Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

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166 : 3

وَمَاۤ اَصَابَكُمْ یَوْمَ الْتَقَی الْجَمْعٰنِ فَبِاِذْنِ اللّٰهِ وَلِیَعْلَمَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ

और उहुद के दिन तुम्हारे गिरोह और मुश्रिकों के गिरोह के बीच मुठभेड़ के समय तुम्हें जिस पराजय का सामना करना पड़ा, और तुममें से कुछ लोग घायल और कुछ लोग शहीद कर दिए गए, यह सब अल्लाह की अनुमति और उसके फ़ैसले (क़ज़ा व क़दर) के अनुसार था; जिसमें एक बड़ी हिकमत यह निहित थी कि सच्चे ईमान वाले प्रत्यक्ष हो जाएँ। info
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167 : 3

وَلِیَعْلَمَ الَّذِیْنَ نَافَقُوْا ۖۚ— وَقِیْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا قَاتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَوِ ادْفَعُوْا ؕ— قَالُوْا لَوْ نَعْلَمُ قِتَالًا لَّاتَّبَعْنٰكُمْ ؕ— هُمْ لِلْكُفْرِ یَوْمَىِٕذٍ اَقْرَبُ مِنْهُمْ لِلْاِیْمَانِ ۚ— یَقُوْلُوْنَ بِاَفْوَاهِهِمْ مَّا لَیْسَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ ؕ— وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا یَكْتُمُوْنَ ۟ۚ

और ताकि उन मुनाफ़िक़ों की (भी) पहचान हो जाए, जिनसे जब कहा गया कि : अल्लाह के रास्ते में युद्ध करो, या मुसलमानों का संख्याबल बढ़ाकर प्रतिरक्षा करो, तो उन्होंने उत्तर दिया : "यदि हम जानते कि युद्ध होगा, तो अवश्य तुम्हारा साथ देते। लेकिन हम यह नहीं देखते हैं कि तुम्हारे और उन लोगों के बीच कोई युद्ध होने वाला है।" वे उस समय उस स्थिति की अपेक्षा जो उनके विश्वास को इंगित करती थी, उस स्थिति के अधिक निकट थे जो उनके अविश्वास (कुफ़्र) को इंगित करती थी। वे अपने मुँह से ऐसी बात कह रहे थे जो उनके दिल में नहीं थी। और अल्लाह उनके दिलों के भेदों को ख़ूब जनता है और शीघ्र ही वह उन्हें इसकी सज़ा देगा। info
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168 : 3

اَلَّذِیْنَ قَالُوْا لِاِخْوَانِهِمْ وَقَعَدُوْا لَوْ اَطَاعُوْنَا مَا قُتِلُوْا ؕ— قُلْ فَادْرَءُوْا عَنْ اَنْفُسِكُمُ الْمَوْتَ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

ये वही लोग हैं जो युद्ध से पीछे रहे और अपने उन रिश्तेदारों के बारे में, जो उहुद के दिन शहीद हो गए, कहने लगे : "यदि वे हमारी बात मान लेते और युद्ध के लिए न निकलते, तो वे मारे नहीं जाते।" ऐ नबी! आप उन्हें उत्तर देते हुए कह दीजिए कि : तो तुम अपने आप से मौत को टालकर दिखाओ, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि अगर वे तुम्हारी बात मान लेते, तो मारे न जाते, और यह कि तुम्हारे मृत्यु से बच जाने का कारण अल्लाह के रास्ते में जिहाद से पीछे बैठ रहना था। info
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169 : 3

وَلَا تَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ قُتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَمْوَاتًا ؕ— بَلْ اَحْیَآءٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ یُرْزَقُوْنَ ۟ۙ

(ऐ नबी) आप यह मत समझें कि जो लोग अल्लाह की खातिर जिहाद में मारे गए थे, वे मर चुके हैं। बल्कि वे अपने पालनहार के पास उसके सम्मान के घर में एक विशेष जीवन जी रहे हैं, उन्हें विभिन्न प्रकार की ऐसी रोज़ी मिलती रहती है, जिसका ज्ञान केवल अल्लाह को है। info
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170 : 3

فَرِحِیْنَ بِمَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ ۙ— وَیَسْتَبْشِرُوْنَ بِالَّذِیْنَ لَمْ یَلْحَقُوْا بِهِمْ مِّنْ خَلْفِهِمْ ۙ— اَلَّا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟ۘ

अल्लाह ने अपनी कृपा से जो कुछ उन्हें प्रदान किया है उस पर वे खुशी और आनंद से अभिभूत हैं। वे इस आशा और प्रतीक्षा में हैं कि उनके वे भाई जो दुनिया में रह गए हैं, उनसे आ मिलेंगे, और वे भी अगर अल्लाह के रास्ते में युद्ध करते हुए मारे जाएँगे, तो उन्हें भी उन्हीं की तरह अल्लाह का अनुग्रह प्राप्त होगा। तथा उन्हें न अपने सामने आख़िरत का भय होगा और न वे दुनिया की सुख-सामग्री के छूटने पर दुखी होंगे। info
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171 : 3

یَسْتَبْشِرُوْنَ بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَفَضْلٍ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ لَا یُضِیْعُ اَجْرَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟

इसके साथ ही, वे अल्लाह की ओर से उनकी प्रतीक्षा कर रहे महान प्रतिफल, और उस प्रतिफल में महान वृद्धि से प्रसन्न हो रहे हैं, और इससे भी (प्रसन्न हैं) कि सर्वशक्तिमान अल्लाह विश्वासियों के प्रतिफल को विनष्ट नहीं करता, बल्कि उन्हें उनका पूरा-पूरा बदला देता है और उन्हें उसपर बढ़ाकर देता है। info
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172 : 3

اَلَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِلّٰهِ وَالرَّسُوْلِ مِنْ بَعْدِ مَاۤ اَصَابَهُمُ الْقَرْحُ ۛؕ— لِلَّذِیْنَ اَحْسَنُوْا مِنْهُمْ وَاتَّقَوْا اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟ۚ

जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के आदेश को स्वीकार किया जब उन्हें अल्लाह के रास्ते में लड़ने के लिए बाहर निकलने और “हमराउल-असद” के युद्ध में बहुदेववादियों से मुठभेड़ करने के लिए बुलाया गया, जो कि उहुद के युद्ध के बाद घटित हुआ था, जिसमें मुसलामन ज़ख़्मों से चूर और निढाल हो गए थे। परंतु उनके घावों ने उन्हें अल्लाह और उसके रसूल की पुकार का जवाब देने से नहीं रोका। उनमें से जिन लोगों ने अच्छे कार्य किए तथा अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर उससे डरते रहे, उनके लिए बहुत बड़ा बदला है और वह जन्नत है। info
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173 : 3

اَلَّذِیْنَ قَالَ لَهُمُ النَّاسُ اِنَّ النَّاسَ قَدْ جَمَعُوْا لَكُمْ فَاخْشَوْهُمْ فَزَادَهُمْ اِیْمَانًا ۖۗ— وَّقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ وَنِعْمَ الْوَكِیْلُ ۟

ये वही लोग हैं जिनसे कुछ मुश्रिकों ने कहा : कुरैश ने अबू सुफ़यान के नेतृत्व में तुमसे लड़ने और तुम्हें विनष्ट करने के लिए बहुत बड़ी सेना इकट्ठा कर ली है। अतः उनसे डरो और उनसे मुठभेड़ करने से बचो। तो उनकी इस बात और इस भय दिलाने से उनका अल्लाह पर विश्वास और उसके वादे पर भरोसा और बढ़ गया। चुनाँचे वे यह कहते हुए मुश्रिकों से मुठभेड़ करने के लिए निकल पड़े कि : अल्लाह हमारे लिए काफी है। और वह सबसे अच्छा है जिसे हम अपना मामला सौंपते हैं। info
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Beneficios de los versículos de esta página:
• من سنن الله تعالى أن يبتلي عباده؛ ليتميز المؤمن الحق من المنافق، وليعلم الصادق من الكاذب.
• सर्वशक्तिमान अल्लाह का नियम है कि वह अपने बंदों का परीक्षण करता है; ताकि सच्चा मोमिन, मुनाफ़िक़ (पाखंडी) से अलग हो जाए और ताकि सच्चे और झूठे की पहचान हो जाए। info

• عظم منزلة الجهاد والشهادة في سبيل الله وثواب أهله عند الله تعالى حيث ينزلهم الله تعالى بأعلى المنازل.
• अल्लाह के रास्ते में जिहाद और शहादत का महान स्थान और अल्लाह तआला के यहाँ शहीदों का महान प्रतिफल कि अल्लाह उन्हें सर्वोच्च स्थान प्रदान करेगा। info

• فضل الصحابة وبيان علو منزلتهم في الدنيا والآخرة؛ لما بذلوه من أنفسهم وأموالهم في سبيل الله تعالى.
• सहाबा की श्रेष्ठता और दुनिया एवं आख़िरत में उनके ऊँचे स्थान का बयान। क्योंकि उन्होंने अल्लाह के रास्ते में अपनी जानो और धनों को न्योछावर कर दिया। info