Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Hindi ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

अल्-वाक़िआ़

daga cikin abunda Surar ta kunsa:
بيان أحوال العباد يوم المعاد.
क़ियामत के दिन बंदों की स्थितियों का वर्णन info

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1 : 56

اِذَا وَقَعَتِ الْوَاقِعَةُ ۟ۙ

जब अनिवार्य रूप से क़ियामत घटित हो जाएगी। info
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2 : 56

لَیْسَ لِوَقْعَتِهَا كَاذِبَةٌ ۟ۘ

कोई प्राणी ऐसा नहीं होगा, जो उसका इनकार करे, जैसे दुनिया में इनकार कर देता था। info
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3 : 56

خَافِضَةٌ رَّافِعَةٌ ۟ۙ

वह पापी काफ़िरों को जहन्नम में दाखिल करके उन्हें नीचा करने वाली, और पुनीत ईमान वालों को जन्नत में दाखिल करके उन्हें ऊँचा करने वाली होगी। info
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4 : 56

اِذَا رُجَّتِ الْاَرْضُ رَجًّا ۟ۙ

जब धरती को बहुत ज़ोर से हिलाया जाएगा। info
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5 : 56

وَّبُسَّتِ الْجِبَالُ بَسًّا ۟ۙ

और पहाड़ बिलकुल महीन-महीन कर दिए जाएँगे। info
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6 : 56

فَكَانَتْ هَبَآءً مُّنْۢبَثًّا ۟ۙ

सो वे चकना चूर होने के कारण बिखरी हुई धूल बन जाएँगे, जिसमें स्थिरता नहीं होगी। info
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7 : 56

وَّكُنْتُمْ اَزْوَاجًا ثَلٰثَةً ۟ؕ

और तुम उस दिन तीन प्रकार के लोग हो जाओगे। info
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8 : 56

فَاَصْحٰبُ الْمَیْمَنَةِ ۙ۬— مَاۤ اَصْحٰبُ الْمَیْمَنَةِ ۟ؕ

तो दाहिने हाथ वाले, जो अपने कर्मपत्र दाहिने हाथ से लेंगे। उनका पद कितना ऊँचा और महान है! info
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9 : 56

وَاَصْحٰبُ الْمَشْـَٔمَةِ ۙ۬— مَاۤ اَصْحٰبُ الْمَشْـَٔمَةِ ۟ؕ

और बाएँ हाथ वाले, जो अपने कर्मपत्र बाएँ हाथ से लेंगे। उनकी स्थिति कितनी हीन और बदतर है! info
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10 : 56

وَالسّٰبِقُوْنَ السّٰبِقُوْنَ ۟ۙ

और जो लोग दुनिया में नेक काम करने में पहल करने वाले हैं, वही लोग आख़िरत में जन्नत में प्रवेश करने में दूसरों से आगे रहने वाले हैं। info
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11 : 56

اُولٰٓىِٕكَ الْمُقَرَّبُوْنَ ۟ۚ

यही लोग अल्लाह की (विशेष) निकटता प्राप्त किए हुए हैं। info
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12 : 56

فِیْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟

वे नेमत के बाग़ों में विभिन्न प्रकार की नेमतों का आनंद लेते होंगे। info
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13 : 56

ثُلَّةٌ مِّنَ الْاَوَّلِیْنَ ۟ۙ

इस उम्मत (के अगले लोगों) में से और पिछली उम्मतों में से एक समूह होगा। info
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14 : 56

وَقَلِیْلٌ مِّنَ الْاٰخِرِیْنَ ۟ؕ

और आखिरी ज़माने के थोड़े लोग ही आगे रहने वाले समीपवर्ती लोगों में से होंगे। info
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15 : 56

عَلٰی سُرُرٍ مَّوْضُوْنَةٍ ۟ۙ

सोने से बुने हुए पलंगों पर। info
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16 : 56

مُّتَّكِـِٕیْنَ عَلَیْهَا مُتَقٰبِلِیْنَ ۟

इन पलंगों पर तकिया लगाए आमने-सामने बैठे होंगे। उनमें से कोई दूसरे की पीठ को नहीं देखेगा। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• دوام تذكر نعم الله وآياته سبحانه موجب لتعظيم الله وحسن طاعته.
• अल्लाह की नेमतों और उसकी निशानियों को निरंतर याद करना, अल्लाह की महिमा करने और उसकी अच्छी आज्ञाकारिता करने का कारण है। info

• انقطاع تكذيب الكفار بمعاينة مشاهد القيامة.
• क़ियामत के दृश्यों के देखकर काफ़िरों का इनकार करना रुक जाएगा। info

• تفاوت درجات أهل الجنة بتفاوت أعمالهم.
• जन्नत के लोगों के दर्जे उनके कार्यों में भिन्नता के अनुसार अलग-अलग होंगे। info

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17 : 56

یَطُوْفُ عَلَیْهِمْ وِلْدَانٌ مُّخَلَّدُوْنَ ۟ۙ

उनके पास उनकी सेवा के लिए ऐसे बालक घूम रहे होंगे, जो न कभी बूढ़े होंगे और न मरेंगे। info
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18 : 56

بِاَكْوَابٍ وَّاَبَارِیْقَ ۙ۬— وَكَاْسٍ مِّنْ مَّعِیْنٍ ۟ۙ

वे उनके आस-पास ऐसे प्यालों के साथ जिनके दस्ते नहीं होते, ऐसी सुराहियों के साथ जिनके दस्ते होते हैं और छलकते जाम लेकर फिर रहे होंगे, जो जन्नत में बहने वाली शराब के होंगे, जिनके सोते कभी बंद नहीं होंगे। info
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19 : 56

لَّا یُصَدَّعُوْنَ عَنْهَا وَلَا یُنْزِفُوْنَ ۟ۙ

वह मदिरा दुनिया की मदिरा की तरह नहीं होगी। क्योंकि उसके पीने वाले को न सिर दर्द होगा और न ही उसकी बुद्धि प्रभावित होगी। info
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20 : 56

وَفَاكِهَةٍ مِّمَّا یَتَخَیَّرُوْنَ ۟ۙ

और ये बालक उनके पास उनकी पसंद के फल लेकर फिर रहे होंगे। info
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21 : 56

وَلَحْمِ طَیْرٍ مِّمَّا یَشْتَهُوْنَ ۟ؕ

तथा पक्षियों का मांस लेकर फिर रहे होंगे, जिसकी वे इच्छा रखते हैं। info
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22 : 56

وَحُوْرٌ عِیْنٌ ۟ۙ

और उनके लिए जन्नत में बड़ी आँखों वाली सुंदर स्त्रियाँ होंगी। info
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23 : 56

كَاَمْثَالِ اللُّؤْلُو الْمَكْنُوْنِ ۟ۚ

सीपियों में संरक्षित मोतियों की तरह। info
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24 : 56

جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟

उनके लिए उन अच्छे कर्मों के प्रतिफल के तौर पर जो वे दुनिया में किया करते थे। info
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25 : 56

لَا یَسْمَعُوْنَ فِیْهَا لَغْوًا وَّلَا تَاْثِیْمًا ۟ۙ

वे जन्नत में अश्लील बातें नहीं सुनेंगे, और न ही कोई ऐसी बात जिसके कहने वाले को पाप लगे। info
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26 : 56

اِلَّا قِیْلًا سَلٰمًا سَلٰمًا ۟

वे केवल अपने आपपर फ़रिश्तों का सलाम और उनका आपस में एक-दूसरे को सलाम करना सुनेंगे। info
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27 : 56

وَاَصْحٰبُ الْیَمِیْنِ ۙ۬— مَاۤ اَصْحٰبُ الْیَمِیْنِ ۟ؕ

और दाहिने हाथ वाले - जो अपने कर्मपत्र अपने दाहिने हाथ में दिए जाएँगे - अल्लाह के निकट उनकी स्थिति और उनका पद कितना महान है! info
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28 : 56

فِیْ سِدْرٍ مَّخْضُوْدٍ ۟ۙ

(वे) ऐसी बेरियों में होंगे जिनके काँटे काटे हुए हैं, उनमें कोई कष्ट नहीं है। info
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29 : 56

وَّطَلْحٍ مَّنْضُوْدٍ ۟ۙ

और परत दर परत लगे हुए केलों में। info
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30 : 56

وَّظِلٍّ مَّمْدُوْدٍ ۟ۙ

और ऐसी छाया में जो अच्छी तरह फैली हुई, निरंतर रहने वाली है, जो कभी समाप्त न होगी। info
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31 : 56

وَّمَآءٍ مَّسْكُوْبٍ ۟ۙ

और सदा बहते पानी में। info
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32 : 56

وَّفَاكِهَةٍ كَثِیْرَةٍ ۟ۙ

तथा ढेर सारे फलों में जो सीमित नहीं हैं। info
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33 : 56

لَّا مَقْطُوْعَةٍ وَّلَا مَمْنُوْعَةٍ ۟ۙ

ये फल उनके पास से कभी समाप्त नहीं होंगे। क्योंकि उनका कोई मौसम नहीं होगा। तथा जब भी वे उन्हें लेना चाहेंगे, उसमें कोई बाधा नहीं होगी। info
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34 : 56

وَّفُرُشٍ مَّرْفُوْعَةٍ ۟ؕ

और पलंगों पर लगे ऊँचे बिस्तरों पर (होंगे)। info
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35 : 56

اِنَّاۤ اَنْشَاْنٰهُنَّ اِنْشَآءً ۟ۙ

हमने उपर्युक्त हूरों को असामान्य तरीके से बनाया है। info
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36 : 56

فَجَعَلْنٰهُنَّ اَبْكَارًا ۟ۙ

चुनाँचे हमने उन्हें कुँवारियाँ बनाया, जिन्हें पहले छुआ नहीं गया। info
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37 : 56

عُرُبًا اَتْرَابًا ۟ۙ

जो अपने पतियों को प्रिय और समान उम्र वाली हैं। info
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38 : 56

لِّاَصْحٰبِ الْیَمِیْنِ ۟ؕ۠

हमने उन्हें दाहिने हाथ वालों के लिए बनाया है, जिन्हें उनके सौभाग्यशाली होने की निशानी के तौर पर दाईं ओर ले जाया जाएगा। info
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39 : 56

ثُلَّةٌ مِّنَ الْاَوَّلِیْنَ ۟ۙ

वे पिछले नबियों की उम्मतों में से एक समूह हैं। info
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40 : 56

وَثُلَّةٌ مِّنَ الْاٰخِرِیْنَ ۟ؕ

तथा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत में से एक समूह हैं, जो किअंतिम उम्मत है। info
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41 : 56

وَاَصْحٰبُ الشِّمَالِ ۙ۬— مَاۤ اَصْحٰبُ الشِّمَالِ ۟ؕ

और बाएँ हाथ वाले - जो अपने कर्मपत्र अपने बाएँ हाथ में दिए जाएँगे - उनकी स्थिति और उनका परिणाम कितना खराब है! info
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42 : 56

فِیْ سَمُوْمٍ وَّحَمِیْمٍ ۟ۙ

(वे) बहुत गर्म हवा में और बहुत गर्म पानी में (होंगे)। info
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43 : 56

وَّظِلٍّ مِّنْ یَّحْمُوْمٍ ۟ۙ

और काले धुएँ की छाया में होंगे। info
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44 : 56

لَّا بَارِدٍ وَّلَا كَرِیْمٍ ۟

जो न चलते हुए सुहावनी होगी और न अच्छा दिखने वाली होगी। info
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45 : 56

اِنَّهُمْ كَانُوْا قَبْلَ ذٰلِكَ مُتْرَفِیْنَ ۟ۚۖ

वे इस यातना तक पहुँचने से पहले, दुनिया की सुख-सुविधाओं का आनंद ले रहे थे, उन्हें अपनी इच्छाओं की पूर्ति के सिवा किसी चीज़ की परवाह नहीं थी। info
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46 : 56

وَكَانُوْا یُصِرُّوْنَ عَلَی الْحِنْثِ الْعَظِیْمِ ۟ۚ

और वे अल्लाह का इनकार करने और उसे छोड़कर मूर्तियों की पूजा करने पर अड़े रहते थे। info
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47 : 56

وَكَانُوْا یَقُوْلُوْنَ ۙ۬— اَىِٕذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَبْعُوْثُوْنَ ۟ۙ

और वे मरने के बाद पुनः जीवित किए जाने का इनकार करते थे। चुनाँचे उसका मज़ाक उड़ाते हुए और उसे असंभव समझते हुए कहते थे : क्या जब हम मर जाएँगे तथा मिट्टी और सड़ी हुई हड्डियाँ बन जाएँगे, तो क्या हम उसके बाद फिर से जीवित करके उठाए जाएँगे?! info
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48 : 56

