Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - Ҳиндча таржима - Азизул Ҳақ Умарий

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188 : 7

قُلْ لَّاۤ اَمْلِكُ لِنَفْسِیْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَیْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَیْرِ ۛۚ— وَمَا مَسَّنِیَ السُّوْٓءُ ۛۚ— اِنْ اَنَا اِلَّا نَذِیْرٌ وَّبَشِیْرٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟۠

आप कह दें कि मैं अपने लिए किसी लाभ और हानि का मालिक नहीं हूँ, परंतु जो अल्लाह चाहे। और यदि मैं ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान रखता होता, तो अवश्य बहुत अधिक भलाइयाँ प्राप्त कर लेता और मुझे कोई कष्ट नहीं पहुँचता। मैं तो केवल उन लोगों को सावधान करने वाला तथा शुभ सूचना देने वाला हूँ, जो ईमान (विश्वास) रखते हैं। info
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189 : 7

هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِیَسْكُنَ اِلَیْهَا ۚ— فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِیْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚ— فَلَمَّاۤ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَیْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟

वही (अल्लाह) है, जिसने तुम्हें एक जान[73] से पैदा किया और उसी से उसका जोड़ा बनाया, ताकि वह उसके पास सुकून हासिल करे। फिर जब उस (पति) ने उस (पत्नी) से सहवास किया, तो उसको हल्का सा गर्भ रह गया। तो वह उसे लेकर चलती फिरती रही, फिर जब वह बोझल हो गई, तो दोनों (पति-पत्नी) ने अपने पालनहार अल्लाह से दुआ की : निःसंदेह यदि तूने हमें अच्छा स्वस्थ बच्चा प्रदान किया, तो हम अवश्य ही आभार प्रकट करने वालों में से होंगे। info

73. अर्थात आदम अलैहिस्सलाम से।

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190 : 7

فَلَمَّاۤ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَآءَ فِیْمَاۤ اٰتٰىهُمَا ۚ— فَتَعٰلَی اللّٰهُ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟

फिर जब उस (अल्लाह) ने उन्हें एक स्वस्थ बच्चा प्रदान कर दिया, तो दोनों ने उस (अल्लाह) के लिए उसमें साझी बना लिए, जो उसने उन्हें प्रदान किया था। तो अल्लाह उससे बहुत ऊँचा है जो वे साझी बनाते हैं।[74] info

74. इन आयतों में यह बताया गया है कि मिश्रणवादी स्वस्थ बच्चे अथवा किसी भी आवश्यकता अथवा आपदा निवारण के लिए अल्लाह ही से प्रार्थना करते हैं। और जब स्वस्थ सुंदर बच्चा पैदा हो जाता है, तो देवी-देवताओं और पीरों के नाम चढ़ावे चढ़ाने लगते हैं और इसे उन्हीं की दया समझते हैं।

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191 : 7

اَیُشْرِكُوْنَ مَا لَا یَخْلُقُ شَیْـًٔا وَّهُمْ یُخْلَقُوْنَ ۟ۚ

क्या वे उन्हें (अल्लाह का) साझी बनाते हैं, जो कोई चीज़ पैदा नहीं करते और वे स्वयं पैदा किए जाते हैं? info
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192 : 7

وَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ لَهُمْ نَصْرًا وَّلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟

तथा वे न उनकी कोई सहायता कर सकते हैं और न स्वयं अपनी सहायता करते हैं? info
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193 : 7

وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَتَّبِعُوْكُمْ ؕ— سَوَآءٌ عَلَیْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ ۟

और यदि तुम उन्हें सीधी राह की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हारे पीछे नहीं आएँगे। तुम्हारे लिए बराबर है, चाहे उन्हें पुकारो अथवा तुम चुप रहो। info
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194 : 7

اِنَّ الَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ عِبَادٌ اَمْثَالُكُمْ فَادْعُوْهُمْ فَلْیَسْتَجِیْبُوْا لَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

निःसंदेह जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वे तुम्हारे ही जैसे (अल्लाह के) बंदे हैं। अतः तुम उन्हें पुकारो, तो वे तुम्हारी दुआ क़बूल करें, यदि तुम सच्चे हो। info
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195 : 7

اَلَهُمْ اَرْجُلٌ یَّمْشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَیْدٍ یَّبْطِشُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اَعْیُنٌ یُّبْصِرُوْنَ بِهَاۤ ؗ— اَمْ لَهُمْ اٰذَانٌ یَّسْمَعُوْنَ بِهَا ؕ— قُلِ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ كِیْدُوْنِ فَلَا تُنْظِرُوْنِ ۟

क्या इन (पत्थर की मूर्तियों) के पाँव हैं, जिनसे वे चलती हैं? या उनके हाथ हैं, जिनसे वे पकड़ती हैं? या उनकी आँखें हैं, जिनसे वे देखती हैं? या उनके कान हैं, जिनसे वे सुनती हैं? आप कह दें कि अपने साझियों को बुला लो, फिर मेरे विरुद्ध उपाय करो और मुझे कोई अवसर न दो! info
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