แปล​ความหมาย​อัลกุรอาน​ - คำแปลภาษาอินเดีย - อาซิซุลฮัก อัล-อุมะรีย์

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94 : 9

یَعْتَذِرُوْنَ اِلَیْكُمْ اِذَا رَجَعْتُمْ اِلَیْهِمْ ؕ— قُلْ لَّا تَعْتَذِرُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكُمْ قَدْ نَبَّاَنَا اللّٰهُ مِنْ اَخْبَارِكُمْ ؕ— وَسَیَرَی اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ ثُمَّ تُرَدُّوْنَ اِلٰی عٰلِمِ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟

जब तुम उनकी ओर वापस जाओगे, तो वे तुम्हारे सामने बहाने पेश करेंगे। आप कह दें : हम तुम्हारा कभी विश्वास नहीं करेंगे, निःसंदेह अल्लाह हमें तुम्हारी कुछ ख़बरें बता चुका है, और जल्द ही अल्लाह तुम्हारे काम को देखेगा और उसका रसूल भी। फिर तुम हर परोक्ष
और प्रत्यक्ष चीज़ को जानने वाले की ओर लौटाए जाओगे। फिर वह तुम्हें बताएगा जो कुछ तुम करते रहे थे।
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95 : 9

سَیَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ اِذَا انْقَلَبْتُمْ اِلَیْهِمْ لِتُعْرِضُوْا عَنْهُمْ ؕ— فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمْ ؕ— اِنَّهُمْ رِجْسٌ ؗ— وَّمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟

शीघ्र ही जब तुम उनकी ओर वापस जाओगे, तो वे तुम्हारे सामने अल्लाह की क़समें खाएँगे, ताकि तुम उनसे ध्यान हटा लो। अतः उनकी उपेक्षा करो, निःसंदेह वे गंदे हैं और उनका ठिकाना जहन्नम है, उसके बदले जो वे कमाते रहे हैं। info
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96 : 9

یَحْلِفُوْنَ لَكُمْ لِتَرْضَوْا عَنْهُمْ ۚ— فَاِنْ تَرْضَوْا عَنْهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا یَرْضٰی عَنِ الْقَوْمِ الْفٰسِقِیْنَ ۟

वे तुम्हारे लिए क़समें खाएँगे, ताकि तुम उनसे राज़ी हो जाओ। तो यदि तुम उनसे राज़ी हो जाओ, तो निःसंदेह अल्लाह अवज्ञाकारी लोगों से राज़ी नहीं होता। info
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97 : 9

اَلْاَعْرَابُ اَشَدُّ كُفْرًا وَّنِفَاقًا وَّاَجْدَرُ اَلَّا یَعْلَمُوْا حُدُوْدَ مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰی رَسُوْلِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟

देहाती[43] अविश्वास तथा पाखंड में अधिक बढ़े हुए हैं और इस बात के अधिक योग्य हैं कि उन सीमाओं को न जानें, जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारी हैं, और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है। info

43. इससे अभिप्राय मदीना के आस-पास के क़बीले हैं।

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98 : 9

وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ یَّتَّخِذُ مَا یُنْفِقُ مَغْرَمًا وَّیَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوَآىِٕرَ ؕ— عَلَیْهِمْ دَآىِٕرَةُ السَّوْءِ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟

देहातियों में कुछ ऐसे हैं कि जो कुछ ख़र्च करते हैं, उसे तावान समझते हैं और तुम्हारे लिए बुरे समय की प्रतीक्षा करते हैं। बुरा समय उन्हीं पर आए। और अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है। info
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99 : 9

وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ یُّؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَیَتَّخِذُ مَا یُنْفِقُ قُرُبٰتٍ عِنْدَ اللّٰهِ وَصَلَوٰتِ الرَّسُوْلِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّهَا قُرْبَةٌ لَّهُمْ ؕ— سَیُدْخِلُهُمُ اللّٰهُ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟۠

और देहातियों में कुछ ऐसे हैं, जो अल्लाह तथा अंतिम दिन पर ईमान रखते हैं और जो कुछ ख़र्च करते हैं, उसे अल्लाह के यहाँ निकटता तथा रसूल की दुआओं (की प्राप्ति) का साधन समझते हैं। सुन लो! निःसंदेह यह उनके लिए निकटता का साधन है। शीघ्र ही अल्लाह उन्हें अपनी दया में दाखिल करेगा। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत क्षमाशील, असीम दयावान् है। info
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