اَوَاٰبَآؤُنَا الْاَوَّلُوْنَ ۟

और क्या हमारे पहले बाप-दादा भी उठाए जाएँगे, जो हमसे पहले मर गए?! info
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49 : 56

قُلْ اِنَّ الْاَوَّلِیْنَ وَالْاٰخِرِیْنَ ۟ۙ

(ऐ रसूल!) आप इन पुनर्जीवन का इनकार करने वाले लोगों से कह दें : निःसंदेह अगले और पिछले (सभी) लोग। info
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50 : 56

لَمَجْمُوْعُوْنَ ۙ۬— اِلٰی مِیْقَاتِ یَوْمٍ مَّعْلُوْمٍ ۟

क़ियामत के दिन हिसाब और बदले के लिए निश्चित रूप से एकत्र किए जाएँगे। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• العمل الصالح سبب لنيل النعيم في الآخرة.
• अच्छा कर्म आख़िरत में आनंद प्राप्त करने का कारण है। info

• الترف والتنعم من أسباب الوقوع في المعاصي.
• विलासिता और सुख-सुविधापूर्ण जीवन बिताना, पापों में पड़ने के कारणों में से एक है। info

• خطر الإصرار على الذنب.
• गुनाह पर बने रहने का खतरा। info

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51 : 56

ثُمَّ اِنَّكُمْ اَیُّهَا الضَّآلُّوْنَ الْمُكَذِّبُوْنَ ۟ۙ

51-52 - फिर निःसंदेह (ऐ मरणोपरांत पुनः जीवित किए जाने का इनकार करने वालो! सीधे मार्ग से भटके हुए लोगो!) तुम निश्चय क़ियामत के दिन ज़क़्क़ूम (थूहड़) के वृक्ष का फल खाने वाले हो, जो कि सबसे बुरा और सबसे गंदा फल है। info
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52 : 56

لَاٰكِلُوْنَ مِنْ شَجَرٍ مِّنْ زَقُّوْمٍ ۟ۙ

51-52 - फिर निःसंदेह (ऐ मरणोपरांत पुनः जीवित किए जाने का इनकार करने वालो! सीधे मार्ग से भटके हुए लोगो!) तुम निश्चय क़ियामत के दिन ज़क़्क़ूम (थूहड़) के वृक्ष का फल खाने वाले हो, जो कि सबसे बुरा और सबसे गंदा फल है। info
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53 : 56

فَمَالِـُٔوْنَ مِنْهَا الْبُطُوْنَ ۟ۚ

फिर उस कड़वे पेड़ (के फल) से अपने खाली पेट भरने वाले हो। info
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54 : 56

فَشٰرِبُوْنَ عَلَیْهِ مِنَ الْحَمِیْمِ ۟ۚ

फिर उसपर अत्यधिक गर्म (खौलता हुआ) पानी पीने वाले हो। info
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55 : 56

فَشٰرِبُوْنَ شُرْبَ الْهِیْمِ ۟ؕ

फिर उसे बहुत ज़्यादा पीने वाले हो, जिस तरह न बुझने वाले प्यास के रोग से पीड़ित ऊँट पीता चला जाता है। info
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56 : 56

هٰذَا نُزُلُهُمْ یَوْمَ الدِّیْنِ ۟ؕ

यह उल्लेख किया गया कड़वा भोजन और गर्म पानी उनका आतिथ्य है, जिसके साथ बदले के दिन उनका स्वागत किया जाएगा। info
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57 : 56

نَحْنُ خَلَقْنٰكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُوْنَ ۟

हम ही ने (ऐ झुठलाने वालो!) तुम्हें पैदा किया, जबकि तुम कुछ नहीं थे। फिर तुम क्यों सच नहीं मानते कि हम तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हें दोबारा जीवित करके उठाएँगे?! info
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58 : 56

اَفَرَءَیْتُمْ مَّا تُمْنُوْنَ ۟ؕ

तो क्या (ऐ लोगो!) तुमने उस वीर्य पर विचार किया, जो तुम अपनी स्त्रियों के गर्भाशयों में टपकाते हो?! info
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59 : 56

ءَاَنْتُمْ تَخْلُقُوْنَهٗۤ اَمْ نَحْنُ الْخٰلِقُوْنَ ۟

क्या तुम उस वीर्य को पैदा करते हो या हम ही उसे पैदा करते हैं?! info
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60 : 56

نَحْنُ قَدَّرْنَا بَیْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوْقِیْنَ ۟ۙ

हम ही ने तुम्हारे बीच मृत्यु का समय निश्चित किया है। चुनाँचे तुममें से प्रत्येक व्यक्ति का एक निर्धारित समय है, जिससे वह न आगे बढ़ सकता है और न ही देर कर सकता है। और हम असमर्थ नहीं हैं। info
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61 : 56

عَلٰۤی اَنْ نُّبَدِّلَ اَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِیْ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟

कि हम तुम्हारी वर्तमान रचना और रूप को, जिसे तुम जानते हो, बदल दें और तुम्हें ऐसी रचना और रूप में पैदा कर दें, जिसे तुम नहीं जानते। info
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62 : 56

وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْاَةَ الْاُوْلٰی فَلَوْلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟

निश्चय तुम तो यह जान चुके हो कि हमने तुम्हें पहली बार कैसे पैदा किया, फिर तुम विचार क्यों नहीं करते और जानते कि जिसने तुम्हें पहली बार पैदा किया है, वह तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हें पुनर्जीवित करने में सक्षम है?! info
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63 : 56

اَفَرَءَیْتُمْ مَّا تَحْرُثُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस बीज पर विचार किया जो तुम धरती में डालते हो?! info
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64 : 56

ءَاَنْتُمْ تَزْرَعُوْنَهٗۤ اَمْ نَحْنُ الزّٰرِعُوْنَ ۟

क्या तुम उस बीज को उगाते हो, या हम ही हैं जो उसे उगाते हैं?! info
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65 : 56

لَوْ نَشَآءُ لَجَعَلْنٰهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُوْنَ ۟

यदि हम उस खेती को चूर-चूर करना चाहें, तो उसके पकने और काटे जाने के निकट होने के बाद, अवश्य उसे चूर-चूर कर दें। फिर उसके बाद तुम उसे पहुँचने वाली आपदा पर आश्चर्य करते रह जाओ। info
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66 : 56

اِنَّا لَمُغْرَمُوْنَ ۟ۙ

तुम कहने लगो : हमने जो कुछ खर्च किया था, उसकी हानि के द्वारा हमें दंडित किया गया है। info
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67 : 56

بَلْ نَحْنُ مَحْرُوْمُوْنَ ۟

बल्कि हम रोज़ी से वंचित कर दिए गए हैं। info
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68 : 56

اَفَرَءَیْتُمُ الْمَآءَ الَّذِیْ تَشْرَبُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस पानी पर विचार किया, जो तुम प्यास लगने पर पीते हो?! info
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69 : 56

ءَاَنْتُمْ اَنْزَلْتُمُوْهُ مِنَ الْمُزْنِ اَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُوْنَ ۟

क्या तुमने उसे आसमान में बादलों से उतारा है, या हम ही ने उसे उतारा है?! info
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70 : 56

لَوْ نَشَآءُ جَعَلْنٰهُ اُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُوْنَ ۟

अगर हम उस पानी को अत्यंत खारा बनाना चाहें कि वह पीने या पानी देने के काम न आए, तो हम उसे अत्यंत खारा बना दें। फिर तुम अल्लाह का शुक्र अदा क्यों नहीं करते कि उसने तुमपर दया करते हुए मीठा पानी उतारा है?! info
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71 : 56

اَفَرَءَیْتُمُ النَّارَ الَّتِیْ تُوْرُوْنَ ۟ؕ

फिर क्या तुमने उस आग पर विचार किया जिसे तुम अपने फायदे के लिए जलाते हो?! info
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72 : 56

ءَاَنْتُمْ اَنْشَاْتُمْ شَجَرَتَهَاۤ اَمْ نَحْنُ الْمُنْشِـُٔوْنَ ۟

क्या तुमने उस पेड़ को पैदा किया है, जिससे आग जलाई जाती है, या हम ही ने उसे तुमपर दया के स्वरूप पैदा किया है?! info
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73 : 56

