قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - عزیز الحق عمری

अल्-मआ़रिज

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1 : 70

سَاَلَ سَآىِٕلٌۢ بِعَذَابٍ وَّاقِعٍ ۟ۙ

एक माँगने वाले[1] ने वह यातना माँगी, जो घटित होने वाली है। info

1. कहा जाता है नज़्र पुत्र ह़ारिस अथवा अबू जह्ल ने यह माँग की थी कि "ऐ अल्लाह! यदि यह सत्य है तेरी ओर से तो तू हमपर आकाश से पत्थर बरसा दे।" (देखिए : सूरतुल-अन्फाल, आयतः 32)

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2 : 70

لِّلْكٰفِرِیْنَ لَیْسَ لَهٗ دَافِعٌ ۟ۙ

काफ़िरों पर। उसे कोई टालने वाला नहीं। info
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3 : 70

مِّنَ اللّٰهِ ذِی الْمَعَارِجِ ۟ؕ

ऊँचाइयों वाले अल्लाह की ओर से। info
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4 : 70

تَعْرُجُ الْمَلٰٓىِٕكَةُ وَالرُّوْحُ اِلَیْهِ فِیْ یَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهٗ خَمْسِیْنَ اَلْفَ سَنَةٍ ۟ۚ

फ़रिश्ते और रूह[2] उसकी ओर चढ़ेंगे, एक ऐसे दिन में जिसकी मात्रा पचास हज़ार वर्ष है। info

2. रूह़ से अभिप्राय फ़रिश्ता जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं।

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5 : 70

فَاصْبِرْ صَبْرًا جَمِیْلًا ۟

अतः (ऐ नबी!) आप अच्छे धैर्य से काम लें। info
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6 : 70

اِنَّهُمْ یَرَوْنَهٗ بَعِیْدًا ۟ۙ

निःसंदेह वे उसे दूर समझ रहे हैं। info
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7 : 70

وَّنَرٰىهُ قَرِیْبًا ۟ؕ

और हम उसे निकट देख रहे हैं। info
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8 : 70

یَوْمَ تَكُوْنُ السَّمَآءُ كَالْمُهْلِ ۟ۙ

जिस दिन आकाश पिघली हुई धातु के समान हो जाएगा। info
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9 : 70

وَتَكُوْنُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ ۟ۙ

और पर्वत धुने हुए ऊन के समान हो जाएँगे।[3] info

3. देखिए : सूरतुल-क़ारिआ।

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10 : 70

وَلَا یَسْـَٔلُ حَمِیْمٌ حَمِیْمًا ۟ۚۖ

और कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा। info
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11 : 70

یُّبَصَّرُوْنَهُمْ ؕ— یَوَدُّ الْمُجْرِمُ لَوْ یَفْتَدِیْ مِنْ عَذَابِ یَوْمِىِٕذٍ بِبَنِیْهِ ۟ۙ

हालाँकि वे उन्हें दिखाए जा रहे होंगे। अपराधी चाहेगा कि काश उस दिन की यातना से बचने के लिए छुड़ौती में दे दे अपने बेटों को। info
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12 : 70

وَصَاحِبَتِهٖ وَاَخِیْهِ ۟ۙ

तथा अपनी पत्नी और अपने भाई को। info
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13 : 70

وَفَصِیْلَتِهِ الَّتِیْ تُـْٔوِیْهِ ۟ۙ

तथा अपने परिवार (कुटुंब) को, जो उसे शरण देता था। info
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14 : 70

وَمَنْ فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا ۙ— ثُمَّ یُنْجِیْهِ ۟ۙ

और उन सभी लोगों[4] को जो धरती में हैं। फिर अपने आपको बचा ले। info

4. ह़दीस में है कि जिस नारकी को सबसे सरल यातना दी जाएगी, उससे अल्लाह कहेगा : क्या धरती का सब कुछ तुम्हें मिल जाए तो उसे इसके दंड में दे दोगे? वह कहेगा : हाँ। अल्लाह कहेगा : तुम आदम की पीठ में थे, तो मैंने तुमसे इससे सरल की माँग की थी कि मेरा किसी को साझी न बनाना, पर तुमने इनकार किया और शिर्क किया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6557, सह़ीह़ मुस्लिम : 2805)

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15 : 70

كَلَّا ؕ— اِنَّهَا لَظٰی ۟ۙ

कदापि नहीं! निःसंदेह वह (जहन्नम) भड़कने वाली आग है। info
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16 : 70

