Fassarar Ma'anonin Alqura'ni - Fassara da harshan Hindi ta Taƙaitacce Tafsirin AlƘur'ani mai girma

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108 : 2

اَمْ تُرِیْدُوْنَ اَنْ تَسْـَٔلُوْا رَسُوْلَكُمْ كَمَا سُىِٕلَ مُوْسٰی مِنْ قَبْلُ ؕ— وَمَنْ یَّتَبَدَّلِ الْكُفْرَ بِالْاِیْمَانِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟

(ऐ ईमान वालो!) तुम्हें यह शोभा नहीं देता कि तुम अपने रसूल से - आपत्ति और ढिठाई के तौर पर - प्रश्न करो, जिस तरह कि मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों ने इससे पहले अपने नबी (मूसा) से किया था। जैसे कि उन्होंने कहा था : (النساء: 153) {أَرِنَا اللَّهَ جَهْرَةً} ''हमें अल्लाह को खुल्लम खुल्ला दिखा दो।'' (सूरतुन्-निसा : 153) और जो व्यक्ति ईमान के बदले कुफ़्र को अपना ले, तो निश्चय वह मध्यम मार्ग से भटक गया जो कि सीधा मार्ग है। info
التفاسير:
daga cikin fa'idodin Ayoyin wannan shafi:
• أن الأمر كله لله، فيبدل ما يشاء من أحكامه وشرائعه، ويبقي ما يشاء منها، وكل ذلك بعلمه وحكمته.
• सारा मामला अल्लाह के हाथ में हैं। अतः वह अपने नियमों और विधानों में से जिसे चाहता है, बदल देता और उनमें से जिसे चाहता है, बाक़ी रखता है, तथा यह सब उसके ज्ञान और हिकमत के अनुसार होता है। info

• حَسَدُ كثيرٍ من أهل الكتاب هذه الأمة، لما خصَّها الله من الإيمان واتباع الرسول، حتى تمنوا رجوعها إلى الكفر كما كانت.
• बहुत-से अह्ले किताब का इस उम्मत से ईर्ष्या करना; क्योंकि अल्लाह ने उसे ईमान और रसूल के अनुसरण के साथ विशिष्ट किया है, यहाँ तक कि उन्होंने उनके फिर से कुफ़्र की ओर लौटने की कामना कर डाली। info