1. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से मक्का वासियों ने माँग की कि आप कोई चमत्कार दिखाएँ। अतः आपने चाँद को दो भाग होते उन्हें दिखा दिया। (बुख़ारी : 4867) आदरणीय अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के युग में चाँद दो खंड हो गया : एक खंड पर्वत के ऊपर और दूसरा उसके नीचे। और आपने कहा : तुम सभी गवाह रहो। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4864)
3. यह सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी। उन्होंने उनसे चमत्कार की माँग की, तो अल्लाह ने पर्वत से एक ऊँटनी निकाल दी। फिर भी वे ईमान नहीं लाए। क्योंकि उनके विचार से अल्लाह का रसूल कोई मनुष्य नहीं, फ़रिश्ता होना चाहिए था। जैसाकि मक्का के मुश्रिकों का विचार था।
5. अर्थात उन्होंने लूत (अलैहिस्सलाम) से अपने दुराचार के लिए फ़रिश्तों को, जो सुंदर युवकों के रूप में आए थे, अपने सुपुर्द करने की माँग की।
6. इसमें मक्का के काफ़िरों की पराजय की भविष्यवाणी है, जो बद्र के युद्ध में पूरी हुई। ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र के दिन एक ख़ेमे में अल्लाह से प्रार्थना कर रहे थे। फिर यही आयत पढ़ते हुए निकले। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4875)