَّا صٰدِقِیْنَ ۟

उन्होंने कहा : ऐ हमारे पिता! हम दौड़ने और तीर फेंकने में प्रतिस्पर्धा करने लगे और यूसुफ़ को अपने कपड़ों और सामानों के पास उनकी हिफ़ाज़त के लिए छोड़ गए। फिर उसे भेड़िए ने खा लिया। और आप तो हमारा विश्वास करने वाले नहीं हैं, भले ही हम वास्तव में अपनी बात में सच्चे ही क्यों न हों। info
التفاسير:

external-link copy
18 : 12

وَجَآءُوْ عَلٰی قَمِیْصِهٖ بِدَمٍ كَذِبٍ ؕ— قَالَ بَلْ سَوَّلَتْ لَكُمْ اَنْفُسُكُمْ اَمْرًا ؕ— فَصَبْرٌ جَمِیْلٌ ؕ— وَاللّٰهُ الْمُسْتَعَانُ عَلٰی مَا تَصِفُوْنَ ۟

उन्होंने अपनी ख़बर की पुष्टि एक चाल के द्वारा की। वे यूसुफ़ के कुर्ते पर किसी और चीज़ का खून लगाकर लाए, यह भ्रम पैदा करने के लिए कि यह भेड़िए के उनको खाने का निशान है। लेकिन याक़ूब अलैहिस्सलाम - इस तथ्य के साथ कि क़मीज़ फटी नहीं थी - उनका झूठ समझ गए। चुनाँचे उनसे कहा : मामला वैसा नहीं है, जैसा तुम बताया है। बल्कि तुम्हारे मन ने एक बुरे काम को सुंदर बनाकर पेश किया है, जिसे तुमने बना लिया है। अब मेरा काम बेहतर सब्र करना है, जिसमें कोई घबराहट नहीं। और यूसुफ़ का जो मामला तुम बता रहे हो, उसपर अल्लाह ही से सहायता अपेक्षित है। info
التفاسير:

external-link copy
19 : 12

وَجَآءَتْ سَیَّارَةٌ فَاَرْسَلُوْا وَارِدَهُمْ فَاَدْلٰی دَلْوَهٗ ؕ— قَالَ یٰبُشْرٰی هٰذَا غُلٰمٌ ؕ— وَاَسَرُّوْهُ بِضَاعَةً ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِمَا یَعْمَلُوْنَ ۟

उधर से गुज़रने वाला एक क़ाफ़िला आया और उन्होंने एक व्यक्ति को पानी लाने के लिए भेजा। उसने जैसे ही कुएँ में अपना डोल डाला, यूसुफ़ रस्सी पकड़कर लटक गए। जब डोल डालने वाले व्यक्ति ने उन्हें देखा, तो प्रसन्न होकर पुकार उठा : अरे, कितनी खुशी की बात है! यह तो एक लड़का है। फिर उसने और उसके कुछ साथियों ने मिलकर, उसे व्यापारिक माल समझकर क़ाफ़िले के दूसरे लोगों से छिपा लिया। और वे यूसुफ़ के साथ अपमान तथा ख़रीद-फ़रोख़्त का जो मामला कर रहे थे, अल्लाह उसे खूब जानने वाला है। उनके करतूतों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। info
التفاسير:

external-link copy
20 : 12

وَشَرَوْهُ بِثَمَنٍ بَخْسٍ دَرَاهِمَ مَعْدُوْدَةٍ ۚ— وَكَانُوْا فِیْهِ مِنَ الزَّاهِدِیْنَ ۟۠

पानी लाने वाले व्यक्ति तथा उसके साथियों ने उन्हें मिस्र के बाज़ार में सस्ते दाम में बेच दिय। वे मात्र कुछ दिरहम थे, जो कम होने के कारण आसानी से गिने जा सकते थे। और वे उन्हें महँगे दाम में बेचने के इच्छुक भी नहीं थे, क्योंकि वे उनसे जल्दी से छुटकारा पाने के लिए उत्सुक थे। उन्हें उनकी स्थिति से पता चल गया था कि वह कोई गुलाम नहीं हैं और वे उनके परिवार वालों की तरफ़ से अपने ऊपर डर महसूस करते थे। यह यूसुफ़ पर अल्लाह की अनंत कृपा थी, ताकि वह उनके साथ लंबे समय तक न रहें। info
التفاسير:

external-link copy
21 : 12

وَقَالَ الَّذِی اشْتَرٰىهُ مِنْ مِّصْرَ لِامْرَاَتِهٖۤ اَكْرِمِیْ مَثْوٰىهُ عَسٰۤی اَنْ یَّنْفَعَنَاۤ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا ؕ— وَكَذٰلِكَ مَكَّنَّا لِیُوْسُفَ فِی الْاَرْضِ ؗ— وَلِنُعَلِّمَهٗ مِنْ تَاْوِیْلِ الْاَحَادِیْثِ ؕ— وَاللّٰهُ غَالِبٌ عَلٰۤی اَمْرِهٖ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟

और मिस्र के जिस व्यक्ति ने उन्हें ख़रीदा था, उसने अपनी पत्नी से कहा : इसके साथ अच्छा व्यवहार करो, और हमारे साथ इसके ठहरने का अच्छा प्रबंध करो। हो सकता है यह हमारी कुछ आवश्यकताओं को पूरा करने में मददगार साबित हो अथवा हम इसे मुँह बोला बेटा बना लें। और जिस तरह हमने यूसुफ़ को हत्या से बचाया, कुएँ से निकाला और अज़ीज़ के दिल को उसके प्रति दयालु कर दिया; उसी तरह हमने उसे मिस्र में स्थापित किया और ताकि हम उसे स्वप्न की व्याख्या सिखाएँ। और अल्लाह अपने मामले पर हावी है। उसका आदेश लागू होकर रहता है। उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं। परन्तु अधिकतर लोग - और वे काफ़िर लोग हैं - इस बात को नहीं जानते। info
التفاسير:

external-link copy
22 : 12

وَلَمَّا بَلَغَ اَشُدَّهٗۤ اٰتَیْنٰهُ حُكْمًا وَّعِلْمًا ؕ— وَكَذٰلِكَ نَجْزِی الْمُحْسِنِیْنَ ۟

और जब यूसुफ़ शरीर की मज़बूती की आयु को पहुँच गए, तो हमने उन्हें समझ और ज्ञान प्रदान किया। और इसी प्रकार का प्रतिफल जो हमने उन्हें दिया, हम उन सदाचारियों को देते हैं, जो भली-भाँति अल्लाह की इबादत करते हैं। info
التفاسير:
بۇ بەتتىكى ئايەتلەردىن ئېلىنغان مەزمۇنلار:
• بيان خطورة الحسد الذي جرّ إخوة يوسف إلى الكيد به والمؤامرة على قتله.
• ईर्ष्या की गंभीरता का वर्णन, जिसने यूसुफ़ के भाइयों को उनके विरुद्ध क़त्ल की साज़िश रचने पर आमादा कर दिया। info

• مشروعية العمل بالقرينة في الأحكام.
• अह़काम में संकेत पर अमल करने का सबूत। info

• من تدبير الله ليوسف عليه السلام ولطفه به أن قذف في قلب عزيز مصر معاني الأبوة بعد أن حجب الشيطان عن إخوته معاني الأخوة.
• यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के लिए अल्लाह का प्रबंध और उनके प्रति उसकी दया कि उसने अज़ीज़े मिस्र के दिल में पितृत्व का अर्थ डाल दिया, जबकि शैतान ने उनके भाइयों को भाईचारे के अर्थ से रहित कर दिया था। info