আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - আল-মুখতাচাৰ ফী তাফছীৰিল কোৰআনিল কাৰীমৰ হিন্দী অনুবাদ

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56 : 25

وَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا مُبَشِّرًا وَّنَذِیْرًا ۟

और हमने (ऐ रसूल!) आपको, ईमान एवं अच्छे कार्यों के द्वारा अल्लाह का आज्ञापालन करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी देने वाला तथा कुफ़्र और पाप के द्वारा उसकी अवज्ञा करने वालों के लिए सावधान करने वाला बनाकर भेजा है। info
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57 : 25

قُلْ مَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ اِلَّا مَنْ شَآءَ اَنْ یَّتَّخِذَ اِلٰی رَبِّهٖ سَبِیْلًا ۟

(ऐ रसूल!) आप कह दें : मैं तुमसे अल्लाह का संदेश पहुँचाने पर कोई बदला नहीं माँगता। परंतु तुममें से जो व्यक्ति कुछ ख़र्च करके अल्लाह की प्रसन्नता का रास्ता अपनाना चाहे, उसे ऐसा करना चाहिए। info
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58 : 25

وَتَوَكَّلْ عَلَی الْحَیِّ الَّذِیْ لَا یَمُوْتُ وَسَبِّحْ بِحَمْدِهٖ ؕ— وَكَفٰی بِهٖ بِذُنُوْبِ عِبَادِهٖ خَبِیْرَا ۟

और (ऐ रसूल!) आप अपने सभी मामलों में उस नित्य जीवी पर भरोसा कीजिए, जिसे कभी मौत नहीं आएगी और उसकी प्रशंसा करते हुए हर प्रकार की कमी से उसकी पवित्रता बयान कीजिए। वह अपने बंदों के गुनाहों की पूरी ख़बर रखने के लिए काफ़ी है। उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा। info
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59 : 25

١لَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ۛۚ— اَلرَّحْمٰنُ فَسْـَٔلْ بِهٖ خَبِیْرًا ۟

जिसने आकाशों तथा धरती और उनके बीच मौजूद सारी वस्तुओं को छह दिनों में पैदा किया। फिर वह अपनी महिमा के योग्य अर्श पर बुलंद हुआ। और वह अत्यंत दयावान् है। अतः (ऐ रसूल!) आप उसके बारे में किसी ज्ञाता से पूछिए। और वह अल्लाह है जो सब कुछ जानता है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है। info
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60 : 25

وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اسْجُدُوْا لِلرَّحْمٰنِ ۚ— قَالُوْا وَمَا الرَّحْمٰنُ ۗ— اَنَسْجُدُ لِمَا تَاْمُرُنَا وَزَادَهُمْ نُفُوْرًا ۟

और जब काफ़िरों से कहा जाता है कि रह़मान (अत्यंत दयावान्) को सजदा करो, तो वे कहते हैं कि हम रहमान को सजदा नहीं करते और रह़मान क्या चीज़ है? हम उसे नहीं जानते और न ही उसे स्वीकार करते हैं। क्या हम उसे सजदा करने लगें, जिसे सजदा करने का तू हमें आदेश देता है जबकि हम उसे नहीं जानते हैं?! तथा उसका उन्हें सजदा करने के आदेश ने उन्हें अल्लाह पर ईमान लाने से दूरी में और बढ़ा दिया। info
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61 : 25

تَبٰرَكَ الَّذِیْ جَعَلَ فِی السَّمَآءِ بُرُوْجًا وَّجَعَلَ فِیْهَا سِرٰجًا وَّقَمَرًا مُّنِیْرًا ۟

बड़ी बरकत वाला है वह, जिसने ग्रहों और गतिमान तारों के लिए आकाश में घर बनाए, तथा आकाश में एक ऐसा सूर्य बनाया जो प्रकाश बिखेरता है, तथा उसमें एक चंद्रमा बनाया जो सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करके धरती को रोशन करता है। info
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62 : 25

وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ خِلْفَةً لِّمَنْ اَرَادَ اَنْ یَّذَّكَّرَ اَوْ اَرَادَ شُكُوْرًا ۟

और अल्लाह ही है, जिसने रात और दिन को एक-दूसरे के आगे-पीछे आने वाला बना दिया, उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह की आयतों से उपदेश ग्रहण करना चाहे ताकि उसे मार्गदर्शन प्राप्त हो, अथवा अल्लाह का उसकी नेमतों पर शुक्र अदा करना चाहे। info
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63 : 25

