Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Indiya ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

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27 : 31

وَلَوْ اَنَّمَا فِی الْاَرْضِ مِنْ شَجَرَةٍ اَقْلَامٌ وَّالْبَحْرُ یَمُدُّهٗ مِنْ بَعْدِهٖ سَبْعَةُ اَبْحُرٍ مَّا نَفِدَتْ كَلِمٰتُ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟

अगर धरती के ऊपर जितने पेड़ हैं, सबको काटकर क़लम बना लिया जाए और समुद्र को इसके लिए स्याही बना दिया जाए, भले ही उसमें सात समुद्र और बढ़ा दिए जाएँ, तो अल्लाह के शब्द समाप्त नहीं होंगे, क्योंकि वे अनंत हैं। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, वह अपनी रचना और प्रबंधन में हिकमत वाला है। info
التفاسير:
daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• نعم الله وسيلة لشكره والإيمان به، لا وسيلة للكفر به.
• अल्लाह की नेमतों उसका आभार प्रकट करने और उसपर ईमान लाने का साधन हैं, उसकी कृतघ्नता का साधन नहीं है। info

• خطر التقليد الأعمى، وخاصة في أمور الاعتقاد.
• अंधे अनुकरण का खतरा, विशेष रूप से अक़ीदे (विश्वास) के मामलों में। info

• أهمية الاستسلام لله والانقياد له وإحسان العمل من أجل مرضاته.
• अल्लाह के प्रति समर्पण करने, उसका आज्ञापालन करने और उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए सत्कर्म करने का महत्व। info

• عدم تناهي كلمات الله.
• अल्लाह के शब्दों का अनंत होना। info