Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht - Azizulhak el-Umeri

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63 : 25

وَعِبَادُ الرَّحْمٰنِ الَّذِیْنَ یَمْشُوْنَ عَلَی الْاَرْضِ هَوْنًا وَّاِذَا خَاطَبَهُمُ الْجٰهِلُوْنَ قَالُوْا سَلٰمًا ۟

और 'रह़मान' के बंदे वे हैं, जो धरती पर विनम्रता[31] से चलते हैं और जब जाहिल (अक्खड़) लोग उनसे बात करते हैं, तो कहते हैं सलाम है।[32] info

31. अर्थात घमंड से अकड़कर नहीं चलते। 32. अर्थात उनसे उलझते नहीं।

التفاسير: