1. यहाँ से सामाजिक व्यवस्था का नियम बताया गया है कि विश्व के सभी नर-नारी एक ही माता-पिता से पैदा किए गए हैं। इसलिए सब समान हैं। और सबके साथ अच्छा व्यवहार तथा भाई-चारे की भावना रखनी चाहिए। यह उस अल्लाह का आदेश है जो तुम्हारे मूल का उत्पत्तिकर्ता है। और जिसके नाम से तुम एक-दूसरे से अपना अधिकार माँगते हो कि अल्लाह के लिए मेरी सहायता करो। फिर इस साधारण संबंध के सिवा रिश्तेदारी का संबंध भी है, जिसे जोड़ने पर बहुत बल दिया गया है। एक ह़दीस में है कि रिश्तेदारी को तोड़ने वाला जन्नत में नहीं जाएगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 5984, मुस्लिम : 2555) इस आयत के पश्चात् कई आयतों में इन्हीं अल्लाह के निर्धारित किए मानव अधिकारों का वर्णन किया जा रहा है।
2. अरब में इस्लाम से पूर्व अनाथ बालिका का संरक्षक यदि उसके खजूर का बाग़ हो, तो उसपर अधिकार रखने के लिए उससे विवाह कर लेता था। जबकि उसे उसमें कोई रूचि नहीं होती थी। इसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4573) 3. अर्थात युद्ध में बंदी बनाई गई दासी।
4. अर्थात धन, जीवन स्थापन का साधन है। इसलिए जब तक अनाथ चतुर तथा व्यस्क न हो जाएँ और अपने लाभ की रक्षा न कर सकें, उस समय तक उनका धन, उनके नियंत्रण में न दो।