41. आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह का यह निर्णय है कि वह किसी जाति का उसके विरुद्ध तर्क तथा उसकी निश्चित अवधि पूरी होने पर ही विनाश करता है, यदि यह बात न होती तो इन मक्का के मिश्रणवादियों पर यातना आ चुकी होती।
42. अर्थात फ़ज्र की नमाज में। 43. अर्थात अस्र की नमाज़ में। 44. अर्थात इशा की नमाज़ में। 45. अर्थात ज़ुह्र तथा मग़्रिब की नमाज़ में।
46. अर्थात मिश्रणवादियों के। 47. अर्थात प्रलोक का प्रतिफल।
48. अर्थात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और क़ुरआन के आने से पहले।