Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht - Azizulhak el-Umeri

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207 : 26

مَاۤ اَغْنٰی عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یُمَتَّعُوْنَ ۟ؕ

तो उन्हें जो लाभ दिया जाता था, वह उनके किस काम आएगा? info
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208 : 26

وَمَاۤ اَهْلَكْنَا مِنْ قَرْیَةٍ اِلَّا لَهَا مُنْذِرُوْنَ ۟

और हमने किसी बस्ती को विनष्ट नहीं किया, परंतु उसके लिए कई सावधान करने वाले थे। info
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209 : 26

ذِكْرٰی ۛ۫— وَمَا كُنَّا ظٰلِمِیْنَ ۟

याद दिलाने के लिए। और हम अत्याचारी नहीं थे। info
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210 : 26

وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّیٰطِیْنُ ۟ۚ

तथा इस (क़ुरआन) को लेकर शैतान नहीं उतरे। info
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211 : 26

وَمَا یَنْۢبَغِیْ لَهُمْ وَمَا یَسْتَطِیْعُوْنَ ۟ؕ

और न यह उनके योग्य है, और न वे ऐसा कर सकते हैं। info
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212 : 26

اِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُوْلُوْنَ ۟ؕ

निःसंदेह वे तो (इसके) सुनने ही से अलग[37] कर दिए गए हैं। info

37. अर्थात इसके अवतरित होने के समय शैतान आकाश की ओर जाते हैं तो उल्का उन्हें भस्म कर देते हैं।

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213 : 26

فَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتَكُوْنَ مِنَ الْمُعَذَّبِیْنَ ۟ۚ

अतः आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें, अन्यथा आप दंड पाने वालों में हो जाएँगे। info
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214 : 26

وَاَنْذِرْ عَشِیْرَتَكَ الْاَقْرَبِیْنَ ۟ۙ

और आप अपने निकटतम रिश्तेदारों को डराएँ।[38] info

38. आदरणीय इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि जब यह आयत उतरी तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सफ़ा पर्वत पर चढ़े। और क़ुरैश के परिवारों को पुकरा। और जब सब एकत्र हो गए, और जो स्वयं नहीं आ सका तो उसने किसी प्रतिनिधि को भेज दिया। और अबू लहब तथा क़ुरैश आ गए तो आपने फरमाया : यदि मैं तुमसे कहूँ कि उस वादी में एक सेना है जो तुम पर आक्रमण करने वाली है, तो क्या तुम मुझे सच्चा मानोगे? सबने कहा : हाँ। हमने आपको सदा ही सच्चा पाया है। आपने कहा : मैं तुम्हें आगामी कड़ी यातना से सावधान कर रहा हूँ। इसपर अबू लहब ने कहा : तेरा पूरे दिन नाश हो! क्या हमें इसी के लिए एकत्र किया है? और इसीपर सूरत लह्ब उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4770)

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215 : 26

وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۚ

और ईमान वालों में से जो आपका अनुसरण करे, उसके लिए अपना बाज़ू[39] झुका दें। info

39. अर्थात उसके साथ विनम्रता का व्यवहार करें।

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216 : 26

فَاِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ اِنِّیْ بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟ۚ

फि यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि तुम जो कुछ कर रहे हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ। info
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217 : 26

وَتَوَكَّلْ عَلَی الْعَزِیْزِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ

तथा उस सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् पर भरोसा करें। info
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218 : 26

الَّذِیْ یَرٰىكَ حِیْنَ تَقُوْمُ ۟ۙ

जो आपको देखता है, जब आप खड़े होते हैं। info
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219 : 26

وَتَقَلُّبَكَ فِی السّٰجِدِیْنَ ۟

और सजदा करने वालों में आपके फिरने को भी।[40] info

40. अर्थात प्रत्येक समय, अकेले हों या लोगों के बीच हों।

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220 : 26

اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟

निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है। info
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221 : 26

هَلْ اُنَبِّئُكُمْ عَلٰی مَنْ تَنَزَّلُ الشَّیٰطِیْنُ ۟ؕ

क्या मैं आपको बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते हैं? info
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222 : 26

تَنَزَّلُ عَلٰی كُلِّ اَفَّاكٍ اَثِیْمٍ ۟ۙ

वे हर बड़े झूठे और बड़े पापी[41] पर उतरते हैं। info

41. ह़दीस में है कि फ़रिश्ते बादल में उतरते हैं, और आकाश में होने वाले निर्णय की बात करते हैं, जिसे शैतान चोरी से सुन लेते हैं। और ज्योतिषियों को पहुँचा देते हैं। फिर वह उसमें सौ झूठ मिलाते हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3210)

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223 : 26

یُّلْقُوْنَ السَّمْعَ وَاَكْثَرُهُمْ كٰذِبُوْنَ ۟ؕ

वे सुनी हुई बात को (काहिनों तक) पहुँचा देते हैं, और उनमें से अधिकतर झूठे हैं। info
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224 : 26

وَالشُّعَرَآءُ یَتَّبِعُهُمُ الْغَاوٗنَ ۟ؕ

और कवि लोग, उनके पीछे भटके हुए लोग ही चलते हैं। info
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225 : 26

اَلَمْ تَرَ اَنَّهُمْ فِیْ كُلِّ وَادٍ یَّهِیْمُوْنَ ۟ۙ

क्या आपने नहीं देखा कि वे प्रत्येक वादी में भटकते फिरते[42] हैं। info

42. अर्थात कल्पना की उड़ान में रहते हैं।

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226 : 26

وَاَنَّهُمْ یَقُوْلُوْنَ مَا لَا یَفْعَلُوْنَ ۟ۙ

और यह कि निःसंदेह ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं। info
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227 : 26

اِلَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَذَكَرُوا اللّٰهَ كَثِیْرًا وَّانْتَصَرُوْا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا ؕ— وَسَیَعْلَمُ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْۤا اَیَّ مُنْقَلَبٍ یَّنْقَلِبُوْنَ ۟۠

सिवाय उन (कवियों) के, जो[43] ईमान लाए, और अच्छे कर्म किए और अल्लाह को बहुत याद किया तथा बदला लिया, इसके बाद कि उनके ऊपर ज़ुल्म किया गया। तथा वे लोग, जिन्होंने अत्याचार किया, शीघ्र ही जान लेंगे कि वे किस जगह लौटकर जाएँगे। info

43. इनसे अभिप्रेत ह़स्सान बिन साबित आदि कवि हैं, जो क़ुरैश के कवियों की भर्त्सना किया करते थे। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 4124)

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