Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

Número de página:close

external-link copy
78 : 5

لُعِنَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ عَلٰی لِسَانِ دَاوٗدَ وَعِیْسَی ابْنِ مَرْیَمَ ؕ— ذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا یَعْتَدُوْنَ ۟

अल्लाह तआला बता रहा है कि उसने बनी इसराईल के काफ़िरों को अपनी दया से निष्कासित कर दिया। इसका वर्णन उस किताब में है, जो उसने दाऊद अलैहिस्सलाम पर उतारी अर्थात् ज़बूर, तथा उस किताब में है, जो उसने ईसा बिन मरयम पर अवतिरत की और वह इंजील है। दया से यह निष्कासन उनके द्वारा किए गए पापों और अल्लाह की वर्जनाओं की पवित्रता भंग करने के कारण था। info
التفاسير:

external-link copy
79 : 5

كَانُوْا لَا یَتَنَاهَوْنَ عَنْ مُّنْكَرٍ فَعَلُوْهُ ؕ— لَبِئْسَ مَا كَانُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟

वे एक-दूसरे को बुराई करने से रोकते नहीं थे। बल्कि उनमें से अवज्ञाकारी लोग उन पापों और बुराइयों को सार्वजनिक रूप से किया करते थे। क्योंकि उन्हें बुराई से रोकने वाला कोई नहीं था। बुराई से रोकना छोड़कर वे बहुत बुरा कर रहे थे। info
التفاسير:

external-link copy
80 : 5

تَرٰی كَثِیْرًا مِّنْهُمْ یَتَوَلَّوْنَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— لَبِئْسَ مَا قَدَّمَتْ لَهُمْ اَنْفُسُهُمْ اَنْ سَخِطَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ وَفِی الْعَذَابِ هُمْ خٰلِدُوْنَ ۟

(ऐ रसूल!) इन यहूदियों में से बहुत-से काफ़िरों को आप देखेंगे कि वे काफ़िरों से प्रेम करते हैं तथा उनकी ओर झुकाव रखते हैं, जबकि वे आपके प्रति शत्रुतापूर्ण हैं और एकेश्वरवादियों से शत्रुता रखते हैं। उनका काफ़िरों से दोस्ती रखने का यह कार्य बहुत बुरा है। क्योंकि यह अल्लाह के उनपर क्रोधित होने और उन्हें नरक की आग में डालने का कारण है, जिसमें वे हमेशा के लिए रहेंगे, वहाँ से वे कभी न निकलेंगे। info
التفاسير:

external-link copy
81 : 5

وَلَوْ كَانُوْا یُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالنَّبِیِّ وَمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْهِ مَا اتَّخَذُوْهُمْ اَوْلِیَآءَ وَلٰكِنَّ كَثِیْرًا مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟

यदि ये यहूदी वास्तव में अल्लाह तथा उसके रसूल पर ईमान रखते होते, तो बहुदेववादियों को मित्र न बनाते कि मोमिनों को छोड़कर उनसे प्यार करते और उनकी ओर झुकाव रखते। क्योंकि उन्हें काफ़िरों को दोस्त बनाने से मना किया गया था। लेकिन इन यहूदियों में से बहुत-से लोग अल्लाह की आज्ञाकारिता और उसकी संरक्षकता तथा मोमिनों की संरक्षकता से बाहर हैं। info
التفاسير:

external-link copy
82 : 5

لَتَجِدَنَّ اَشَدَّ النَّاسِ عَدَاوَةً لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوا الْیَهُوْدَ وَالَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا ۚ— وَلَتَجِدَنَّ اَقْرَبَهُمْ مَّوَدَّةً لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوا الَّذِیْنَ قَالُوْۤا اِنَّا نَصٰرٰی ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّ مِنْهُمْ قِسِّیْسِیْنَ وَرُهْبَانًا وَّاَنَّهُمْ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ ۟

(ऐ रसूल!) आप उन लोगों के लिए, जो आपपर और आपकी लाई हुई शरीयत पर ईमान लाने वाले हैं, सभी लोगों में सबसे बड़ी दुश्मनी रखने वाला यहूदियों को पाएँगे; क्योंकि उनके अंदर द्वेष, ईर्ष्या और अहंकार पाया जाता है, तथा मूर्तिपूजकों और अन्य शिर्क करने वालों को पाएँगे। तथा आप उन लोगों के लिए, जो आपपर और आपकी लाई हुई शरीयत पर ईमान लाने वाले हैं, उनमें से दोस्ती में सबसे निकट उन लोगों को पाएँगे, जो अपने बारे में कहते हैं कि : वे ईसाई हैं। ईमान वालों के साथ उनके स्नेह की निकटता का कारण यह है कि उनमें विद्वान हैं और उपासक हैं। और यह कि वे विनीत हैं, अभिमानी नहीं हैं, क्योंकि अभिमानी के हृदय में अच्छी बात प्रवेश नहीं करती। info
التفاسير:

external-link copy
83 : 5

وَاِذَا سَمِعُوْا مَاۤ اُنْزِلَ اِلَی الرَّسُوْلِ تَرٰۤی اَعْیُنَهُمْ تَفِیْضُ مِنَ الدَّمْعِ مِمَّا عَرَفُوْا مِنَ الْحَقِّ ۚ— یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَاۤ اٰمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشّٰهِدِیْنَ ۟

और इन लोगों (जैसे नजाशी और उनके साथियों) के दिल बड़े नरम हैं। यही कारण है कि क़ुरआन का पाठ सुनने के समय जब उन्हें पता चलता है कि वह सत्य है, तो विनम्रता से रोते हैं; क्योंकि वे उसे पहचानते हैं जो ईसा अलैहिस्सलाम लेकर आए थे। वे कहते हैं : ऐ हमारे रब! हम उसपर ईमान लाए, जो तूने अपने रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा है। अतः (ऐ हमारे रब!) हमें मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत के साथ लिख ले, जो क़ियामत के दिन लोगों के ख़िलाफ हुज्जत (गवाही देने वाले) होंगे। info
التفاسير:
Beneficios de los versículos de esta página:
• ترك الأمر بالمعروف والنهي عن المنكر موجب لِلَّعْنِ والطرد من رحمة الله تعالى.
• 'अच्छाई का आदेश देना और बुराई से रोकना' छोड़ देना, ला'नत तथा अल्लाह की दया से निष्कासन का कारण है। info

• من علامات الإيمان: الحب في الله والبغض في الله.
• ईमान की निशानियों में से एक : 'अल्लाह ही के लिए प्रेम तथा अल्लाह ही के लिए घृणा' है। info

• موالاة أعداء الله توجب غضب الله عز وجل على فاعلها.
• अल्लाह के दुश्मनों के प्रति वफ़ादारी, ऐसा करने वाले पर अल्लाह के प्रकोप का कारण है। info

• شدة عداوة اليهود والمشركين لأهل الإسلام، وفي المقابل وجود طوائف من النصارى يدينون بالمودة للإسلام؛ لعلمهم أنه دين الحق.
• मुसलमानों के प्रति यहूदियों और बहुदेववादियों की सख़्त दुश्मनी, दूसरी ओर, ईसाइयों के कुछ ऐसे संप्रदाय हैं, जो इस्लाम के प्रति स्नेह अपना धर्म समझते हैं; क्योंकि वे जानते हैं कि यह सच्चा धर्म है। info