इन मुनाफ़िक़ों ने अपने लिए अपमान और रुसवाई को पसंद कर लिया, जब वे बहाने वाले लोगों के साथ (जिहाद से) पीछे रह जाने पर संतुष्ट हो गए, तथा अल्लाह ने उनके कुफ़्र एवं निफ़ाक़ के कारण उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः वे नहीं जानते कि किस चीज़ में उनका हित है।
जहाँ तक रसूल और उनके साथ के ईमान वालों का सवाल है, तो वे इन लोगों की तरह अल्लाह के मार्ग में जिहाद से पीछे नहीं रहे। बल्कि उन्होंने अल्लाह के मार्ग में अपने धन तथा प्राण के साथ जिहाद किया। जिसके परिणामस्वरूप अल्लाह के पास उनका बदला उनके लिए सांसारिक लाभों की प्राप्ति था जैसे कि विजय और ग़नीमत के धन, तथा परलोक में भी लाभ प्राप्त होगा, जिसमें जन्नत में प्रवेश, वांछित उद्देश्य की प्राप्ति और भय से मुक्ति शामिल है।
अल्लाह ने उनके लिए ऐसे स्वर्ग तैयार किए हैं, जिनके महलों के नीचे से नहरें बहती हैं। वे वहाँ हमेशा के लिए रहेंगे, कभी भी नष्ट नहीं होंगे। यही बदला ही वह बड़ी सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं हो सकती।
मदीना और उसके आस-पास के देहातियों में से कुछ लोग, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास बहाने लेकर आए, ताकि आप उन्हें अल्लाह के रास्ते में जिहाद के लिए निकलने से पीछे रहने की अनुमति प्रदान कर दें। जबकि कुछ अन्य लोग भी पीछे रह गए, जिन्होंने जिहाद में न निकलने का बिल्कुल भी कोई बहाना पेश नहीं किया; क्योंकि वे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सच्चा नहीं मानते थे और अल्लाह के वादे पर विश्वास नहीं करते थे। ये लोग अपने इस कुफ़्र के कारण एक दर्दनाक और कष्टदायी यातना से पीड़ित होंगे।
महिलाओं, बच्चों, बीमारों, बुज़ुर्गों, अंधों और उन गरीबों पर जिनके पास युद्ध की तैयारी में खर्च करने को कुछ नहीं होता, इन सभी लोगों पर जिहाद में निकलने से पीछे रहने में कोई गुनाह नहीं है; क्योंकि उनके पास उचित बहाने मौजूद हैं, जबकि वे अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठावान हों और उसकी शरीयत पर अमल करें। इन बहाने वालों में से भलाई करने वालों को दंडित करने के लिए कोई रास्ता नहीं है। और अल्लाह भलाई करने वालों के पापों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
इसी तरह आपसे पीछे रहने वाले उन लोगों पर भी कोई पाप नहीं है, कि जब वे (ऐ रसूल!) आपके पास यह अनुरोध लेकर आए कि आप उनके लिए सवारी का प्रबंध कर दें, और आपने उनसे कहा कि मैं तुम्हारे लिए सवारी की व्यवस्था करने के लिए कुछ नहीं पाता; तो वे आपके पास से इस दशा में वापस हुए कि उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे, उन्हें इस बात का अफसोस था कि उन्हें खुद अपने पास से या आपके पास से वह नहीं मिला जो वे खर्च करें।
जब अल्लाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि बहाने वाले लोगों को दंडित करने का कोई रास्ता नहीं है, तो उन लोगों का उल्लेख किया, जो दंड और पकड़ के योग्य हैं। चुनाँचे फरमाया : सज़ा और पकड़ के हक़दार वे लोग हैं, जो (ऐ रसूल!) आपसे युद्ध से पीछे रहने की अनुमति माँगते हैं। हालाँकि उनके पास युद्ध की तैयारी के साधन मौजूद हैं। उन्होंने घरों में पीछे रहने वाली स्त्रियों के साथ रहकर अपने लिए अपमान और रुसवाई से संतुष्ट हो गए, तथा अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः कोई उपदेश उनपर असर नहीं करता। और इस मुहर लगने के कारण उन्हें पता ही नहीं है कि कौन-सा काम उनके हित में है ताकि उसे अपनाएँ और किसमें उनका अहित है ताकि उससे दूर रहें।
التفاسير:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• المجاهدون سيحصِّلون الخيرات في الدنيا، وإن فاتهم هذا فلهم الفوز بالجنة والنجاة من العذاب في الآخرة.
• मुजाहिदों को दुनिया में भलाइयाँ प्राप्त होंगी। यदि यह उनसे छूट गया, तो आख़िरत में जन्नत नसीब होगी और अज़ाब से मुक्ति मिलेगी।
• الأصل أن المحسن إلى الناس تكرمًا منه لا يؤاخَذ إن وقع منه تقصير.
• मूल सिद्धांत यह है कि अपनी ओर से कृपा करते हुए लोगों के साथ भलाई करने वाले से यदि कोई कोताही हो जाए तो उसकी पकड़ नहीं की जाएगी।
• أن من نوى الخير، واقترن بنيته الجازمة سَعْيٌ فيما يقدر عليه، ثم لم يقدر- فإنه يُنَزَّل مَنْزِلة الفاعل له.
• जो कोई नेकी का इरादा करे और उसके दृढ़ इरादे के साथ-साथ वह जो करने में सक्षम है उसके लिए प्रयास करे, फिर वह उसे न कर सके - तो उसे उसके कर्ता के स्थान में रखा जाएगा।
• الإسلام دين عدل ومنطق؛ لذلك أوجب العقوبة والمأثم على المنافقين المستأذنين وهم أغنياء ذوو قدرة على الجهاد بالمال والنفس.
• इस्लाम न्याय और तर्क का धर्म है। यही कारण है कि उसने उन मुनाफ़िक़ों पर दंड और पाप अनिवार्य किया है, जो धनवान होने, धन एवं प्राण के साथ जिहाद की शक्ति रखने के बावजूद पीछे रहने की अनुमति माँग रहे थे।