نَزَّاعَةً لِّلشَّوٰی ۟ۚۖ

जो खाल उधेड़ देने वाली है। info
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17 : 70

تَدْعُوْا مَنْ اَدْبَرَ وَتَوَلّٰی ۟ۙ

वह उसे पुकारेगी, जिसने पीठ फेरी[5] और मुँह मोड़ा। info

5. अर्थात सत्य से।

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18 : 70

وَجَمَعَ فَاَوْعٰی ۟

तथा (धन) एकत्र किया और संभाल कर रखा। info
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19 : 70

اِنَّ الْاِنْسَانَ خُلِقَ هَلُوْعًا ۟ۙ

निःसंदेह मनुष्य बहुत अधीर बनाया गया है। info
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20 : 70

اِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ جَزُوْعًا ۟ۙ

जब उसे कष्ट पहुँचता है, तो बहुत घबरा जाने वाला है। info
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21 : 70

وَّاِذَا مَسَّهُ الْخَیْرُ مَنُوْعًا ۟ۙ

और जब उसे भलाई मिलती है, तो बहुत रोकने वाला है। info
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22 : 70

اِلَّا الْمُصَلِّیْنَ ۟ۙ

सिवाय नमाज़ियों के। info
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23 : 70

الَّذِیْنَ هُمْ عَلٰی صَلَاتِهِمْ دَآىِٕمُوْنَ ۟

जो हमेशा अपनी नमाज़ों की पाबंदी करते हैं। info
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24 : 70

وَالَّذِیْنَ فِیْۤ اَمْوَالِهِمْ حَقٌّ مَّعْلُوْمٌ ۟

और जिनके धन में एक निश्चित भाग है। info
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25 : 70

لِّلسَّآىِٕلِ وَالْمَحْرُوْمِ ۟

माँगने वाले तथा वंचित[6] के लिए। info

6. अर्थात जो न माँगने के कारण वंचित रह जाता है।

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26 : 70

وَالَّذِیْنَ یُصَدِّقُوْنَ بِیَوْمِ الدِّیْنِ ۟

और जो बदले के दिन को सत्य मानते हैं। info
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27 : 70

وَالَّذِیْنَ هُمْ مِّنْ عَذَابِ رَبِّهِمْ مُّشْفِقُوْنَ ۟ۚ

और जो अपने पालनहार की यातना से डरने वाले हैं। info
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28 : 70

اِنَّ عَذَابَ رَبِّهِمْ غَیْرُ مَاْمُوْنٍ ۪۟

निश्चय उनके पालनहार की यातना ऐसी चीज़ है, जिससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता। info
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29 : 70

وَالَّذِیْنَ هُمْ لِفُرُوْجِهِمْ حٰفِظُوْنَ ۟ۙ

और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करते हैं। info
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30 : 70

اِلَّا عَلٰۤی اَزْوَاجِهِمْ اَوْ مَا مَلَكَتْ اَیْمَانُهُمْ فَاِنَّهُمْ غَیْرُ مَلُوْمِیْنَ ۟ۚ

सिवाय अपनी पत्नियों से या अपने स्वामित्व में आई दासियों[7] से, तो निश्चय वे निंदनीय नहीं हैं। info

7. इस्लाम में उसी दासी से संभोग उचित है जिसे सेनापति ने ग़नीमत के दूसरे धनों के समान किसी मुजाहिद के स्वामित्व में दे दिया हो। इससे पूर्व किसी बंदी स्त्री से संभोग पाप तथा व्यभिचार है। और उससे संभोग भी उस समय वैध है जब उसे एक बार मासिक धर्म आ जाए। अथवा गर्भवती हो, तो प्रसव के पश्चात् ही संभोग किया जा सकता है। इसी प्रकार जिसके स्वामित्व में आई हो, उसके सिवा और कोई उससे संभोग नहीं कर सकता।

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31 : 70

فَمَنِ ابْتَغٰی وَرَآءَ ذٰلِكَ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْعٰدُوْنَ ۟ۚ

फिर जो इसके अलावा कुछ और चाहे, तो ऐसे ही लोग सीमा का उल्लंघन करने वाले हैं। info
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32 : 70

وَالَّذِیْنَ هُمْ لِاَمٰنٰتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رٰعُوْنَ ۟

