قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - ہندی ترجمہ - عزیز الحق عمری

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271 : 2

اِنْ تُبْدُوا الصَّدَقٰتِ فَنِعِمَّا هِیَ ۚ— وَاِنْ تُخْفُوْهَا وَتُؤْتُوْهَا الْفُقَرَآءَ فَهُوَ خَیْرٌ لَّكُمْ ؕ— وَیُكَفِّرُ عَنْكُمْ مِّنْ سَیِّاٰتِكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟

यदि तुम खुले तौर पर दान करो, तो यह अच्छी बात है और यदि उन्हें छिपाओ और उन्हें ग़रीबों को दे दो, तो यह तुम्हारे लिए ज़्यादा अच्छा[178] है। और यह तुमसे तुम्हारे कुछ पापों को दूर कर देगा तथा अल्लाह उससे जो तुम कर रहे हो, पूरी तरह अवगत है। info

178. आयत का भावार्थ यह है कि दिखावे के दान से रोकने का यह अर्थ नहीं है कि छुपा कर ही दान दिया जाए, बल्कि उसका अर्थ केवल यह है कि निःस्वार्थ दान जैसे भी दिया जाए, उसका प्रतिफल मिलेगा।

التفاسير: