Vertaling van de betekenissen Edele Qur'an - Indische vertaling van de samenvatting van de tafsier van de Heilige Koran

Pagina nummer:close

external-link copy
55 : 9

فَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَلَاۤ اَوْلَادُهُمْ ؕ— اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ لِیُعَذِّبَهُمْ بِهَا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟

अतः (ऐ रसूल!) आपको इन मुनाफ़िक़ों के धन तथा उनकी संतान विस्मित न करें और न ही आप उन्हें अच्छा समझें। क्योंकि उनके धन एवं संतान का परिणाम बहुत बुरा है। अल्लाह उन्हें उनके लिए अज़ाब बना देगा कि उसे कमाने में कड़ी मेहनत करेंगे और थकान सहेंगे और दूसरी ओर अल्लाह उनमें विपत्तियाँ उतारता रहेगा यहाँ तक कि अल्लाह उनके कुफ़्र ही की हालत में उनके प्राण निकालेगा, फिर वे जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में अनंत काल के लिए यातना दिए जाएँगे। info
التفاسير:

external-link copy
56 : 9

وَیَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ اِنَّهُمْ لَمِنْكُمْ ؕ— وَمَا هُمْ مِّنْكُمْ وَلٰكِنَّهُمْ قَوْمٌ یَّفْرَقُوْنَ ۟

(ऐ मोमिनो!) मुनाफ़िक़ तुम्हारे लिए अल्लाह की झूठी शपथ खाकर कहते हैं कि निःसंदेह वे अवश्य तुममें से हैं। हालाँकि वे अंदरूनी तौर पर तुममें से नहीं हैं, भले ही वे यह प्रकट करें कि वे तुममें से हैं। परंतु वे ऐसे लोग हैं जो डरते हैं कि उन्हें उसी क़त्ल और क़ैद का सामना न करना पड़े, जिसका सामना बहुदेववादियों को करना पड़ा। इसलिए वे बचने के लिए इस्लाम को प्रकट करते हैं। info
التفاسير:

external-link copy
57 : 9

لَوْ یَجِدُوْنَ مَلْجَاً اَوْ مَغٰرٰتٍ اَوْ مُدَّخَلًا لَّوَلَّوْا اِلَیْهِ وَهُمْ یَجْمَحُوْنَ ۟

यदि इन मुश्रिकों को शरण लेने के लिए कोई क़िला मिल जाए, जिसमें वे अपनी रक्षा कर सकें, या पहाड़ों के अंदर गुफाएँ मिल जाएँ, जिनमें वे छिप सकें, या कोई सुरंग मिल जाए, जिसमें वे प्रवेश कर सकें, तो वे अवश्य उसमें शरण लेंगे ओर दौड़कर उसमें घुस जाएँगे। info
التفاسير:

external-link copy
58 : 9

وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّلْمِزُكَ فِی الصَّدَقٰتِ ۚ— فَاِنْ اُعْطُوْا مِنْهَا رَضُوْا وَاِنْ لَّمْ یُعْطَوْا مِنْهَاۤ اِذَا هُمْ یَسْخَطُوْنَ ۟

मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो सदक़ों के वितरण के बारे में (ऐ रसूल!) आपकी आलोचना करते हैं, जब उन्हें उनमें से वह चीज़ नहीं मिलती, जो वे चाहते हैं। यदि आप उन्हें वह चीज़ दे दें, जो वे माँगते हैं, तो वे आपसे प्रसन्न हो जाते हैं। और यदि आप उन्हें वह चीज़ न दें, जो वे माँगते हैं, तो वे नाराज़गी दिखाते हैं। info
التفاسير:

external-link copy
59 : 9

وَلَوْ اَنَّهُمْ رَضُوْا مَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ ۙ— وَقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ سَیُؤْتِیْنَا اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ وَرَسُوْلُهٗۤ ۙ— اِنَّاۤ اِلَی اللّٰهِ رٰغِبُوْنَ ۟۠

यदि ये मुनाफ़िक़, जो सदक़ों के विभाजन के बारे में आपकी आलोचना करते हैं, उससे संतुष्ट होते, जो अल्लाह ने उनके लिए नियत किया है और जो उसके रसूल ने उन्हें उनमें से दिया है, तथा वे कहते : अल्लाह हमारे लिए पर्याप्त है, अल्लाह हमें अपने अनुग्रह से जो चाहे, देगा और उसके रसूल भी हमें अल्लाह की दी हुई चीज़ों में से प्रदान करेंगे। हम केवल अल्लाह ही से आशा रखते हैं कि वह हमें अपने अनुग्रह से प्रदान करे। यदि उन्होंने ऐसा किया होता, तो यह उनके लिए आपकी आलोचना करने से बेहतर होता। info
التفاسير:

external-link copy
60 : 9

اِنَّمَا الصَّدَقٰتُ لِلْفُقَرَآءِ وَالْمَسٰكِیْنِ وَالْعٰمِلِیْنَ عَلَیْهَا وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوْبُهُمْ وَفِی الرِّقَابِ وَالْغٰرِمِیْنَ وَفِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ؕ— فَرِیْضَةً مِّنَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟

