Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - Ҳиндча таржима - Азизул Ҳақ Умарий

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19 : 74

فَقُتِلَ كَیْفَ قَدَّرَ ۟ۙ

तो वह मारा जाए! उसने कैसी कैसी बात बनाई? info
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20 : 74

ثُمَّ قُتِلَ كَیْفَ قَدَّرَ ۟ۙ

फिर मारा जाए! उसने कैसी बात बनाई? info
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21 : 74

ثُمَّ نَظَرَ ۟ۙ

फिर उसने देखा। info
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22 : 74

ثُمَّ عَبَسَ وَبَسَرَ ۟ۙ

फिर उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह बनाया। info
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23 : 74

ثُمَّ اَدْبَرَ وَاسْتَكْبَرَ ۟ۙ

फिर उसने पीठ फेरी और घमंड किया। info
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24 : 74

فَقَالَ اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ یُّؤْثَرُ ۟ۙ

फिर उसने कहा : यह तो मात्र एक जादू है, जो (पहलों से) नक़ल (उद्धृत) किया जाता है।[6] info

6. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह किसी से सीख लिया है। कहा जाता है कि वलीद बिन मुग़ीरह ने अबू जह्ल से कहा था कि लोगों में क़ुरआन के जादू होने का प्रचार किया जाए।

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25 : 74

اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا قَوْلُ الْبَشَرِ ۟ؕ

यह तो मात्र मनुष्य[7] की वाणी है। info

7. अर्थात अल्लाह की वाणी नहीं है।

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26 : 74

سَاُصْلِیْهِ سَقَرَ ۟

मैं उसे शीघ्र ही 'सक़र' (जहन्नम) में झोंक दूँगा। info
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27 : 74

وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا سَقَرُ ۟ؕ

और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि 'सक़र' (जहन्नम) क्या है? info
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28 : 74

لَا تُبْقِیْ وَلَا تَذَرُ ۟ۚ

वह न शेष रखेगी और न छोड़ेगी। info
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29 : 74

لَوَّاحَةٌ لِّلْبَشَرِ ۟ۚ

वह खाल को झुलस देने वाली है। info
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30 : 74

عَلَیْهَا تِسْعَةَ عَشَرَ ۟ؕ

उसपर उन्नीस (फ़रिश्ते) नियुक्त हैं। info
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31 : 74

وَمَا جَعَلْنَاۤ اَصْحٰبَ النَّارِ اِلَّا مَلٰٓىِٕكَةً ۪— وَّمَا جَعَلْنَا عِدَّتَهُمْ اِلَّا فِتْنَةً لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوْا ۙ— لِیَسْتَیْقِنَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَیَزْدَادَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِیْمَانًا وَّلَا یَرْتَابَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَالْمُؤْمِنُوْنَ ۙ— وَلِیَقُوْلَ الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْكٰفِرُوْنَ مَاذَاۤ اَرَادَ اللّٰهُ بِهٰذَا مَثَلًا ؕ— كَذٰلِكَ یُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَمَا یَعْلَمُ جُنُوْدَ رَبِّكَ اِلَّا هُوَ ؕ— وَمَا هِیَ اِلَّا ذِكْرٰی لِلْبَشَرِ ۟۠

और हमने जहन्नम के रक्षक फ़रिश्ते ही बनाए हैं और उनकी संख्या को काफ़िरों के लिए परीक्षण बनाया है। ताकि अह्ले किताब[8] विश्वास कर लें और ईमान वाले ईमान में आगे बढ़ जाएँ। और किताब वाले एवं ईमान वाले किसी संदेह में न पड़ें। और ताकि वे लोग जिनके दिलों में रोग है और वे लोग जो काफ़िर[9] हैं, यह कहें कि इस उदाहरण से अल्लाह का क्या तात्पर्य है? ऐसे ही, अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह तो केवल मनुष्य के लिए उपदेश है। info

8. क्योंकि यहूदियों तथा ईसाइयों की पुस्तकों में भी नरक के अधिकारियों की यही संख्या बताई गई है। 9. जब क़ुरैश ने नरक के अधिकारियों की चर्चा सुनी, तो अबू जह्ल ने कहा : ऐ क़ुरैश के समूह! क्या तुम में से दस-दस लोग, एक-एक फ़रिश्ते के लिए काफ़ी नहीं हैं? और एक व्यक्ति ने जिसे अपने बल पर बड़ा गर्व था कहा कि 17 को मैं अकेला देख लूँगा। और तुम सब मिलकर दो को देख लेना। (इब्ने कसीर)

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32 : 74

كَلَّا وَالْقَمَرِ ۟ۙ

कदापि नहीं, क़सम है चाँद की! info
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33 : 74

وَالَّیْلِ اِذْ اَدْبَرَ ۟ۙ

तथा रात की, जब वह जाने लगे! info
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34 : 74

وَالصُّبْحِ اِذَاۤ اَسْفَرَ ۟ۙ

और सुबह की, जब वह प्रकाशित हो जाए! info
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35 : 74

اِنَّهَا لَاِحْدَی الْكُبَرِ ۟ۙ

निःसंदेह वह (जहन्नम) निश्चय बहुत बड़ी चीज़ों[10] में से एक है। info

10. अर्थात जैसे रात्रि के पश्चात दिन होता है, उसी प्रकार कर्मों का भी परिणाम सामने आना है। और दुष्कर्मों का परिणाम नरक है।

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36 : 74

نَذِیْرًا لِّلْبَشَرِ ۟ۙ

मनुष्य के लिए डराने वाली है। info
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37 : 74

لِمَنْ شَآءَ مِنْكُمْ اَنْ یَّتَقَدَّمَ اَوْ یَتَاَخَّرَ ۟ؕ

तुम में से उसके लिए, जो आगे बढ़ना चाहे अथवा पीछे हटना चाहे।[11] info

11. अर्थात आज्ञापालन द्वारा अग्रसर हो जाए, अथवा अवज्ञा करके पीछे रह जाए।

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38 : 74

كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ رَهِیْنَةٌ ۟ۙ

प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले जो उसने कमाया, गिरवी[12] रखा हुआ है। info

12. यदि सत्कर्म किया, तो मुक्त हो जाएगा।

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39 : 74

اِلَّاۤ اَصْحٰبَ الْیَمِیْنِ ۟ؕۛ

सिवाय दाहिने वालों के। info
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40 : 74

فِیْ جَنّٰتٍ ۛ۫— یَتَسَآءَلُوْنَ ۟ۙ

वे जन्नतों में एक-दूसरे से पूछेंगे। info
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41 : 74

عَنِ الْمُجْرِمِیْنَ ۟ۙ

अपराधियों के बारे में। info
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42 : 74

مَا سَلَكَكُمْ فِیْ سَقَرَ ۟

तुम्हें किस चीज़ ने जहन्नम में डाला? info
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43 : 74

قَالُوْا لَمْ نَكُ مِنَ الْمُصَلِّیْنَ ۟ۙ

वे कहेंगे : हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे। info
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44 : 74

وَلَمْ نَكُ نُطْعِمُ الْمِسْكِیْنَ ۟ۙ

और न हम निर्धन को खाना खिलाते थे। info
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45 : 74

وَكُنَّا نَخُوْضُ مَعَ الْخَآىِٕضِیْنَ ۟ۙ

और हम बेहूदा बहस करने वालों के साथ मिलकर व्यर्थ बहस किया करते थे। info
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46 : 74

وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِیَوْمِ الدِّیْنِ ۟ۙ

और हम बदले के दिन को झुठलाया करते थे। info
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47 : 74

حَتّٰۤی اَتٰىنَا الْیَقِیْنُ ۟ؕ

यहाँ तक कि मौत हमारे पास आ गई। info
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