وَعِبَادُ الرَّحْمٰنِ الَّذِیْنَ یَمْشُوْنَ عَلَی الْاَرْضِ هَوْنًا وَّاِذَا خَاطَبَهُمُ الْجٰهِلُوْنَ قَالُوْا سَلٰمًا ۟

और 'रह़मान' (अत्यंत दयावान् अल्लाह) के मोमिन बंदे वे हैं, जो धरती पर गरिमा और नम्रता के साथ चलते हैं, तथा जब अज्ञानी (अक्खड़) लोग उन्हें संबोधित करते हैं, तो वे उन्हें बदला नहीं देते। बल्कि, वे उनसे ऐसी भली बात कहते हैं, जिसमें वे अक्खड़पन नहीं दिखाते हैं। info
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64 : 25

وَالَّذِیْنَ یَبِیْتُوْنَ لِرَبِّهِمْ سُجَّدًا وَّقِیَامًا ۟

और जो लोग अपने रब के सामने, अपने माथे पर सजदा करते हुए और अपने पैरों पर खड़े हुए, नमाज़ पढ़ते हुए रात बिताते हैं। info
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65 : 25

وَالَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ ۖۗ— اِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا ۟ۗۖ

तथा जो अपने पालनहार से अपनी प्रार्थना में कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हमसे जहन्न की यातना को हटा दे। निःसंदेह जहन्नम की यातना उस व्यक्ति से चिपक जाने वाली है जो काफ़िर होकर मरता है। info
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66 : 25

اِنَّهَا سَآءَتْ مُسْتَقَرًّا وَّمُقَامًا ۟

वह (जहन्नम) बहुत ही बुरी जगह है उसमें ठहरने वालों के लिए तथा बहुत बुरा निवास स्थान है उसमें निवास करने वालों के लिए। info
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67 : 25

وَالَّذِیْنَ اِذَاۤ اَنْفَقُوْا لَمْ یُسْرِفُوْا وَلَمْ یَقْتُرُوْا وَكَانَ بَیْنَ ذٰلِكَ قَوَامًا ۟

और वे लोग कि जब अपना धन खर्च करते हैं, तो फ़िज़ूलखर्ची की सीमा तक नहीं पहुँचते और जिनपर ख़र्च करने के लिए वे बाध्य हैं, उनपर ख़र्च करने में तंगी नहीं करते हैं। बल्कि खर्च करने के मामले में फ़िज़ूलख़र्ची और कंजूसी के बीच संतुलित राह अपनाते हैं। info
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এই পৃষ্ঠাৰ আয়াতসমূহৰ পৰা সংগৃহীত কিছুমান উপকাৰী তথ্য:
• الداعي إلى الله لا يطلب الجزاء من الناس.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला लोगों से बदला नहीं माँगता। info

• ثبوت صفة الاستواء لله بما يليق به سبحانه وتعالى.
• अल्लाह के लिए "इस्तिवा" (अर्श पर बुलंद होने) के गुण का प्रमाण, जैसा कि उस सर्वशक्तिमान की महिमा के योग्य है। info

• أن الرحمن اسم من أسماء الله لا يشاركه فيه أحد قط، دال على صفة من صفاته وهي الرحمة.
• "रहमान" अल्लाह के नामों में से एक ऐसा नाम है, जिसमें कोइ कभी भी उसका साझी नहीं हो सकता। यह अल्लाह के गुणों में से एक गुण "रहमत" (दया) को इंगित करता है। info

• إعانة العبد بتعاقب الليل والنهار على تدارُكِ ما فاتَهُ من الطاعة في أحدهما.
• रात और दिन को एक-दूसरे के पीछे लाकर बंदे की उस नेकी के कार्य की भरपाई करने में मदद करना, जो उससे उन दोनों में से किसी एक में छूट गया है। info

• من صفات عباد الرحمن التواضع والحلم، وطاعة الله عند غفلة الناس، والخوف من الله، والتزام التوسط في الإنفاق وفي غيره من الأمور.
• अल्लाह के सदाचारी बंदों के गुणों में विनम्रता, सहनशीलता, लोगों की लापरवाह के समय अल्लाह की आज्ञाकारिता, अल्लाह का भय, तथा खर्च करने और अन्य मामलों में मध्यमता अपनाने की प्रतिबद्धता शामिल है। info