نَحْنُ جَعَلْنٰهَا تَذْكِرَةً وَّمَتَاعًا لِّلْمُقْوِیْنَ ۟ۚ

हमने इस आग को तुम्हारे लिए आख़िरत की आग की याद दिलाने के लिए एक अनुस्मारक बना दिया है, तथा हमने इसे तुम्हारे यात्रियों के लिए एक लाभ बना दिया है। info
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74 : 56

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِیْمِ ۟

अतः (ऐ रसूल) आप अपने महान पालनहार को उन चीज़ों से पवित्र ठहराएँ , जो उसके योग्य नहीं हैं। info
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75 : 56

فَلَاۤ اُقْسِمُ بِمَوٰقِعِ النُّجُوْمِ ۟ۙ

अल्लाह ने सितारों के स्थानों और उनके गिरने की जगहों की क़सम खाई है। info
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76 : 56

وَاِنَّهٗ لَقَسَمٌ لَّوْ تَعْلَمُوْنَ عَظِیْمٌ ۟ۙ

और निःसंदेह इन स्थानों की क़सम खाना (यदि तुम उसकी महानता जानते हो) बहुत बड़ी बात है; क्योंकि इनके अंदर अनगिनत निशानियाँ और पाठ मौजूद हैं। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• دلالة الخلق الأول على سهولة البعث ظاهرة.
• दोबारा जीवित करके उठाने के आसान होने पर पहली बार पैदा करने का संकेत स्पष्ट है। info

• إنزال الماء وإنبات الأرض والنار التي ينتفع بها الناس نعم تقتضي من الناس شكرها لله، فالله قادر على سلبها متى شاء.
• बारिश बरसाना, धरती पर पौधे उगाना और आग जिससे लोग लाभ उठाते हैं, ऐसी नेमतें हैं, जो लोगों से यह अपेक्षा करती हैं कि वे उनपर अल्लाह का शुक्र अदा करें; क्योंकि अल्लाह जब चाहे उन्हें छीन लेने में सक्षम है। info

• الاعتقاد بأن للكواكب أثرًا في نزول المطر كُفْرٌ، وهو من عادات الجاهلية.
• यह मानना कि ग्रहों का बारिश के उतरने में कोई प्रभाव है, कुफ़्र है। और यह जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामी युग) के रीति-रिवाजों में से एक है। info

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77 : 56

اِنَّهٗ لَقُرْاٰنٌ كَرِیْمٌ ۟ۙ

निश्चय (ऐ लोगो!) तुम्हारे सामने पढ़ा जाने वाला यह क़ुरआन, एक सम्मानित एवं प्रतिष्ठित क़ुरआन है। क्योंकि इसमें महान लाभ निहित हैं। info
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78 : 56

فِیْ كِتٰبٍ مَّكْنُوْنٍ ۟ۙ

एक ऐसी किताब में अंकित है, जो लोगों की निगाहों से सुरक्षित है। और वह 'लौहे महफ़ूज़' है। info
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79 : 56

لَّا یَمَسُّهٗۤ اِلَّا الْمُطَهَّرُوْنَ ۟ؕ

उसे केवल वे फरिशते छूते हैं, जो गुनाहों और दोषों से पवित्र किए गए हैं। info
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80 : 56

تَنْزِیْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟

यह सारी सृष्टि के पालनहार की ओर से उसके नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा गया है। info
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81 : 56

اَفَبِهٰذَا الْحَدِیْثِ اَنْتُمْ مُّدْهِنُوْنَ ۟ۙ

तो फिर क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम इस वाणी को झुठलाने वाले हो, उसकी पुष्टि करने वाले नहीं हो?! info
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82 : 56

وَتَجْعَلُوْنَ رِزْقَكُمْ اَنَّكُمْ تُكَذِّبُوْنَ ۟

और तुम अल्लाह की दी हुई नेमतों पर उसका शुक्र इस तरह अदा करते हो कि उन्हें झुठला देते हो। इसलिए बारिश का श्रेय नक्षत्र को देते हो और कहते हो : हमपर अमुक और अमुक नक्षत्र के कारण बारिश हुई?! info
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83 : 56

فَلَوْلَاۤ اِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُوْمَ ۟ۙ

फिर क्यों नहीं जब रूह (आत्मा) गले को पहुँचती है। info
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84 : 56

وَاَنْتُمْ حِیْنَىِٕذٍ تَنْظُرُوْنَ ۟ۙ

और उस समय तुम अपने सामने मरने वाले को देख रहे होते हो। info
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85 : 56

