Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht - Azizulhak el-Umeri

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138 : 6

وَقَالُوْا هٰذِهٖۤ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ ۖۗ— لَّا یَطْعَمُهَاۤ اِلَّا مَنْ نَّشَآءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا یَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا افْتِرَآءً عَلَیْهِ ؕ— سَیَجْزِیْهِمْ بِمَا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟

तथा वे कहते हैं कि ये पशु और खेत वर्जित हैं। इन्हें वही खा सकता है, जिसे हम खिलाना चाहें। ऐसा वे अपने ख़याल से कहते हैं। फिर कुछ पशु हैं, जिनकी पीठ हराम (वर्जित) हैं। और कुछ पशु हैं, जिनपर (ज़बह करते समय) अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ गढ़ा है। उन्हें वह उनके इस झूठ गढ़ने का बदला अवश्य देगा। info

87. अर्थात उनपर सवारी करना तथा बोझ लादना अवैध है। (देखिए : सूरतुल माइदा :103)

التفاسير: