1. अर्थात उन्हें पत्नी के रूप में अपने पास रखने या उनसे अलग होने पर। 2. अर्थात निष्पक्ष हो कर।
3. अर्थात जो दुःख तथा सुख भाग्य में अल्लाह ने लिखा है वह अपने समय में अवश्य पूरा होगा।
4. इद्दत से अभिप्राय वह अवधि है जिसके भीतर कोई स्त्री तलाक़ पाने के पश्चात् दूसरा विवाह नहीं कर सकती। और यह अवधि उस स्त्री के लिए जिसे दीर्घायु अथवा अल्पायु होने के कारण मासिक धर्म न आए तीन मास तथा गर्भवती के लिये प्रसव है। और मासिक धर्म आने की स्थिति में तीन मासिक धर्म पूरा होना है। ह़दीस में है कि सुबैआ असलमिय्या (रज़ियल्लाहु अन्हा) के पति मारे गए, तो वह गर्भवती थीं। फिर चालीस दिन बाद उन्होंने शिशु जन्म दिया, तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उन्हें विवाह करने की अनुमति दे दी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4909) पति की मौत पर चार महीना दस दिन की अवधि उसके लिए है, जो गर्भवति न हो। (देखिए : सूरतुल बक़रा, आयत : 226)
5. अर्थात उसके आदेश का पालन करेगा।
6. अर्थात परिश्रामिक के विषय में।
7. यहाँ से अल्लाह की अवज्ञा के दुष्परिणाम से सावधान किया जा रहा है।
8. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम। अँधेरों से अभिप्राय कुफ़्र तथा प्रकाश से अभिप्राय ईमान है।