और जो अपनी अमानतों तथा अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखने वाले हैं। info
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33 : 70

وَالَّذِیْنَ هُمْ بِشَهٰدٰتِهِمْ قَآىِٕمُوْنَ ۟

और जो अपनी गवाहियों पर क़ायम रहने वाले हैं। info
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34 : 70

وَالَّذِیْنَ هُمْ عَلٰی صَلَاتِهِمْ یُحَافِظُوْنَ ۟ؕ

तथा जो अपनी नमाज़ की रक्षा करते हैं। info
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35 : 70

اُولٰٓىِٕكَ فِیْ جَنّٰتٍ مُّكْرَمُوْنَ ۟ؕ۠

वही लोग जन्नतों में सम्मानित होंगे। info
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36 : 70

فَمَالِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا قِبَلَكَ مُهْطِعِیْنَ ۟ۙ

फिर इन काफ़िरों को क्या हुआ है कि वे आपकी ओर दौड़े चले आ रहे है? info
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37 : 70

عَنِ الْیَمِیْنِ وَعَنِ الشِّمَالِ عِزِیْنَ ۟

दाएँ से और बाएँ से समूह के समूह।[8] info

8. अर्थात जब आप क़ुरआन सुनाते हैं, तो उसका उपहास करने के लिए समूहों में होकर आ जाते हैं। और इनका दावा यह है कि स्वर्ग में जाएँगे।

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38 : 70

اَیَطْمَعُ كُلُّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ اَنْ یُّدْخَلَ جَنَّةَ نَعِیْمٍ ۟ۙ

क्या उनमें से प्रत्येक व्यक्ति यह लालच रखता है कि उसे नेमत वाली जन्नत में दाखिल किया जाएगा? info
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39 : 70

كَلَّا ؕ— اِنَّا خَلَقْنٰهُمْ مِّمَّا یَعْلَمُوْنَ ۟

कदापि नहीं, निश्चय हमने उन्हें उस चीज़[9] से पैदा किया है, जिसे वे जानते हैं। info

9. अर्थात हीन जल (वीर्य) से। फिर भी घमंड करते हैं, तथा अल्लाह और उसके रसूल को नहीं मानते।

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40 : 70

فَلَاۤ اُقْسِمُ بِرَبِّ الْمَشٰرِقِ وَالْمَغٰرِبِ اِنَّا لَقٰدِرُوْنَ ۟ۙ

तो मैं क़सम खाता हूँ पूर्वों (सूर्योदय के स्थानों) तथा पश्चिमों (सूर्यास्त के स्थानों) के रब की! निश्चय हम सक्षम हैं। info
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41 : 70

عَلٰۤی اَنْ نُّبَدِّلَ خَیْرًا مِّنْهُمْ ۙ— وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوْقِیْنَ ۟

कि उनके स्थान पर उनसे उत्तम लोग ले आएँ तथा हम विवश नहीं हैं। info
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42 : 70

فَذَرْهُمْ یَخُوْضُوْا وَیَلْعَبُوْا حَتّٰی یُلٰقُوْا یَوْمَهُمُ الَّذِیْ یُوْعَدُوْنَ ۟ۙ

अतः आप उन्हें छोड़ दें कि वे व्यर्थ की बातों में लगे रहें तथा खेलते रहें, यहाँ तक कि उनका सामना उनके उस दिन से हो जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता है। info
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43 : 70

یَوْمَ یَخْرُجُوْنَ مِنَ الْاَجْدَاثِ سِرَاعًا كَاَنَّهُمْ اِلٰی نُصُبٍ یُّوْفِضُوْنَ ۟ۙ

जिस दिन वे क़ब्रों से तेज़ी से बाहर निकलेंगे, जैसे कि वे किसी निशान की ओर[10] दौड़े जा रहे हैं। info

10. या उनके थानों की ओर। क्योंकि संसार में वे सूर्योदय के समय बड़ी तीव्र गति से अपनी मूर्तियों की ओर दौड़ते थे।

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44 : 70

خَاشِعَةً اَبْصَارُهُمْ تَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ؕ— ذٰلِكَ الْیَوْمُ الَّذِیْ كَانُوْا یُوْعَدُوْنَ ۟۠

उनकी निगाहें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। यही वह दिन है जिसका उनसे वादा किया[11] जाता था। info

11. अर्थात रसूलों की ज़बानी तथा आकाशीय पुस्तकों के माध्यम से।

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