Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Hindi ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

external-link copy
48 : 4

اِنَّ اللّٰهَ لَا یَغْفِرُ اَنْ یُّشْرَكَ بِهٖ وَیَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ یَّشَآءُ ۚ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدِ افْتَرٰۤی اِثْمًا عَظِیْمًا ۟

अल्लाह इस बात को क्षमा नहीं करेगा कि उसके प्राणियों में से किसी को उसका साझी बनाया जाए, परंतु शिर्क और कुफ़्र से कमतर गुनाहों को, जिसके लिए चाहेगा, अपनी कृपा से क्षमा कर देगा, अथवा उनमें से जिसे चाहेगा, उसके गुनाहों के अनुसार, अपने न्याय के आधार पर, दंड देगा। तथा जिसने किसी को अल्लाह का साझी बनाया, उसने इतना बड़ा पाप किया कि उस पर मरने वाले को क्षमा नहीं किया जाएगा। info
التفاسير:
daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• كفاية الله للمؤمنين ونصره لهم تغنيهم عما سواه.
• मोमिनों के लिए अल्लाह की पर्याप्तता और उसकी मदद के बाद उन्हें किसी और की ज़रूरत नहीं रहती। info

• بيان جرائم اليهود، كتحريفهم كلام الله، وسوء أدبهم مع رسوله صلى الله عليه وسلم، وتحاكمهم إلى غير شرعه سبحانه.
• यहूदियों के अपराधों का वर्णन, जैसे कि अल्लाह के शब्दों को विकृत करना, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ अभद्र व्यवहार करना और अल्लाह की शरीयत के अलावा किसी और के पास फैसला के लिए जाना। info

• بيان خطر الشرك والكفر، وأنه لا يُغْفر لصاحبه إذا مات عليه، وأما ما دون ذلك فهو تحت مشيئة الله تعالى.
• शिर्क एवं कुफ़्र (बहुदेववाद और अविश्वास) के खतरे का बयान, और यह कि शिर्क या कुफ़्र की हालत में मर जाने वाले को क्षमा नहीं किया जाएगा। रहा मामला इनसे कमतर गुनाह का, तो वह अल्लाह तआला की इच्छा के अधीन है। info