แปล​ความหมาย​อัลกุรอาน​ - คำแปลภาษาฮินดี สำหรับหนังสืออรรถาธิบายอัลกุรอานอย่างสรุป (อัลมุคตะศ็อร ฟีตัฟซีร อัลกุรอานิลกะรีม)

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62 : 10

اَلَاۤ اِنَّ اَوْلِیَآءَ اللّٰهِ لَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟ۚ

सुन लो! निःसंदेह अल्लाह के मित्रों को न भविष्य में क़ियामत की भयावहता का डर होगा और न वे दुनिया के छूट जाने वाले आनंद पर शोकाकुल होंगे। info
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63 : 10

الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَكَانُوْا یَتَّقُوْنَ ۟ؕ

ये अल्लाह के मित्र वे लोग हैं, जो अल्लाह पर और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान रखते थे तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते थे। info
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64 : 10

لَهُمُ الْبُشْرٰی فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَفِی الْاٰخِرَةِ ؕ— لَا تَبْدِیْلَ لِكَلِمٰتِ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟ؕ

उनके लिए, उनके पालनहार की ओर से, दुनिया में प्रसन्नता प्रदान करने वाले अच्छे स्वप्न या लोगों की प्रशंसा के रूप में शुभ-सूचना है, तथा उनके लिए फ़रिश्तों की ओर से शुभ समाचार है जब उनके प्राण निकाले जाते हैं, तथा मृत्यु के बाद एवं प्रलय के दिन। अल्लाह ने उनसे जो वादा किया है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। यह प्रतिफल ही महान सफलता है; क्योंकि इसमें उद्देश्य की प्राप्ति एवं भय से मुक्ति है। info
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65 : 10

وَلَا یَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ— اِنَّ الْعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِیْعًا ؕ— هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟

(ऐ रसूल!) ये लोग आपके धर्म के बारे में जो तिरस्कार और लांछन की बातें करते हैं, आप उससे दुःखी न हों। निःसंदेह समस्त प्रभुत्व एवं आधिपत्य अल्लाह ही के लिए है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। वह उनकी बातों का सुनने वाला और उनके कार्यों का जानने वाला है और जल्द ही उन्हें उसका बदला देगा। info
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66 : 10

اَلَاۤ اِنَّ لِلّٰهِ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ ؕ— وَمَا یَتَّبِعُ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ شُرَكَآءَ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا یَخْرُصُوْنَ ۟

सुन लो! जो कोई आकाशों में है और जो कोई धरती में है, सब का मालिक एकमात्र अल्लाह है। और ये बहुदेववादी लोग जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे साझीदारों की पूजा करते हैं, वे किस चीज़ का अनुसरण कर रहे हैं?! वास्तव में, वे केवल संदेह का पालन करते हैं, तथा अपने साझीदारों की अल्लाह की ओर निसबत करनें में मात्र झूठ बोल रहे हैं। अल्लाह उनकी बातों से सर्वोच्च एवं महान है। info
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67 : 10

هُوَ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الَّیْلَ لِتَسْكُنُوْا فِیْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّسْمَعُوْنَ ۟

वही अकेला है, जिसने (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए रात बनाई, ताकि तुम उसमें हरकत (चलने-फिरने) और थकान से आराम पा सको और दिन को प्रकाशमान बनाया, ताकि उसमें जीवनयापन के लिए लाभदायक वस्तुओं की तलाश में दौड़-धूप कर सको। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए स्पष्ट निशानियाँ हैं, जो मानने और स्वीकार करने के उद्देश्य से सुनते हैं। info
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68 : 10

قَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا سُبْحٰنَهٗ ؕ— هُوَ الْغَنِیُّ ؕ— لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— اِنْ عِنْدَكُمْ مِّنْ سُلْطٰنٍ بِهٰذَا ؕ— اَتَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟

बहुदेववादियों के एक समूह ने कहा : अल्लाह ने फ़रिश्तों को अपनी पुत्रियाँ बनाया है! अल्लाह उनके इस बात से पवित्र है। वह पवित्र अल्लाह अपनी सभी सृष्टियों से बेनियाज़ है। जो कुछ अकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सबका मालिक वही है। तुम्हारे पास (ऐ बहुदेववादियो!) तुम्हारे इस कथन का कोई प्रमाण नहीं है। क्या तुम बिना किसी प्रमाण के अल्लाह पर एक गंभीर बात कहते हो - कि तुम उसकी ओर संतान की निसबत करते हो - जिसकी सच्चाई तुम नहीं जानते?! info
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69 : 10

قُلْ اِنَّ الَّذِیْنَ یَفْتَرُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ لَا یُفْلِحُوْنَ ۟ؕ

(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : निःसंदेह जो लोग अल्लाह की ओर संतान की निसबत करके उसपर झूठ गढ़ते हैं, वे अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं होंगे और न उस चीज़ से मुक्ति पा सकेंगे, जिससे वे डर रहे हैं। info
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70 : 10

مَتَاعٌ فِی الدُّنْیَا ثُمَّ اِلَیْنَا مَرْجِعُهُمْ ثُمَّ نُذِیْقُهُمُ الْعَذَابَ الشَّدِیْدَ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟۠

अतः वे संसार की सुख-सामग्रियों और नेमतों का जो आनंद ले रहे हैं, उससे धोखा न खाएँ। क्योंकि यह एक क्षणभंगुर थोड़ा-सा सुख है। फिर उन्हें क़ियामत के दिन हमारे ही पास लौटना है। फिर हम उन्हें उनके अल्लाह का इनकार करने और उसके रसूल को झुठलाने के कारण कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे। info
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ประโยชน์​ที่​ได้รับ​:
• ولاية الله تكون لمن آمن به، وامتثل أوامره، واجتنب نواهيه، واتبع رسوله صلى الله عليه وسلم، وأولياء الله هم الآمنون يوم القيامة، ولهم البشرى في الدنيا إما بالرؤيا الصالحة أو عند الموت.
• अल्लाह की मित्रता उसे प्राप्त होती है, जो उसपर ईमान लाता है, उसकी आज्ञाओं का पालन करता है, उसके निषेधों से बचता है और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करता है। अल्लाह के मित्र (औलिया) ही क़ियामत के दिन सुरक्षित रहेंगे, तथा उनके लिए इस दुनिया में या तो अच्छे स्वप्न के ज़रिए या मौत के समय शुभ समाचार है। info

• العزة لله جميعًا وحده ؛ فهو مالك الملك، وما عُبِد من دون الله لا حقيقة له.
• सारी महिमा केवल अल्लाह की है। क्योंकि वही राज्य का स्वामी है। तथा अल्लाह के अतिरिक्त जिसकी पूजा की जाती है, उसकी कोई सच्चाई नहीं है। info

• الحث على التفكر في خلق الله؛ لأن ذلك يقود إلى الإيمان به وتوحيده.
• अल्लाह की सृष्टि पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहन; क्योंकि यह अल्लाह पर ईमान लाने और उसे एकमात्र पूज्य मानने की ओर ले जाता है। info

• حرمة الكذب على الله عز وجل، وأن صاحبه لن يفلح، ومن أعظم الكذب نسبة الولد له سبحانه.
• अल्लाह पर झूठ बोलना हराम है और ऐसा करने वाला कभी सफल नहीं होगा। और एक सबसे बड़ा झूठ अल्लाह की ओर संतान की निसबत करना है। info