अनिवार्य ज़कात फ़क़ीरों को दी जाएगी, इससे अभिप्राय वे ज़रूरतमंद हैं जिनके पास पेशे या नौकरी से प्राप्त कुछ धन है, लेकिन यह उनके लिए पर्याप्त नहीं है और उनकी स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता है। और मिस्कीनों को, जिनके पास शायद ही कुछ होता है और वे अपनी दयनीय स्थिति या अपनी बात कहने के कारण लोगों से छिपे नहीं होते हैं। और ज़कात कर्मियों को, जिन्हें शासक ज़कात वसूल करने के कार्य पर नियुक्त करता है। और उन काफ़िरों को, जिन्हें परचाना अभीष्ट हो ताकि वे इस्लाम ले आएँ, या कमज़ोर ईमान वालों को, ताकि उनका ईमान मज़बूत हो जाए, या ऐसे व्यक्ति को, जिसकी बुराई को उसके द्वारा दूर किया जाए। और गुलामों को आज़ाद करने के लिए खर्च किया जाएगा, और बिना फ़िज़ूलखर्ची और अवज्ञा के क़र्ज़ लेने वालों को, यदि उनके पास अपना क़र्ज़ चुकाने का सामर्थ्य न हो। और अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले मुजाहिदों की तैयारी में खर्च किया जाएगा और उस यात्री पर, जिसका खर्च सफर के दौरान खत्म हो गया। ज़कात के व्यय को केवल इन्हीं लोगों तक सीमित रखना अल्लाह की ओर से एक दायित्व है, और अल्लाह अपने बंदों के हितों के बारे में जानने वाला, अपने प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है। info
التفاسير:

external-link copy
61 : 9

وَمِنْهُمُ الَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ النَّبِیَّ وَیَقُوْلُوْنَ هُوَ اُذُنٌ ؕ— قُلْ اُذُنُ خَیْرٍ لَّكُمْ یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَیُؤْمِنُ لِلْمُؤْمِنِیْنَ وَرَحْمَةٌ لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْ ؕ— وَالَّذِیْنَ یُؤْذُوْنَ رَسُوْلَ اللّٰهِ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟

तथा मुनाफ़िक़ों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपने शब्दों के साथ कष्ट पहुँचाते हैं। वे आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सहनशीलता को देखकर कहते हैं : वह हर एक की बात सुनते हैं और उसपर विश्वास कर लेते हैं, और सत्य और झूठ के बीच अंतर नहीं करते हैं। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : रसूल अच्छे के अलावा कुछ नहीं सुनते। वह अल्लाह पर विश्वास रखते हैं और सच्चे ईमान वाले जो कहते हैं उस पर विश्वास करते हैं और उनपर दया करते हैं। क्योंकि आपका रसूल बनाकर भेजा जाना उन लोगों के लिए दया है जो आपपर ईमान रखते हैं। और जो लोग आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को किसी भी तरह के दुर्व्यवहार से कष्ट पहुँचाते हैं, उनके लिए दर्दनाक यातना है। info
التفاسير:
Voordelen van de verzen op deze pagina:
• الأموال والأولاد قد تكون سببًا للعذاب في الدنيا، وقد تكون سببًا للعذاب في الآخرة، فليتعامل العبد معهما بما يرضي مولاه، فتتحقق بهما النجاة.
• धन एवं संतान इस दुनिया में यातना का कारण हो सकते हैं, तथा आख़िरत में भी यातना का कारण हो सकते हैं। अतः बंदे को उन दोनों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए, जिससे उसका रब प्रसन्न हो। ताकि उनके साथ मोक्ष प्राप्त हो। info

• توزيع الزكاة موكول لاجتهاد ولاة الأمور يضعونها على حسب حاجة الأصناف وسعة الأموال.
• ज़कात के आवंटन का काम शासकों के इज्तिहाद (राय) के हवाले है, जो इसे मदों की आवश्यकता और धन की क्षमता के अनुसार आवंटित करेंगे। info

• إيذاء الرسول صلى الله عليه وسلم فيما يتعلق برسالته كفر، يترتب عليه العقاب الشديد.
• रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को उनके संदेश के संबंध में कष्ट देना, कुफ़्र है, जिसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है। info

• ينبغي للعبد أن يكون أُذن خير لا أُذن شر، يستمع ما فيه الصلاح والخير، ويُعرض ترفُّعًا وإباءً عن سماع الشر والفساد.
• बंदे को चाहिए कि वह भलाई का कान हो, बुराई का नहीं। वही बात सुने, जिसमें बेहतरी और भलाई हो तथा बुराई और बिगाड़ की बात को सुनने से उपेक्षा करे। info