Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə - Əziz əl-Haqq əl-Öməri.

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123 : 9

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَاتِلُوا الَّذِیْنَ یَلُوْنَكُمْ مِّنَ الْكُفَّارِ وَلْیَجِدُوْا فِیْكُمْ غِلْظَةً ؕ— وَاعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِیْنَ ۟

ऐ ईमान वलो! काफ़िरों में से जो तुम्हारे क़रीब हैं, उनसे लड़ो[57] और ज़रूरी है कि वे तुममें कुछ सख्ती पाएँ और जान लो कि अल्लाह परहेज़गारों के साथ है। info

57. जो शत्रु इस्लामी केंद्र के समीप के क्षेत्रों में हों, पहले उनसे अपनी रक्षा करो।

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124 : 9

وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ فَمِنْهُمْ مَّنْ یَّقُوْلُ اَیُّكُمْ زَادَتْهُ هٰذِهٖۤ اِیْمَانًا ۚ— فَاَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا فَزَادَتْهُمْ اِیْمَانًا وَّهُمْ یَسْتَبْشِرُوْنَ ۟

और जब भी कोई सूरत उतारी जाती है, तो इन (मुनाफ़िक़ों) में से कुछ लोग कहते हैं कि इसने तुममें से किसके ईमान को बढ़ायाॽ[58] चुनाँचे जो लोग ईमान लाए, तो इसने उनके ईमान को बढ़ा दिया और वे बहुत खुश होते हैं। info

58. अर्थात उपहास करते हैं।

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125 : 9

وَاَمَّا الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ فَزَادَتْهُمْ رِجْسًا اِلٰی رِجْسِهِمْ وَمَاتُوْا وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ۟

और रहे वे लोग जिनके दिलों में रोग है, तो उसने उनकी अशुद्धता पर अशुद्धता को और बढ़ा दिया और वे इस अवस्था में मरे कि वे काफ़िर थे। info
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126 : 9

اَوَلَا یَرَوْنَ اَنَّهُمْ یُفْتَنُوْنَ فِیْ كُلِّ عَامٍ مَّرَّةً اَوْ مَرَّتَیْنِ ثُمَّ لَا یَتُوْبُوْنَ وَلَا هُمْ یَذَّكَّرُوْنَ ۟

और क्या वे नहीं देखते कि निःसंदेह वे प्रत्येक वर्ष एक या दो बार आज़माए[59] जाते हैं? फिर भी वे न तौबा करते हैं और न ही वे उपदेश ग्रहण करते हैं! info

59. अर्थात उनपर आपदा आती है तथा अपमानित किए जाते हैं। (इब्ने कसीर)

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127 : 9

وَاِذَا مَاۤ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ ؕ— هَلْ یَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْا ؕ— صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا یَفْقَهُوْنَ ۟

और जब भी कोई सूरत उतारी जाती है, तो उनमें से कुछ एक-दूसरे की तरफ देखते हैं कि क्या तुम्हें कोई देख रहा है? फिर वे वापस पलट जाते हैं। अल्लाह ने उनके दिलों को फेर दिया है, क्योंकि निःसंदेह वे ऐसे लोग हैं जो नहीं समझते। info
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128 : 9

لَقَدْ جَآءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِیْزٌ عَلَیْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِیْصٌ عَلَیْكُمْ بِالْمُؤْمِنِیْنَ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ ۟

निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक रसूल आया है। तुम्हारा कठिनाई में पड़ना उसपर बहुत कठिन है। वह तुम्हारे कल्याण के लिए अति उत्सुक है, ईमान वालों के प्रति बहुत करुणामय, अत्यंत दयावान् है। info
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129 : 9

فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ حَسْبِیَ اللّٰهُ ۖؗ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ ۟۠

फिर यदि वे मुँह फेरें, तो कह दें कि मेरे लिए अल्लाह ही काफ़ी है। उसके सिवा कोई (वास्तविक) पूज्य नहीं, मैंने उसी पर भरोसा किया है, और वही बड़े अर्श का रब है। info
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