Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht - Azizulhak el-Umeri

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243 : 2

اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِیَارِهِمْ وَهُمْ اُلُوْفٌ حَذَرَ الْمَوْتِ ۪— فَقَالَ لَهُمُ اللّٰهُ مُوْتُوْا ۫— ثُمَّ اَحْیَاهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟

(ऐ नबी!) क्या आपने उन लोगों को नहीं देखा जो मौत के भय से अपने घरों से निकले[159], जबकि वे कई हज़ार थे, तो अल्लाह ने उनसे कहा कि मर जाओ, फिर उन्हें जीवित कर दिया। निःसंदेह अल्लाह लोगों पर बड़े अनुग्रह वाला है, लेकिन अधिकांश लोग शुक्रिया अदा नहीं करते।[160] info

159. इसमें बनी इसराईल के एक गिरोह की ओर संकेत किया गया है। 160. आयत का भावार्थ यह है कि जो लोग मौत से डरते हों, वे जीवन में सफल नहीं हो सकते, तथा जीवन और मौत अल्लाह के हाथ में है।

التفاسير: