Қуръони Карим маъноларининг таржимаси - Ҳиндча таржима - Азизул Ҳақ Умарий

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89 : 11

وَیٰقَوْمِ لَا یَجْرِمَنَّكُمْ شِقَاقِیْۤ اَنْ یُّصِیْبَكُمْ مِّثْلُ مَاۤ اَصَابَ قَوْمَ نُوْحٍ اَوْ قَوْمَ هُوْدٍ اَوْ قَوْمَ صٰلِحٍ ؕ— وَمَا قَوْمُ لُوْطٍ مِّنْكُمْ بِبَعِیْدٍ ۟

ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम्हें मेरा विरोध इस बात पर न उभारे कि तुमपर वैसी ही यातना आ पड़े, जो नूह़ की जाति, या हूद की जाति, या सालेह़ की जाति पर आई। और लूत की जाति तुमसे कुछ दूर नहीं है। info
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90 : 11

وَاسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوْبُوْۤا اِلَیْهِ ؕ— اِنَّ رَبِّیْ رَحِیْمٌ وَّدُوْدٌ ۟

और अपने पालनहार से क्षमा माँगो, फिर उसी की ओर पलट आओ। निःसंदेह मेरा पालनहार अति दयालु तथा प्रेम करने वाला है। info
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91 : 11

قَالُوْا یٰشُعَیْبُ مَا نَفْقَهُ كَثِیْرًا مِّمَّا تَقُوْلُ وَاِنَّا لَنَرٰىكَ فِیْنَا ضَعِیْفًا ۚ— وَلَوْلَا رَهْطُكَ لَرَجَمْنٰكَ ؗ— وَمَاۤ اَنْتَ عَلَیْنَا بِعَزِیْزٍ ۟

उन्होंने कहा : ऐ शुऐब! तुम्हारी बहुत-सी बातें हम नहीं समझते और हम तुम्हें अपने बीच निर्बल देख रहे हैं। और यदि तुम्हारा क़बीला (हमारे धर्म पर) न होता, तो हम तुम्हें पथराव करके मार डालते और तुम हमारी नज़र में प्रतिष्ठित भी नहीं हो। info
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92 : 11

قَالَ یٰقَوْمِ اَرَهْطِیْۤ اَعَزُّ عَلَیْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ ؕ— وَاتَّخَذْتُمُوْهُ وَرَآءَكُمْ ظِهْرِیًّا ؕ— اِنَّ رَبِّیْ بِمَا تَعْمَلُوْنَ مُحِیْطٌ ۟

उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! क्या मेरा क़बीला तुम्हारे निकट अल्लाह से अधिक प्रभावशाली है?! और तुमने उस (अल्लाह) को पीठ पीछे डाल दिया है।[36] निःसंदेह मेरा पालनहार उसे घेरे में लिए हुए है, जो कुछ तुम कर रहे हो। info

36. अर्थात तुम मेरे भाई बंधु के भय से मेरे विरुद्ध कुछ करने से रुक गए, तो क्या वे तुम्हारे विचार में अल्लाह से अधिक प्रभाव रखते हैं?

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93 : 11

وَیٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰی مَكَانَتِكُمْ اِنِّیْ عَامِلٌ ؕ— سَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۙ— مَنْ یَّاْتِیْهِ عَذَابٌ یُّخْزِیْهِ وَمَنْ هُوَ كَاذِبٌ ؕ— وَارْتَقِبُوْۤا اِنِّیْ مَعَكُمْ رَقِیْبٌ ۟

और ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम अपने तरीक़े पर काम करो, मैं (भी अपने तरीक़े पर) काम कर रहा हूँ। तुम्हें बहुत जल्द पता चल जाएगा कि किसपर अपमानित कर देने वाली यातना आती है और कौन झूठा है? तथा तुम प्रतीक्षा करो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वाला हूँ। info
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94 : 11

وَلَمَّا جَآءَ اَمْرُنَا نَجَّیْنَا شُعَیْبًا وَّالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّا وَاَخَذَتِ الَّذِیْنَ ظَلَمُوا الصَّیْحَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دِیَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟ۙ

और जब हमारा आदेश आ गया, तो हमने शुऐब को और उसके साथ ईमान लाने वालों को अपनी दया से बचा लिया और अत्याचारियों को भयंकर आवाज़ (चीत्कार) ने पकड़ लिया। फिर वे अपने घरों में औंधे मुँह पड़े रह गए। info
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95 : 11

كَاَنْ لَّمْ یَغْنَوْا فِیْهَا ؕ— اَلَا بُعْدًا لِّمَدْیَنَ كَمَا بَعِدَتْ ثَمُوْدُ ۟۠

जैसै वे वहाँ कभी बसे ही नहीं थे। सुन लो! मदयन वाले भी वैसे ही (अल्लाह की दया से) दूर कर दिए गए, जैसे समूद जाति के लोग दूर कर दिए गए। info
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96 : 11

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰی بِاٰیٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ

और हमने मूसा को अपनी निशानियों (चमत्कार) तथा स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा। info
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97 : 11

اِلٰی فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهٖ فَاتَّبَعُوْۤا اَمْرَ فِرْعَوْنَ ۚ— وَمَاۤ اَمْرُ فِرْعَوْنَ بِرَشِیْدٍ ۟

फ़िरऔन और उसके प्रमुखों की ओर। तो उन्होंने फ़िरऔन के आदेश का पालन किया। जबकि फ़िरऔन का आदेश सटीक नहीं था। info
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