Vertaling van de betekenissen Edele Qur'an - Indische vertaling - Aziz Al-Haq Al-Amri

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28 : 54

وَنَبِّئْهُمْ اَنَّ الْمَآءَ قِسْمَةٌ بَیْنَهُمْ ۚ— كُلُّ شِرْبٍ مُّحْتَضَرٌ ۟

और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। पीने की प्रत्येक बारी[4] पर उपस्थित हुआ जाएगा। info

4. अर्थात एक दिन जल स्रोत का पानी ऊँटनी पिएगी और एक दिन तुम सब।

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29 : 54

فَنَادَوْا صَاحِبَهُمْ فَتَعَاطٰی فَعَقَرَ ۟

तो उन्होंने अपने साथी को पुकारा। सो उसने (उसे) पकड़ा और उसका वध कर दिया। info
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30 : 54

فَكَیْفَ كَانَ عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना? info
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31 : 54

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَكَانُوْا كَهَشِیْمِ الْمُحْتَظِرِ ۟

हमने उनपर एक ही चिंघाड़ भेजी, तो वे बाड़ लगाने वाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह हो गए। info
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32 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला? info
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33 : 54

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوْطٍۭ بِالنُّذُرِ ۟

लूत की जाति ने डराने वालों को झुठला दिया। info
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34 : 54

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ حَاصِبًا اِلَّاۤ اٰلَ لُوْطٍ ؕ— نَجَّیْنٰهُمْ بِسَحَرٍ ۟ۙ

निःसंदेह हमने उनपर पत्थर बरसाने वाली एक हवा भेजी, सिवाय लूत के घरवालों के। उन्हें हमने भोर से कुछ पहले ही बचा लिया। info
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35 : 54

نِّعْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا ؕ— كَذٰلِكَ نَجْزِیْ مَنْ شَكَرَ ۟

अपनी ओर से (विशेष) अनुग्रह करते हुए। इसी प्रकार हम उसे बदला देते हैं, जो धन्यवाद करे। info
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36 : 54

وَلَقَدْ اَنْذَرَهُمْ بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا بِالنُّذُرِ ۟

और निःसंदेह उसने उन्हें हमारी पकड़ से डराया, तो उन्होंने डराने में संदेह किया। info
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37 : 54

وَلَقَدْ رَاوَدُوْهُ عَنْ ضَیْفِهٖ فَطَمَسْنَاۤ اَعْیُنَهُمْ فَذُوْقُوْا عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

और निःसंदेह उन्होंने उसे उसके अतिथियों से बहकाने[5] का प्रयास किया, तो हमने उनकी आँखें मेट दीं। अतः मेरी यातना और मेरी चेतावनी का मज़ा चखो। info

5. अर्थात उन्होंने लूत (अलैहिस्सलाम) से अपने दुराचार के लिए फ़रिश्तों को, जो सुंदर युवकों के रूप में आए थे, अपने सुपुर्द करने की माँग की।

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38 : 54

وَلَقَدْ صَبَّحَهُمْ بُكْرَةً عَذَابٌ مُّسْتَقِرٌّ ۟ۚ

और निःसंदेह सुबह सवेरे ही उनपर एक न टलने वाली यातना आ पहुँची। info
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39 : 54

فَذُوْقُوْا عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

अतः मेरे अज़ाब और मेरे डराने का स्वाद चखो। info
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40 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟۠

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला? info
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41 : 54

وَلَقَدْ جَآءَ اٰلَ فِرْعَوْنَ النُّذُرُ ۟ۚ

तथा निःसंदेह फ़िरऔनियों के पास डराने वाले आए। info
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42 : 54

كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا كُلِّهَا فَاَخَذْنٰهُمْ اَخْذَ عَزِیْزٍ مُّقْتَدِرٍ ۟

उन्होंने हमारी सब निशानियों को झुठला दिया, तो हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार सब पर प्रभुत्वशाली, सबसे शक्तिशाली पकड़ता है। info
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43 : 54

اَكُفَّارُكُمْ خَیْرٌ مِّنْ اُولٰٓىِٕكُمْ اَمْ لَكُمْ بَرَآءَةٌ فِی الزُّبُرِ ۟ۚ

क्या तुम्हारे काफ़िर उन लोगों से बेहतर हैं, या तुम्हारे लिए (पहली) पुस्कतों में कोई मुक्ति लिखी हुई है? info
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44 : 54

اَمْ یَقُوْلُوْنَ نَحْنُ جَمِیْعٌ مُّنْتَصِرٌ ۟

या वे कहते हैं कि हम एक जत्था हैं, जो बदला लेकर रहने वाले हैं? info
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45 : 54

سَیُهْزَمُ الْجَمْعُ وَیُوَلُّوْنَ الدُّبُرَ ۟

शीध्र ही यह समूह पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग पीठ दिखाकर भागेंगे।[6] info

6. इसमें मक्का के काफ़िरों की पराजय की भविष्यवाणी है, जो बद्र के युद्ध में पूरी हुई। ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र के दिन एक ख़ेमे में अल्लाह से प्रार्थना कर रहे थे। फिर यही आयत पढ़ते हुए निकले। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4875)

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46 : 54

بَلِ السَّاعَةُ مَوْعِدُهُمْ وَالسَّاعَةُ اَدْهٰی وَاَمَرُّ ۟

बल्कि क़यामत ही उनके वादे का समय है और क़ियामत कहीं बड़ी विपत्ति और अधिक कड़वी है। info
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47 : 54

اِنَّ الْمُجْرِمِیْنَ فِیْ ضَلٰلٍ وَّسُعُرٍ ۟ۘ

निश्चय अपराधी लोग बड़ी गुमराही और यातना में हैं। info
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48 : 54

یَوْمَ یُسْحَبُوْنَ فِی النَّارِ عَلٰی وُجُوْهِهِمْ ؕ— ذُوْقُوْا مَسَّ سَقَرَ ۟

जिस दिन वे आग में अपने चेहरों के बल घसीटे जाएँगे। (कहा जाएगा :) जहन्नम की यातना का मज़ा चखो। info
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49 : 54

اِنَّا كُلَّ شَیْءٍ خَلَقْنٰهُ بِقَدَرٍ ۟

निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है। info
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