Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Hindi ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

अन्-नज्म

daga cikin abunda Surar ta kunsa:
إثبات صدق الوحي وأنه من عند الله.
वह़्य की सत्यता को सिद्ध करना और यह कि वह़्य अल्लाह की ओर से है। info

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1 : 53

وَالنَّجْمِ اِذَا هَوٰی ۟ۙ

अल्लाह ने सितारे की क़सम खाई है, जब वह गिरे। info
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2 : 53

مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمْ وَمَا غَوٰی ۟ۚ

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम न हिदायत के रास्ते से भठके हैं और न टेढ़ी राह पर चले हैं, बल्कि वह सीधे रास्ते पर क़ायम हैं। info
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3 : 53

وَمَا یَنْطِقُ عَنِ الْهَوٰی ۟ؕۚ

और वह इस क़ुरआन को अपनी इच्छा से नहीं बोलते हैं। info
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4 : 53

اِنْ هُوَ اِلَّا وَحْیٌ یُّوْحٰی ۟ۙ

यह क़ुरआन तो केवल वह़्य (प्रकाशना) है, जिसे अल्लाह जिबरील अलैहिस्सलाम के माध्यम से आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारता है। info
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5 : 53

عَلَّمَهٗ شَدِیْدُ الْقُوٰی ۟ۙ

उसे आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को एक बहुत मज़बूत शक्ति वाले फ़रिश्ते अर्थात् जिबरील अलैहिस्सलाम ने सिखाया है। info
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6 : 53

ذُوْ مِرَّةٍ ؕ— فَاسْتَوٰی ۟ۙ

जिबरील अलैहिस्सलाम अच्छी आकृति वाले हैं। चुनाँचे वह अपने उस मूल स्वरूप में जिसमें अल्लाह ने उन्हें बनाया है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सामने प्रकट हुए। info
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7 : 53

وَهُوَ بِالْاُفُقِ الْاَعْلٰی ۟ؕ

और जिबरील अलैहिस्सलाम आकाश के सब से ऊँचे क्षितिज (किनारे) पर थे। info
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8 : 53

ثُمَّ دَنَا فَتَدَلّٰی ۟ۙ

फिर जिबरील अलैहिस्सलाम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के निकट आए, सो वह आपके और भी करीब हो गए। info
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9 : 53

فَكَانَ قَابَ قَوْسَیْنِ اَوْ اَدْنٰی ۟ۚ

फिर आपसे उनकी निकटता दो कमानों के बराबर थी या वह उससे भी अधिक निकट थे। info
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10 : 53

فَاَوْحٰۤی اِلٰی عَبْدِهٖ مَاۤ اَوْحٰی ۟ؕ

फिर जिबरील ने अल्लाह के बंदे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की। info
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11 : 53

مَا كَذَبَ الْفُؤَادُ مَا رَاٰی ۟

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दिल ने उसे झूठ नहीं कहा जो आपकी आँखों ने देखा। info
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12 : 53

اَفَتُمٰرُوْنَهٗ عَلٰی مَا یَرٰی ۟

फिर क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से उस चीज़ के बारे में झगड़ते हो, जो अल्लाह ने उन्हें 'इसरा' की रात को दिखाया?! info
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13 : 53

وَلَقَدْ رَاٰهُ نَزْلَةً اُخْرٰی ۟ۙ

हालाँकि निश्चय मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जिबरील को उनके असली रूप में एक और बार 'इसरा' की रात में देखा है। info
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14 : 53

عِنْدَ سِدْرَةِ الْمُنْتَهٰی ۟

सिदरतुल मुनतहा' के पास। 'सिदरतुल मुनतहा' एक बहुत ही बड़ा पेड़ है, जो सातवें आसमान में है। info
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15 : 53

عِنْدَهَا جَنَّةُ الْمَاْوٰی ۟ؕ

इसी पेड़ के पास 'जन्नतुल मावा' है। info
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16 : 53

اِذْ یَغْشَی السِّدْرَةَ مَا یَغْشٰی ۟ۙ

जब 'सिदरा' पर अल्लाह के आदेश से एक महान वस्तु छा रही थी, जिसकी वास्तविकता केवल अल्लाह ही जानता है। info
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17 : 53

مَا زَاغَ الْبَصَرُ وَمَا طَغٰی ۟

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की निगाह दाएँ-बाएँ नहीं गई और न उस सीमा से आगे बढ़ी, जो उनके लिए निर्धारित की गई थी। info
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18 : 53

لَقَدْ رَاٰی مِنْ اٰیٰتِ رَبِّهِ الْكُبْرٰی ۟

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने 'मे'राज' की रात अपने पालनहार की कुछ बड़ी-बड़ी निशानियाँ देखीं, जो उसकी शक्ति का संकेत देती हैं। चुनाँचे आपने जन्नत, जहन्नम और अन्य कई चीज़ें देखीं। info
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19 : 53

اَفَرَءَیْتُمُ اللّٰتَ وَالْعُزّٰی ۟ۙ

फिर क्या (ऐ मुश्रिको!) तुमने इन मूर्तियों : लात और उज़्ज़ा के बारे में सोचा, जिन्हें तुम अल्लाह के अलावा पूजते हो?! info
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20 : 53

وَمَنٰوةَ الثَّالِثَةَ الْاُخْرٰی ۟

तथा (क्या तुमने) अपनी मूर्तियों में से एक तीसरी मूर्ति मनात पर (विचार किया?)।मुझे बताओ कि क्या ये तुम्हारे लिए किसी लाभ या हानि की मालिक हैं?! info
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21 : 53

اَلَكُمُ الذَّكَرُ وَلَهُ الْاُ ۟

क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम्हारे लिए लड़का है, जो तुम्हें पसंद है और पवित्र अल्लाह के लिए लड़की है, जिसे तुम नापसंद करते हो?! info
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22 : 53

تِلْكَ اِذًا قِسْمَةٌ ضِیْزٰی ۟

यह बँटवारा जो तुमने अपनी इच्छाओं के अनुसार किया है, एक अनुचित (अन्यायपूर्ण) बँटवारा है। info
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23 : 53

اِنْ هِیَ اِلَّاۤ اَسْمَآءٌ سَمَّیْتُمُوْهَاۤ اَنْتُمْ وَاٰبَآؤُكُمْ مَّاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَمَا تَهْوَی الْاَنْفُسُ ۚ— وَلَقَدْ جَآءَهُمْ مِّنْ رَّبِّهِمُ الْهُدٰی ۟ؕ

ये मूर्तियाँ कुछ अर्थहीन नामों के सिवा कुछ नहीं हैं। इनके अंदर पूज्य होने की कोई विशेषता नहीं पाई जाती। तुमने और तुम्हारे बाप-दादाओं ने अपनी ओर से इनके नाम रख लिए हैं, अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा। ये मुश्रिक लोग अपनी आस्था में केवल अटकल का और उन चीज़ों का अनुसरण कर रहे हैं, जो उनके मन की इच्छा होती है, जिसे शैतान ने उनके दिलों में सुंदर बना दिया है। जबकि निश्चय उनके पास उनके पालनहार की ओर से उसके नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के माध्यम से मार्गदर्शन आ चुका है, परंतु उन्होंने उसे नहीं अपनाया। info
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24 : 53

اَمْ لِلْاِنْسَانِ مَا تَمَنّٰی ۟ؗۖ

क्या इनसान के लिए वह कुछ है जिसकी वह कामना करे कि मूर्तियाँ अल्लाह के पास सिफ़ारिश करेंगी?! info
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25 : 53

فَلِلّٰهِ الْاٰخِرَةُ وَالْاُوْلٰی ۟۠

नहीं, उसके लिए वह कुछ नहीं है, जिसकी वह कामना करे। क्योंकि दुनिया और आख़िरत केवल अल्लाह के हाथ में हैं। वह उन दोनों में से जो चाहता है, देता है और जो चाहता है, रोक लेता है। info
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26 : 53

وَكَمْ مِّنْ مَّلَكٍ فِی السَّمٰوٰتِ لَا تُغْنِیْ شَفَاعَتُهُمْ شَیْـًٔا اِلَّا مِنْ بَعْدِ اَنْ یَّاْذَنَ اللّٰهُ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَرْضٰی ۟

और आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते हैं, जिनकी सिफ़ारिश से कोई फ़ायदा नहीं होता, यदि वे किसी के लिए सिफ़ारिश करना चाहें, परंतु इसके बाद कि अल्लाह उनमें से जिसके लिए चाहे सिफ़ारिश करने की अनुमति प्रदान कर दे और जिस के लिए सिफ़ारिश की जाती है, उससे संतुष्ट हो जाए। अतः अल्लाह उसे सिफ़ारिश करने की अनुमति हरगिज़ नहीं देगा, जिसने अल्लाह का साझी ठहराया है और जिसकी वह सिफ़ारिश कर रहा है, उससे वह संतुष्ट नहीं होगा यदि वह अल्लाह को छोड़कर किसी और की उपासना करता है। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• كمال أدب النبي صلى الله عليه وسلم حيث لم يَزغْ بصره وهو في السماء السابعة.
• अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का परम शिष्टाचार, क्योंकि जब आप सातवें आसमान में थे, तो आपकी नज़र इधर-उधर नहीं गई। info

• سفاهة عقل المشركين حيث عبدوا شيئًا لا يضر ولا ينفع، ونسبوا لله ما يكرهون واصطفوا لهم ما يحبون.
• मुश्रिकों की मूर्खता कि उन्होंने ऐसी वस्तु की इबादत की, जो न नुकसान पहुँचा सकती न लाभ, तथा अल्लाह की ओर उस चीज़ को मनसूब कर दिया, जिसे खुद नापसंद करते हैं और अपने लिए उस चीज़ को चुन लिया, जो उन्हें पसंद है। info

• الشفاعة لا تقع إلا بشرطين: الإذن للشافع، والرضا عن المشفوع له.
• सिफ़ारिश दो शर्तों के साथ ही हो सकती है : सिफ़ारिश करने वाले को उसकी अनुमति मिली हो और अल्लाह उस व्यक्ति से राज़ी हो जिसके हक़ में सिफ़ारिश की जा रही है। info

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27 : 53

اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ لَیُسَمُّوْنَ الْمَلٰٓىِٕكَةَ تَسْمِیَةَ الْاُ ۟

जो लोग आख़िरत में दोबारा जीवित किए जाने पर ईमान नहीं रखते, वे फ़रिश्तों को स्त्रियों का नाम देते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि वे अल्लाह की पुत्रियाँ हैं। अल्लाह उनकी इस बात से बहुत ऊँचा है। info
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28 : 53

وَمَا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ ۚ— وَاِنَّ الظَّنَّ لَا یُغْنِیْ مِنَ الْحَقِّ شَیْـًٔا ۟ۚ

हालाँकि उनके पास फ़रिश्तों को स्त्रियों के नाम देने के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, जिसका वे सहारा ले सकें। वे इस मामले में केवल अटकल और भ्रम का पालन करते हैं। और अटकल सत्य के मुक़ाबले में कुछ भी लाभ नहीं देता कि उसका स्थान ले सके। info
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29 : 53

فَاَعْرِضْ عَنْ مَّنْ تَوَلّٰی ۙ۬— عَنْ ذِكْرِنَا وَلَمْ یُرِدْ اِلَّا الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا ۟ؕ

तो (ऐ रसूल!) आप उस व्यक्ति से मुँह फेर लें, जिसने अल्लाह की याद से मुँह मोड़ लिया और उसकी परवाह नहीं की, तथा उसने दुनिया के जीवन के सिवा कुछ नहीं चाहा। अतः वह अपनी आख़िरत के लिए काम नहीं करता है; क्योंकि वह उसपर ईमान नहीं रखता। info
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30 : 53

ذٰلِكَ مَبْلَغُهُمْ مِّنَ الْعِلْمِ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِیْلِهٖ وَهُوَ اَعْلَمُ بِمَنِ اهْتَدٰی ۟

वह जो ये बहुदेववादी कहते हैं (यानी फ़रिश्तों को स्त्रियों का नाम देना) यही उनके ज्ञान की सीमा है जिस तक वे पहुँचते हैं; क्योंकि वे अज्ञानी हैं। वे निश्चितता (यक़ीन) तक नहीं पहुँचे हैं। निश्चय आपका रब ही (ऐ रसूल!) उसे अधकि जानने वाला है, जो सत्य के मार्ग से भटक गया तथा वही उसे (भी) ज़्यादा जानने वाला है, जो उसके मार्ग पर चला। उससे इनमें से कुछ भी छिपा नहीं है। info
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31 : 53

وَلِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ۙ— لِیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اَسَآءُوْا بِمَا عَمِلُوْا وَیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اَحْسَنُوْا بِالْحُسْنٰی ۟ۚ

आकाशों की सारी चीज़ें और धरती की सारी चीज़ें अल्लाह ही की हैं, वही उनका मालिक, सृजनहार और प्रबंधन कर्ता है। ताकि अल्लाह दुनिया में बुराई करने वालों को वह सज़ा दे, जिसके वे योग्य हैं और अच्छे कार्य करने वाले मोमिनों को जन्नत प्रदान करे। info
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32 : 53

اَلَّذِیْنَ یَجْتَنِبُوْنَ كَبٰٓىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ اِلَّا اللَّمَمَ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ وَاسِعُ الْمَغْفِرَةِ ؕ— هُوَ اَعْلَمُ بِكُمْ اِذْ اَنْشَاَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ وَاِذْ اَنْتُمْ اَجِنَّةٌ فِیْ بُطُوْنِ اُمَّهٰتِكُمْ ۚ— فَلَا تُزَكُّوْۤا اَنْفُسَكُمْ ؕ— هُوَ اَعْلَمُ بِمَنِ اتَّقٰی ۟۠

जो लोग छोटे-मोटे पापों के सिवाय, बड़े गुनाहों और अवज्ञा के घृणित कार्यों से दूर रहते हैं, तो बड़े पापों को त्यागने और अधिक से अधिक नेकी के काम करने के कारण ये (छोटे पाप) क्षमा कर दिए जात हैं। निश्चय आपका पालनहार (ऐ रसूल!) व्यापक रूप से माफ़ करने वाला है, वह अपने बंदों के पापों को क्षमा कर देता है जब भी वे उनसे तौबा करें। वह महिमावान तुम्हारी स्थितियों और तुम्हारे मामलों को अधिक जानने वाला है, जब उसने तुम्हारे पिता आदम अैलहिस्सलाम को मिट्टी से पैदा किया और जब तुम अपनी माताओं के पेटों में गर्भावस्था में थे, चरण दर चरण तुम्हारी रचना की जाती थी। उससे इसमें से कोई बात छिपी नहीं है। अतः अपनी परहेज़गारी के साथ अपनी प्रशंसा न करो। क्योंकि अल्लाह अधिक जानने वाला है कि तुममें से कौन उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर उससे डरता है। info
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33 : 53

اَفَرَءَیْتَ الَّذِیْ تَوَلّٰی ۟ۙ

क्या आपने उस व्यक्ति की दुर्दशा देखी है, जिसने इस्लाम से निकट होने के बाद उससे मुँह मोड़ लिया?! info
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34 : 53

وَاَعْطٰی قَلِیْلًا وَّاَكْدٰی ۟

और उसने थोड़ा-सा माल दिया, फिर रोक लिया; क्योंकि कंजूसी उसका स्वभाव है, फिर भी वह अपनी पवित्रता बयान करता है। info
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35 : 53

اَعِنْدَهٗ عِلْمُ الْغَیْبِ فَهُوَ یَرٰی ۟

क्या उसके पास परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान है कि वह सब कुछ देख रहा है और ग़ैब की बात बता रहा है?! info
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36 : 53

اَمْ لَمْ یُنَبَّاْ بِمَا فِیْ صُحُفِ مُوْسٰی ۟ۙ

या वह अल्लाह के बारे में झूठ बोलने वाला है?! या क्या अल्लाह पर झूठ गढ़ने वाले इस व्यक्ति को उन बातों की जानकारी नहीं दी गई, जो उन पहले शास्त्रों में हैं, जिन्हें अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम पर उतारा था?! info
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37 : 53

وَاِبْرٰهِیْمَ الَّذِیْ وَ ۟ۙ

और इबराहीम अलैहिस्सलाम के शास्त्रों (में हैं), जिसने वह सब कुछ करके दिखाया जो उसके प्रभु ने उसे सौंपा और उसे पूरा किया। info
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38 : 53

اَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰی ۟ۙ

कि कोई इनसान किसी अन्य व्यक्ति के पाप को वहन नहीं करेगा। info
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39 : 53

وَاَنْ لَّیْسَ لِلْاِنْسَانِ اِلَّا مَا سَعٰی ۟ۙ

और यह कि इनसान के लिए केवल अपने उसी कार्य का सवाब है, जो उसने किया। info
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40 : 53

وَاَنَّ سَعْیَهٗ سَوْفَ یُرٰی ۟

और यह कि उसका अमल जल्द ही क़ियामत के दिन देखा जाएगा। info
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41 : 53

ثُمَّ یُجْزٰىهُ الْجَزَآءَ الْاَوْفٰی ۟ۙ

फिर उसे उसके कार्य का बदला कोई कमी किए बिना पूरा-पूरा दिया जाएगा। info
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42 : 53

وَاَنَّ اِلٰی رَبِّكَ الْمُنْتَهٰی ۟ۙ

और यह कि सारे बंदों को अपनी मृत्यु के बाद (ऐ रसूल!) तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है। info
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43 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ اَضْحَكَ وَاَبْكٰی ۟ۙ

और यह कि वही है, जो जिसे चाहता है खुशी देकर हँसाता है और जिसे चाहता है दुःख देकर रुलाता है। info
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44 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ اَمَاتَ وَاَحْیَا ۟ۙ

और यह कि वही है, जिसने दुनिया में ज़िंदा लोगों को मौत दी और क़ियामत के दिन मरे हुए लोगों को फिर से ज़िंदा करेगा। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• انقسام الذنوب إلى كبائر وصغائر.
• पापों का बड़े और छोटे में विभाजित होना। info

• خطورة التقوُّل على الله بغير علم.
• बिना ज्ञान के अल्लाह के बारे में बोलने का ख़तरा। info

• النهي عن تزكية النفس.
• अपनी पवित्रता बयान करने से निषेध। info

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45 : 53

وَاَنَّهٗ خَلَقَ الزَّوْجَیْنِ الذَّكَرَ وَالْاُ ۟ۙ

और यह कि उसी ने दोनों प्रकार : नर और मादा बनाए। info
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46 : 53

مِنْ نُّطْفَةٍ اِذَا تُمْنٰی ۪۟

एक बूँद (वीर्य) से, जब वह गर्भाशय में डाली जाती है। info
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47 : 53

وَاَنَّ عَلَیْهِ النَّشْاَةَ الْاُخْرٰی ۟ۙ

और यह कि उसी के ज़िम्मे उन दोनों को उनकी मृत्यु के बाद दोबारा पैदा करके उठाना है। info
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48 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ اَغْنٰی وَاَقْنٰی ۟ۙ

और यह कि उसी ने अपने बंदों में से जिसे चाहा माल देकर धनी बनाया और ऐसा धन दिया जिसे लोग अपने पास कोष बनाकर रखते हैं। info
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49 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ رَبُّ الشِّعْرٰی ۟ۙ

और यह कि वही 'शे'रा' का रब है। यह एक तारा है, जिसे कुछ बहुदेववादी अल्लाह के अलावा पूजते थे। info
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50 : 53

وَاَنَّهٗۤ اَهْلَكَ عَادَا ١لْاُوْلٰی ۟ۙ

और यह कि उसी ने प्रथम 'आद' अर्थात् हूद अलैहिस्सलाम की जाति को विनष्ट किया, जब वे अपने कुफ़्र पर अडिग हो गए। info
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51 : 53

وَثَمُوْدَاۡ فَمَاۤ اَبْقٰی ۟ۙ

और सालेह अलैहिस्सलाम की जाति समूद को विनष्ट किया, फिर उनमें से किसी को बाक़ी न छोड़ा। info
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52 : 53

وَقَوْمَ نُوْحٍ مِّنْ قَبْلُ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا هُمْ اَظْلَمَ وَاَطْغٰی ۟ؕ

तथा आद एवं समूद से पहले नूह अलैहिस्सलाम की जाति को विनष्ट किया। निश्चय नूह अलैहिस्सलाम की जाति के लोग आद और समूद से अधिक अत्याचारी और अधिक सरकश थे। क्योंकि नूह अलैहिस्सलाम उनके बीच साढ़े नौ सौ साल तक रहे और उन्हें अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) की ओर बुलाते रहे, लेकिन उन्होंने उन की एक न सुनी। info
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53 : 53

وَالْمُؤْتَفِكَةَ اَهْوٰی ۟ۙ

तथा लूत अलैहिस्सलाम की जाति के लोगों की बस्तियों को आकाश में उठाया, फिर उन्हें उलट दिया, फिर उन्हें धरती पर गिरा दिया। info
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54 : 53

فَغَشّٰىهَا مَا غَشّٰی ۟ۚ

तो उसने उन्हें आकाश की ओर उठाकर ज़मीन पर गिराने के बाद, उन्हें पत्थरों की बारिश से ढाँप दिया। info
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55 : 53

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكَ تَتَمَارٰی ۟

तो ऐ इनसान! तू अपने पालनहार की शक्ति को दर्शाने वाली किन-किन निशानियों के बारे में झगड़ता रहेगा और उनसे उपदेश ग्रहण नहीं करेगा?! info
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56 : 53

هٰذَا نَذِیْرٌ مِّنَ النُّذُرِ الْاُوْلٰی ۟

तुम्हारी ओर भेजा गया यह रसूल पहले रसूलों ही के वर्ग से एक (रसूल) है। info
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57 : 53

اَزِفَتِ الْاٰزِفَةُ ۟ۚ

निकट आने वाली क़ियामत निकट आ गई है। info
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58 : 53

لَیْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ كَاشِفَةٌ ۟ؕ

अल्लाह के सिवा उसे कोई हटाने वाला और उसकी सूचना रखने वाला नहीं है। info
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59 : 53

اَفَمِنْ هٰذَا الْحَدِیْثِ تَعْجَبُوْنَ ۟ۙ

तो क्या तुम इस बात पर आश्चर्य करते हो कि यह क़ुरआन, जो तुम्हारे सामने पढ़ा जाता है, अल्लाह की ओर से है ?! info
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60 : 53

وَتَضْحَكُوْنَ وَلَا تَبْكُوْنَ ۟ۙ

और उसका ठट्ठा करते हुए उसपर हँसते हो और उसके उपदेशों को सुनकर रोते नहीं हो?! info
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61 : 53

وَاَنْتُمْ سٰمِدُوْنَ ۟

और तुम उससे ग़ाफ़िल हो, उसकी परवाह नहीं करते?! info
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62 : 53

فَاسْجُدُوْا لِلّٰهِ وَاعْبُدُوْا ۟

अतः केवल अल्लाह को सजदा करो और इबादत को उसी के लिए विशुद्ध करो। info
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daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• عدم التأثر بالقرآن نذير شؤم.
• क़ुरआन से प्रभावित न होना एक अपशकुन है। info

• خطر اتباع الهوى على النفس في الدنيا والآخرة.
• दुनिया एवं आखिरत में आत्मा पर अपनी इच्छाओं का पालन करने का खतरा। info

• عدم الاتعاظ بهلاك الأمم صفة من صفات الكفار.
•अगले समुदायों के विनाश से सीख न लेना काफ़िरों की विशेषताओं में से एक विशेषता है। info