Përkthimi i kuptimeve të Kuranit Fisnik - Përkthimi indisht - Azizulhak el-Umeri

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13 : 11

اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ فَاْتُوْا بِعَشْرِ سُوَرٍ مِّثْلِهٖ مُفْتَرَیٰتٍ وَّادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

बल्कि क्या वे कहते हैं कि उसने इस (क़ुरआन) को स्वयं गढ़ लिया है? आप कह दें कि इस जैसी गढ़ी हुई दस सूरतें ले आओ[4] और अल्लाह के सिवा, जिसे बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम सच्चे हो। info

4. अल्लाह का यह चैलेंज है कि अगर तुमको शंका है कि यह क़ुरआन मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने स्वयं बना लिया है, तो तुम इस जैसी दस सूरतें ही बना कर दिखा दो। और यह चैलेंज प्रलय तक के लिए है। और कोई दस तो क्या, इस जैसी एक सूरत भी नहीं ला सकता। (देखिए : सूरत यूनुस, आयत : 38 तथा सूरतुल-बक़रह, आयत : 23)

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14 : 11

فَاِلَّمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَاۤ اُنْزِلَ بِعِلْمِ اللّٰهِ وَاَنْ لَّاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚ— فَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ۟

फिर यदि वे तुम्हारी मांग पूरी न करें, तो जान लो कि यह (क़ुरआन) अल्लाह के ज्ञान के साथ उतारा गया है और यह कि उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। तो क्या तुम मुसलमान होते हो? info
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15 : 11

مَنْ كَانَ یُرِیْدُ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا وَزِیْنَتَهَا نُوَفِّ اِلَیْهِمْ اَعْمَالَهُمْ فِیْهَا وَهُمْ فِیْهَا لَا یُبْخَسُوْنَ ۟

जो व्यक्ति सांसारिक जीवन तथा उसकी शोभा चाहता हो, हम ऐसे लोगों को उनके कर्मों का बदला इसी (दुनिया) में दे देते हैं और इसमें उनका कोई हक़ नहीं मारा जाता। info
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16 : 11

اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ لَیْسَ لَهُمْ فِی الْاٰخِرَةِ اِلَّا النَّارُ ۖؗ— وَحَبِطَ مَا صَنَعُوْا فِیْهَا وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟

यही वे लोग हैं, जिनके लिए आख़िरत में आग के सिवा कुछ नहीं है और उनके दुनिया में किए हुए समस्त कार्य व्यर्थ हो जाएँगे और उनका सारा किया-धरा अकारथ होकर रह जाएगा। info
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17 : 11

اَفَمَنْ كَانَ عَلٰی بَیِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ وَیَتْلُوْهُ شَاهِدٌ مِّنْهُ وَمِنْ قَبْلِهٖ كِتٰبُ مُوْسٰۤی اِمَامًا وَّرَحْمَةً ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یَّكْفُرْ بِهٖ مِنَ الْاَحْزَابِ فَالنَّارُ مَوْعِدُهٗ ۚ— فَلَا تَكُ فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْهُ ۗ— اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟

तो क्या वह व्यक्ति जो अपने पालनहार की ओर से स्पष्ट प्रमाण[5] रखता हो और उसके बाद अल्लाह की ओर से एक गवाह[6] भी आ जाए, तथा उससे पहले मूसा की पुस्तक मार्गदर्शक और दया के रूप में उपस्थित रही हो (वह गुमराही में पड़े हुए लोगों के समान हो सकता है?) ऐसे ही लोग इस (क़ुरआन) पर ईमान रखते हैं। और इन समूहों में से जो व्यक्ति भी इसका इनकार करेगा, तो उसके वादा की जगह (ठिकाना) दोज़ख है। अतः आप इसके बारे में किसी संदेह में न पड़ें। निःसंदेह यह आपके पालनहार की ओर से सत्य है। परंतु अधिकतर लोग ईमान (विश्वास) नहीं रखते। info

5. अर्थात जो अपने अस्तित्व तथा विश्व की रचना और व्यवस्था पर विचार करके यह जानता था कि इसका स्वामी तथा शासक केवल अल्लाह ही है, उसके अतिरिक्त कोई अन्य नहीं हो सकता। 6. अर्थात नबी और क़ुरआन।

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18 : 11

وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ یُعْرَضُوْنَ عَلٰی رَبِّهِمْ وَیَقُوْلُ الْاَشْهَادُ هٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ كَذَبُوْا عَلٰی رَبِّهِمْ ۚ— اَلَا لَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَی الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ

और उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े? ऐसे लोग अपने पालनहार के समक्ष प्रस्तुत किए जाएँगे और गवाही देने वाले कहेंगे कि यही वे लोग हैं जिन्होंने अपने पालनहार पर झूठ गढ़ा था। सुन लो! अत्याचारियों पर अल्लाह की धिक्कार है। info
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19 : 11

الَّذِیْنَ یَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ؕ— وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ۟

जो अल्लाह के मार्ग से रोकते हैं और उसे टेढ़ा बनाना चाहते हैं और वही आख़िरत का इनकार करने वाले हैं। info
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