Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Hindi ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

अत्-तौबा

daga cikin abunda Surar ta kunsa:
البراءة من المشركين والمنافقين وجهادهم، وفتح باب التوبة للتائبين.
मुश्रिकों (बहुदेववादियों) और मुनाफ़िक़ों (पाखंडियों) से बरी होना और उनसे जिहाद करना, तथा तौबा करने वालों के लिए तौबा का द्वार खोलना। info

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1 : 9

بَرَآءَةٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۤ اِلَی الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ؕ

यह अल्लाह तथा उसके रसूल की ओर से ज़िम्मेदारी से बरी होने, तथा उन संधियों के अंत की घोषणा है, जो (ऐ मुसलमानो!) तुमने अरब प्रायद्वीप में बहुदेववादियों के साथ की थी। info
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2 : 9

فَسِیْحُوْا فِی الْاَرْضِ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ غَیْرُ مُعْجِزِی اللّٰهِ ۙ— وَاَنَّ اللّٰهَ مُخْزِی الْكٰفِرِیْنَ ۟

अतः (ऐ बहुदेववादियो!) तुम धरती में चार महीने सुरक्षित रूप से चलो-फिरो। उसके बाद तुम्हारे लिए न कोई संधि होगी और न कोई सुरक्षा। तथा निश्चित रहो कि अगर तुम अपने कुफ़्र पर बने रहे, तो अल्लाह की यातना और दंड से हरगिज़ नहीं बचोगे। तथा इस बात से भी निश्चित रहो कि अल्लाह काफ़िरों को इस दुनिया में क़ल्त और क़ैद करके तथा क़ियामत के दिन आग में डालकर अपमानित करने वाला है। इस घोषणा में वे सभी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी संधि तोड़ दी और जिनकी संधि का समय निर्धारित नहीं था। जहाँ तक उन लोगों की बात है, जिनकी संधि का समय निर्धारित था, तो उनकी संधि को उसके कार्यकाल तक पूरा किया जाएगा, भले ही वह चार महीने से अधिक की हो। info
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3 : 9

وَاَذَانٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۤ اِلَی النَّاسِ یَوْمَ الْحَجِّ الْاَكْبَرِ اَنَّ اللّٰهَ بَرِیْٓءٌ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۙ۬— وَرَسُوْلُهٗ ؕ— فَاِنْ تُبْتُمْ فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ۚ— وَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَاعْلَمُوْۤا اَنَّكُمْ غَیْرُ مُعْجِزِی اللّٰهِ ؕ— وَبَشِّرِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟ۙ

तथा अल्लाह की तरफ़ से और उसके रसूल की तरफ़ से क़ुर्बानी के दिन तमाम लोगों को यह सूचना है कि अल्लाह बहुदेववादियों (मुश्रिकों) से बरी है, तथा उसका रसूल भी उनसे अलग है। फिर यदि (ऐ बहुदेववादियो!) तुम अपने शिर्क से तौबा कर लो, तो तुम्हारा तौबा करना तुम्हारे लिए बेहतर है, और यदि तुम तौबा से मुँह फेरो, तो सुनिश्चित हो जाओ कि तुम अल्लाह से कभी नहीं छूट सकते, और उसकी यातना से हरगिज़ नहीं बच सकते। तथा (ऐ रसूल!) आप अल्लाह का इनकार करने वालों को यह बुरी सूचना सुना दें कि एक दर्दनाक अज़ाब उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। info
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4 : 9

اِلَّا الَّذِیْنَ عٰهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ ثُمَّ لَمْ یَنْقُصُوْكُمْ شَیْـًٔا وَّلَمْ یُظَاهِرُوْا عَلَیْكُمْ اَحَدًا فَاَتِمُّوْۤا اِلَیْهِمْ عَهْدَهُمْ اِلٰی مُدَّتِهِمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ الْمُتَّقِیْنَ ۟

सिवाय उन मुश्रिकों के, जिनसे तुमने संधि की, और उन्होंने अपनी संधि को पूरा किया तथा उसमें कुछ भी कमी नहीं की, तो वे लोग पिछले हुक्म से अलग हैं। ऐसे लोगों की संधि को उसकी अवधि समाप्त होने तक पूरा करो। निःसंदेह अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है, जो उसके आदेशों का पालन करके, जिनमें संधि को पूरा करना भी शामिल है और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर, जिनमें विश्वासघात भी शामिल है, उससे डरने वाले हैं। info
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5 : 9

فَاِذَا انْسَلَخَ الْاَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِیْنَ حَیْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ وَخُذُوْهُمْ وَاحْصُرُوْهُمْ وَاقْعُدُوْا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍ ۚ— فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَخَلُّوْا سَبِیْلَهُمْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟

