अल्लाह अपने नबी को निर्देश एवं चेतावनी देते हुए उन्हें संबोधित करते हुए कहता है : आपसे यहूदी और ईसाई हरगिज़ राज़ी नहीं होंगे, यहाँ तक कि आप इस्लाम को छोड़कर उनके धर्म का पालन करने लगें। आप कह दीजिए : निःसंदेह अल्लाह की किताब और उसका बयान ही सच्चा मार्गदर्शन है, न कि वह झूठ जिसपर वे क़ायम हैं। यदि आपके पास स्पष्ट सत्य आ जाने के बाद, आपने या आपके किसी अनुयायी ने उनका अनुसरण किया, तो आपको अल्लाह की पकड़ से बचाने के लिए हरगिज़ कोई मदद या सहायता नहीं मिलेगी। यह सत्य को छोड़ने और असत्य के लोगों के साथ क़दम मिलाकर चलने के ख़तरे को स्पष्ट करने के अध्याय से है।
इस आयत में क़ुरआन अह्ले किताब के एक समूह के बारे में बात करता है, जो अपने हाथों में मौजूद अवतरित पुस्तकों पर अमल करते हैं और उनका पालन करते हैं जैसे उनका पालन किया जाना चाहिए। ये लोग इन पुस्तकों में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सच्चे नबी होने को दर्शाने वाली निशानियाँ पाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने आपपर ईमान लाने में जल्दी की। जबकि दूसरा समूह अपने कुफ़्र पर अड़ा रहा, तो उसे हानि उठानी पड़ी।
ऐ बनी इसराईल! मेरी प्रदान की हुई धार्मिक एवं सांसारिक नेमतों को याद करो और याद रखो कि निःसंदेह मैंने ही तुम्हें तुम्हारे समय के लोगों पर नुबुव्वत एवं बादशाहत द्वारा प्रधानता प्रदान की।
अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर अपने और क़ियामत के दिन की यातना के बीच, बचाव का साधन अपनाओ। क्योंकि उस दिन कोई भी किसी के कुछ काम न आएगा, और उस दिन उससे कोई छुड़ौती स्वीकार नहीं की जाएगी, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, और न उस दिन उसे किसी की सिफ़ारिश लाभ देगी, चाहे उसका स्थान कितना भी ऊँचा क्यों न हो। और न ही अल्लाह के अलावा उसके लिए कोई मददगार होगा, जो उसकी मदद कर सके।
उस समय को याद करो, जब अल्लाह ने इबराहीम अलैहिस्सलाम को उन आदेशों और कर्तव्यों के द्वारा आज़माया, जिनका उन्हें आदेश दिया था, तो उन्होंने उनका निष्पादन किया और उन्हें पूर्णतम रूप से अंजाम दिया। अल्लाह ने अपने नबी इबराहीम अलैहिस्सलाम से कहा : मैं तुम्हें लोगों के लिए आदर्श बनाने वाला हूँ, ताकि तुम्हारे क्रियाकलापों और आचार-व्यवहार में तुम्हारा अनुकरण किया जाए। इबराहीम अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरी औलाद में से भी कुछ लोगों को इमाम बना, जिनका लोग अनुकरण करें। अल्लाह तआला ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा : मेरा तुम्हारे लिए धर्म की पेशवाई का वचन, तुम्हारे वंश के अत्याचारियों को नहीं पहुँचता।
तथा उस समय को याद करो, जब अल्लाह ने सम्मानित घर काबा को लोगों के लिए बार-बार लौट कर आने की जगह बनाई, जिससे उनका दिल जुड़ा हुआ रहता है। जब भी वे वहाँ से वापस जाते हैं, दोबारा उसकी ओर लौटकर आते हैं। तथा उसे उनके लिए सर्वथा शांति का स्थल (सुरक्षित स्थान) बना दिया, जिसमें उनपर कोई अत्याचार नहीं किया जाता। और लोगों से कहा : उस पत्थर को - जिसपर खड़े होकर इबराहीम अलैहिस्सलाम काबा का निर्माण करते थे - नमाज़ की जगह बना लो। तथा हमने इबराहीम और उनके पुत्र इसमाईल अलैहिमस्सलाम को आदेश दिया कि वे काबा को गंदगियों और मूर्तियों से शुद्ध करें, तथा उसे तवाफ़, एतिकाफ़ और नमाज़ आदि के द्वारा इबादत करने वालों के लिए तैयार रखें।
तथा (ऐ नबी!) याद कीजिए, जब इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पालनहार से दुआ करते हुए कहा : ऐ मेरे पालनहार! मक्का को एक शांति वाला (सुरक्षित) शहर बना दे, जिसमें किसी को कष्ट न पहुँचाया जाए, तथा उसमें रहने वालों को विभिन्न प्रकार के फल प्रदान कर, और उसे तुझपर और अंतिम दिन पर ईमान रखने वालों के लिए एक विशिष्ट रोज़ी बना दे। अल्लाह ने कहा : तथा उनमें से जो कुफ़्र करेगा, तो मैं उसे इस दुनिया में जो कुछ भी प्रदान करता हूँ, उसके साथ उसे थोड़ा-सा लाभ दूँगा, फिर आखिरत में उसे आग की यातना की ओर विवश कर दूँगा और वह बहुत बुरा ठिकाना है, जिसकी ओर वह क़ियामत के दिन लौटकर आएगा।
التفاسير:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• أن المسلمين مهما فعلوا من خير لليهود والنصارى؛ فلن يرضوا حتى يُخرجوهم من دينهم، ويتابعوهم على ضلالهم.
• मुसलमान यहूदियों और ईसाइयों के लिए कितना भी अच्छा क्यों न करें; वे तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक कि वे उन्हें उनके धर्म से निकाल न दें और ये उनकी गुमराही पर उनका अनुसरण न करने लगें।
• الإمامة في الدين لا تُنَال إلا بصحة اليقين والصبر على القيام بأمر الله تعالى.
• धर्म में इमामत (पेशवाई) सच्चे यक़ीन और अल्लाह के आदेश का पालन करने पर धैर्य के साथ ही प्राप्त होती है।
• بركة دعوة إبراهيم عليه السلام للبلد الحرام، حيث جعله الله مكانًا آمنًا للناس، وتفضّل على أهله بأنواع الأرزاق.
• सम्मानित शहर मक्का के लिए इबराहीम अलैहिस्सलाम की दुआ की बरकत। चुनाँचे अल्लाह ने उसे लोगों के लिए एक शांति स्थल (सुरक्षित स्थान) बना दिया और उसके वासियों को अपनी कृपा से सभी प्रकार की आजीविका प्रदान की।