1. आरंभ में यह बताया जा रहा है कि मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कोई नई बात नहीं कर रहे हैं और न यह वह़्य (प्रकाशना) का विषय ही इस संसार के इतिहास में प्रथम बार सामने आया है। इससे वूर्व भी पहले नबियों पर प्रकाशना आ चुकी है और वे एकेश्वरवाद का संदेश सुनाते रहे हैं।
2. अल्लाह की महिमा तथा प्रताप के भय से।
3. आपका दायित्व मात्र सावधान कर देना है।
4. आयत में मक्का को उम्मुल क़ुरा कहा गया है। जो मक्का का एक नाम है जिसका शाब्दिक अर्थ "बस्तियों की माँ" है। बताया जाता है कि मक्का अरब की मूल बस्ती है और उसके आस-पास से अभिप्राय पूरा भूमंडल है। आधुनिक भुगोल शास्त्र के अनुसार मक्का पूरे भूमंडल का केंद्र है। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं की क़ुरआन इसी तथ्य की ओर संकेत कर रहा हो। सारांश यह है कि इस आयत में इस्लाम के विश्वव्यापी धर्म होने की ओर संकेत किया गया है। 5. इससे अभिप्राय प्रलय का दिन है, जिस दिन कर्मों के प्रतिकार स्वरूप एक समूह स्वर्ग में और एक समूह नरक में जाएगा।
6. अर्थात एक ही सत्धर्म पर कर देता। किंतु उसने प्रत्येक को अपनी इच्छा से सत्य या असत्य को अपनाने की स्वाधीनता दे रखी है। और दोनों का परिणाम बता दिया है।
7. अतः उसी को संरक्षक बनाओ और उसी की आज्ञा का पालन करो।
8. अतः उसका निर्णय अल्लाह की पुस्तक क़ुरआन से तथा उसके रसूल की सुन्नत से लो।