फिर जब सम्मानित महीने बीत जाएँ, जिनमें तुमने अपने दुश्मनों को सुरक्षा प्रदान किया है, तो बहुदेववादियों (मुश्रिकों) को जहाँ कहीं भी पाओ, उन्हें क़त्ल करो, उन्हें पकड़ लो, उन्हें उनके गढ़ों में घेर लो और उनके रास्तों में उनकी घात में रहो। फिर यदि वे अल्लाह के समक्ष शिर्क से तौबा कर लें, नमाज़ स्थापित करें तथा ज़कात अदा करें, तो वे तुम्हारे इस्लामी भाई हो गए। इसलिए उनसे युद्ध करना छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदे को बहुत क्षमा करने वाला, उसपर अति दयावान् है। info
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6 : 9

وَاِنْ اَحَدٌ مِّنَ الْمُشْرِكِیْنَ اسْتَجَارَكَ فَاَجِرْهُ حَتّٰی یَسْمَعَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ اَبْلِغْهُ مَاْمَنَهٗ ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَعْلَمُوْنَ ۟۠

और यदि मुश्रिकों में से कोई व्यक्ति - जिसका रक्त और धन हलाल हो - आए और (ऐ रसूल!) आपसे शरण माँगे, तो उसके अनुरोध का जवाब दें, ताकि वह क़ुरआन सुन सके, फिर उसे ऐसे स्थान पर पहुँचा दें, जहाँ वह सुरक्षित हो। ऐसा इसलिए कि काफ़िर ऐसे लोग हैं, जो इस्लाम के तथ्यों को नहीं जानते हैं। इसलिए यदि वे क़ुरआन के पाठ को सुनकर उनसे अवगत हो जाएँगे, तो संभव है कि मार्गदर्शन ग्रहण कर लें। info
التفاسير:
daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• في الآيات دليل واضح على حرص الإسلام على تسوية العلاقات الخارجية مع الأعداء على أساس من السّلم والأمن والتّفاهم.
• इन आयतों में शांति, सुरक्षा और आपसी समझौते के आधार पर दुश्मनों के साथ विदेशी संबंधों को स्थापित करने के लिए इस्लाम की उत्सुकता का स्पष्ट प्रमाण है। info

• الإسلام يُقَدِّر العهود، ويوجب الوفاء بها، ويجعل حفظها نابعًا من الإيمان، وملازمًا لتقوى الله تعالى.
• इस्लाम अनुबंधों को महत्व देता है, उन्हें पूरा करने के लिए बाध्य करता है और उनके संरक्षण को ईमान से उत्पन्न तथा अविभाज्य रूप से अल्लाह के भय से संबंधित करता है। info

• أَنَّ إقامة الصّلاة وإيتاء الزّكاة دليل على الإسلام، وأنهما يعصمان الدّم والمال، ويوجبان لمن يؤدّيهما حقوق المسلمين من حفظ دمه وماله إلا بحق الإسلام؛ كارتكاب ما يوجب القتل من قتل النفس البريئة، وزنى الزّاني المُحْصَن، والرّدّة إلى الكفر بعد الإيمان.
• नमाज़ क़ायम करना और ज़कात देना इस्लाम का प्रमाण है, ये दोनों चीज़ें रक्त एवं धन को सुरक्षा प्रदान करती हैं तथा जो व्यक्ति इन दोनों का पालन करे, उसके लिए मुसलमानों के अधिकार अनिवार्य कर देती हैं, जैसै कि उसके रक्त एवं धन की रक्षा, सिवाय इस्लाम के अधिकार के; जैसे कोई ऐसा कार्य करना, जो क़त्ल को अनिवार्य कर देता है, जैसे कि किसी निर्दोष की हत्या करना, एक विवाहित व्यभिचारी का व्यभिचार करना और ईमान लाने के बाद कुफ़्र की ओर पलट जाना। info

• مشروعيّة الأمان؛ أي: جواز تأمين الحربي إذا طلبه من المسلمين؛ ليسمع ما يدلّ على صحّة الإسلام، وفي هذا سماحة وتكريم في معاملة الكفار، ودليل على إيثار السِّلم.
• अमान देने की वैधता : अर्थात हरबी काफिर को सुरक्षा प्रदान करने की अनुमति अगर वह मुसलमानों से इसका अनुरोध करे; ताकि वह इस्लाम की सत्यता को दर्शाने वाले प्रमाण सुन सके। इसमें काफ़िरों के साथ व्यवहार करने में सहिष्णुता और सम्मान है, और शांति को प्राथमिकता देने का प्रमाण है। info