የቅዱስ ቁርዓን ይዘት ትርጉም - የህንድኛ ትርጉም - በዐዚዙል ሐቅ አልዑምሪ

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19 : 55

مَرَجَ الْبَحْرَیْنِ یَلْتَقِیٰنِ ۟ۙ

उसने दो सागरों को मिला दिया, जो (देखने में) आपस में मिलते हैं। info
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20 : 55

بَیْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا یَبْغِیٰنِ ۟ۚ

उन दोनों के बीच एक अवरोध है (जिससे) वे आगे नहीं बढ़ते। info
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21 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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22 : 55

یَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ ۟ۚ

उन दोनों से मोती और मूँगा निकलते हैं। info
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23 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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24 : 55

وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنْشَاٰتُ فِی الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِ ۟ۚ

तथा उसी के अधिकार में हैं समुद्र में चलने वाले पहाड़ों जैसे जहाज़। info
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25 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟۠

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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26 : 55

كُلُّ مَنْ عَلَیْهَا فَانٍ ۟ۚۖ

हर कोई जो इस (धरती) पर है, नष्ट होने वाला है। info
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27 : 55

وَّیَبْقٰی وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلٰلِ وَالْاِكْرَامِ ۟ۚ

तथा आपके पालनहार का चेहरा बाक़ी रहेगा, जो बड़ी महिमा और सम्मान वाला है। info
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28 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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29 : 55

یَسْـَٔلُهٗ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— كُلَّ یَوْمٍ هُوَ فِیْ شَاْنٍ ۟ۚ

उसी से माँगता है, जो कोई आकाशों तथा धरती में है। वह प्रतिदिन एक (नए) कार्य में है।[3] info

3. अर्थात वह अपनी उत्पत्ति की आवश्यकताएँ पूरी करता, प्रार्थनाएँ सुनता, सहायता करता, रोगी को निरोग करता, अपनी दया प्रदान करता, तथा अपमान-सम्मान और विजय-प्राजय देता और अनगिनत कार्य करता है।

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30 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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31 : 55

سَنَفْرُغُ لَكُمْ اَیُّهَ الثَّقَلٰنِ ۟ۚ

हम जल्द ही तुम्हारे लिए फ़ारिग़ होंगे[4] ऐ दो भारी समूहो! (जिन्नो और इनसानो!)[5] info

4. इस वाक्या का अर्थ मुह़ावरे में धमकी देना और सावधान करना है। 5. इसमें प्रलय के दिन की ओर संकेत है जब सब मनुष्यों और जिन्नों के कर्मों का ह़िसाब लिया जाएगा।

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32 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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33 : 55

یٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اِنِ اسْتَطَعْتُمْ اَنْ تَنْفُذُوْا مِنْ اَقْطَارِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ فَانْفُذُوْا ؕ— لَا تَنْفُذُوْنَ اِلَّا بِسُلْطٰنٍ ۟ۚ

ऐ जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि तुम आकाशों तथा धरती के किनारों से निकल सकते हो, तो निकल भागो, (परंतु) तुम शक्ति (प्रभुत्व) के बिना नहीं निकल सकोगे।[6] info

6. अर्थ यह है कि अल्लाह की पकड़ से बच निकलना तुम्हारे बस में नहीं है।

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34 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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35 : 55

یُرْسَلُ عَلَیْكُمَا شُوَاظٌ مِّنْ نَّارٍ ۙ۬— وَّنُحَاسٌ فَلَا تَنْتَصِرٰنِ ۟ۚ

तुम दोनों पर आग का ज्वाला तथा धुआँ छोड़ा जाएगा। फिर तुम अपने आपको बचा नहीं सकोगे। info
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36 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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37 : 55

فَاِذَا انْشَقَّتِ السَّمَآءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ ۟ۚ

फिर जब आकाश फट जाएगा, तो वह तेल की तरह लाल हो जाएगा। info
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38 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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39 : 55

فَیَوْمَىِٕذٍ لَّا یُسْـَٔلُ عَنْ ذَنْۢبِهٖۤ اِنْسٌ وَّلَا جَآنٌّ ۟ۚ

फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा और न किसी जिन्न से। info
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40 : 55

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبٰنِ ۟

तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे? info
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41 : 55

یُعْرَفُ الْمُجْرِمُوْنَ بِسِیْمٰهُمْ فَیُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِیْ وَالْاَقْدَامِ ۟ۚ

अपराधियों की पहचान उनके चिह्नों से होगी, फिर माथे के बालों और पैरों से (उन्हें) पकड़ा जाएगा। info
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