Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - Ҳиндча таржима - Азизул Ҳақ Умарий

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14 : 5

وَمِنَ الَّذِیْنَ قَالُوْۤا اِنَّا نَصٰرٰۤی اَخَذْنَا مِیْثَاقَهُمْ فَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖ ۪— فَاَغْرَیْنَا بَیْنَهُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَآءَ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ ؕ— وَسَوْفَ یُنَبِّئُهُمُ اللّٰهُ بِمَا كَانُوْا یَصْنَعُوْنَ ۟

तथा जिन लोगों ने कहा कि हम ईसाई हैं, हमने उनसे (भी) दृढ़ वचन लिया, फिर वे उसका एक हिस्सा भूल गए जिसका उन्हें उपदेश दिया गया था। अतः हमने उनके बीच क़ियामत के दिन तक के लिए दुश्मनी और द्वेष भड़का दिया। और शीघ्र ही अल्लाह उन्हें उसकी ख़बर[17] देगा, जो वे किया करते थे। info

17. आयत का अर्थ यह है कि जब ईसाइयों ने वचन भंग कर दिया, तो उनमें कई परस्पर विरोधी संप्रदाय हो गए, जैसे याक़ूबिय्यः, नसतूरिय्यः और आरयूसिय्यः। ये सभी एक-दूसरे के शत्रु हो गए। तथा इस समय आर्थिक और राजनीतिक संप्रदायों में विभाजित होकर आपस में रक्तपात कर रहे हैं। इसमें मुसलमानों को भी सावधान किया गया है कि क़ुरआन के अर्थों में परिवर्तन करके ईसाइयों के समान संप्रदायों में विभाजित न होना।

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