قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - المختصر فی تفسیر القرآن الکریم کا ہندی ترجمہ

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6 : 64

ذٰلِكَ بِاَنَّهٗ كَانَتْ تَّاْتِیْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَقَالُوْۤا اَبَشَرٌ یَّهْدُوْنَنَا ؗ— فَكَفَرُوْا وَتَوَلَّوْا وَّاسْتَغْنَی اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ غَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟

यह यातना उन्हें इस कारण पहुँची कि उनके रसूल उनके पास अल्लाह की ओर से स्पष्ट प्रमाणों और प्रत्यक्ष तर्कों के साथ आते थे, तो उन्होंने रसूल के मानव जाति से होने का खंडन करते हुए कहा : क्या मनुष्य हमें सत्य का मार्गदर्शन करेंगे?!इस तरह उन्होंने इनकार किया और उनपर ईमान लाने से उपेक्षा किया। लेकिन उन्होंने अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। और अल्लाह ने उनके ईमान और आज्ञाकारिता की परवाह न की, क्योंकि उनकी आज्ञाकारिता उसे किसी चीज़ में बढ़ाती नहीं है। और अल्लाह बेनियाज़ है, अपने बंदों का ज़रूरतमंद नहीं है, अपनी बातों और कार्यों में प्रशंसनीय है। info
التفاسير:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• من قضاء الله انقسام الناس إلى أشقياء وسعداء.
• अल्लाह के फैसले में से है कि लोग सौभाग्यशाली और दुर्भाग्यशाली में विभाजित हैं। info

• من الوسائل المعينة على العمل الصالح تذكر خسارة الناس يوم القيامة.
• अच्छे काम में सहायक साधनों में से एक क़ियामत के दिन लोगों के नुकसान व घाटे को याद करना है। info