وَنَحْنُ اَقْرَبُ اِلَیْهِ مِنْكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُبْصِرُوْنَ ۟

और हम अपने ज्ञान और सामर्थ्य से और अपने फ़रिश्तों के माध्यम से, तुम्हारे मरने वाले के तुमसे अधिक निकट होते हैं, लेकिन तुम इन फ़रिश्तों को नहीं देखते। info
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86 : 56

فَلَوْلَاۤ اِنْ كُنْتُمْ غَیْرَ مَدِیْنِیْنَ ۟ۙ

फिर क्यों नहीं (यदि तुम, अपने दावे के अनुसार, अपने कर्मों का बदला दिए जाने के लिए उठाए जाने वाले नहीं हो) info
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87 : 56

تَرْجِعُوْنَهَاۤ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

इस आत्मा को वापस ले आते, जो तुम्हारे मरने वाले के शरीर से निकली है, यदि तुम सच्चे हो?! हालाँकि तुम ऐसा नहीं कर सकते। info
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88 : 56

فَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِیْنَ ۟ۙ

फिर अगर वह मरने वाला व्यक्ति अच्छे कामों में पहल करने वालों में से है। info
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89 : 56

فَرَوْحٌ وَّرَیْحَانٌ ۙ۬— وَّجَنَّتُ نَعِیْمٍ ۟

तो उसके लिए ऐसा आराम जिसके बाद कोई थकान नहीं, उत्तम रोज़ी और दया है, तथा उसके लिए ऐसी जन्नत है, जिसमें वह अपनी मनचाही चीज़ों का आनंद लेगा। info
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90 : 56

وَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنْ اَصْحٰبِ الْیَمِیْنِ ۟ۙ

90-91 - और अगर वह मृतक दाहिने हाथ वालों में से है, तो उनकी चिंता न करें। क्योंकि उनके लिए सुरक्षा और शांति है। info
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91 : 56

فَسَلٰمٌ لَّكَ مِنْ اَصْحٰبِ الْیَمِیْنِ ۟

90-91 - और अगर वह मृतक दाहिने हाथ वालों में से है, तो उनकी चिंता न करें। क्योंकि उनके लिए सुरक्षा और शांति है। info
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92 : 56

وَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِیْنَ الضَّآلِّیْنَ ۟ۙ

और अगर वह मृतक अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म को झुठलाने वालों और सीधे मार्ग से भटके हुए लोगों में से है। info
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93 : 56

فَنُزُلٌ مِّنْ حَمِیْمٍ ۟ۙ

तो उसका आतिथ्य जिसके साथ उसका स्वागत किया जाएगा, अत्यंत गर्म पानी है। info
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94 : 56

وَّتَصْلِیَةُ جَحِیْمٍ ۟

और उसे जहन्नम की आग में जलना है। info
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95 : 56

اِنَّ هٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْیَقِیْنِ ۟ۚ

निःसंदेह यह जो हमने (ऐ रसूल!) आपके सामने बयान किया है, यही निश्चित सत्य है, जो निर्विवाद एवं संदेह रहित है। info
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96 : 56

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِیْمِ ۟۠

अतः आप अपने महान रब के नाम की पवित्रता का गुणगान कीजिए तथा उसे हर प्रकार के दोषों और त्रुटियों से पाक ठहराईये। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• شدة سكرات الموت وعجز الإنسان عن دفعها.
• प्राण निकलते समय की पीड़ा की गंभीरता और इनसान का उसे टालने में असमर्थ होना। info

• الأصل أن البشر لا يرون الملائكة إلا إن أراد الله لحكمة.
• मूल सिद्धांत यह है कि मनुष्य फ़रिश्तों को नहीं देखते, सिवाय इसके कि अल्लाह किसी हिकमत के तहत दिखाना चाहे। info

• أسماء الله (الأول، الآخر، الظاهر، الباطن) تقتضي تعظيم الله ومراقبته في الأعمال الظاهرة والباطنة.
• अल्लाह के नामों (अव्वल, आख़िर, ज़ाहिर तथा बातिन) की अपेक्षा यह है कि अल्लाह का सम्मान किया जाए और खुले तथा छिपे सभी कामों में उसके निरीक्षण का ध्यान रखा जाए। info