قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - المختصر فی تفسیر القرآن الکریم کا ہندی ترجمہ

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12 : 25

اِذَا رَاَتْهُمْ مِّنْ مَّكَانٍ بَعِیْدٍ سَمِعُوْا لَهَا تَغَیُّظًا وَّزَفِیْرًا ۟

जब जहन्नम काफ़िरों को देखेगी, जबकि वे एक दूर स्थान से उसकी ओर हाँककर ले जाए जा रहे होंगे, तो वे उसे ज़ोर से उबलते हुए, और उनपर उसके क्रोध की तीव्रता के कारण एक आकुल करने वाली आवाज़ सुनेंगे। info
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13 : 25

وَاِذَاۤ اُلْقُوْا مِنْهَا مَكَانًا ضَیِّقًا مُّقَرَّنِیْنَ دَعَوْا هُنَالِكَ ثُبُوْرًا ۟ؕ

और जब इन काफ़िरों को जहन्नम के एक तंग स्थान में, उनके हाथों को गरदनों के साथ मिलाकर ज़ंजीरों से बाँधकर फेंका जाएगा, तो वे उससे छुटकारा पाने की आशा में ख़ुद के लिए विनाश का आह्वान करेंगे। info
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14 : 25

لَا تَدْعُوا الْیَوْمَ ثُبُوْرًا وَّاحِدًا وَّادْعُوْا ثُبُوْرًا كَثِیْرًا ۟

(ऐ काफ़िरो!) आज एक विनाश को मत पुकारो, बल्कि बहुत अधिक विनाशों को पुकारो। लेकिन तुम्हारी फ़रियाद सुनी नहीं जाएगी, बल्कि तुम दर्दनाक यातना में हमेशा पड़े रहोगे। info
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15 : 25

قُلْ اَذٰلِكَ خَیْرٌ اَمْ جَنَّةُ الْخُلْدِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— كَانَتْ لَهُمْ جَزَآءً وَّمَصِیْرًا ۟

(ऐ रसूल!) उनसे कह दें : क्या यह उक्त यातना, जिसका तुम्हारे सामने वर्णन किया गया है, बेहतर है या अमरता की जन्नत, जिसकी नेमतें सदा उपलब्ध रहेंगी और कभी भी ख़त्म नहीं होंगी? तथा यही वह जन्नत है, जिसका अल्लाह ने अपने मोमिन बंदों से वादा किया है कि वह उनके लिए प्रतिफल और ठिकाना होगी, जहाँ वे क़ियामत के दिन लौटकर जाएँगे। info
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16 : 25

لَهُمْ فِیْهَا مَا یَشَآءُوْنَ خٰلِدِیْنَ ؕ— كَانَ عَلٰی رَبِّكَ وَعْدًا مَّسْـُٔوْلًا ۟

उनके लिए इस जन्नत में वे सारी नेमतें होंगी, जो वे चाहेंगे। यह अल्लाह पर एक ऐसा वादा है, जिसकी उसके डरने वाले बंदे उससे माँग करेंगे। और अल्लाह का वादा पूरा होकर रहता है। क्योंकि वह अपना वादा कभी नहीं तोड़ता। info
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17 : 25

وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ وَمَا یَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَیَقُوْلُ ءَاَنْتُمْ اَضْلَلْتُمْ عِبَادِیْ هٰۤؤُلَآءِ اَمْ هُمْ ضَلُّوا السَّبِیْلَ ۟ؕ

जिस दिन अल्लाह झुठलाने वाले मुश्रिकों को एकत्र करेगा, तथा उन्हें भी एकत्र करेगा जिनकी वे अल्लाह के सिवा पूजा करते थे। फिर अल्लाह पूज्यों से, उनके पूजकों को फटकार लगाने हेतु, कहेगा : क्या तुमने मेरे बंदों को उन्हें अपनी पूजा का आदेश देकर पथभ्रष्ट किया था, या वे अपने आप भटक गए थे?! info
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18 : 25

قَالُوْا سُبْحٰنَكَ مَا كَانَ یَنْۢبَغِیْ لَنَاۤ اَنْ نَّتَّخِذَ مِنْ دُوْنِكَ مِنْ اَوْلِیَآءَ وَلٰكِنْ مَّتَّعْتَهُمْ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی نَسُوا الذِّكْرَ ۚ— وَكَانُوْا قَوْمًا بُوْرًا ۟

वे पूज्य कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! तू इस बात से पवित्र है कि तेरा कोई साझी हो। हमारे लिए यह उचित नहीं था कि तुझे छोड़कर अन्य लोगों को संरक्षक बनाकर उनका संरक्षण ग्रहण करते, तो फिर हम तेरे बंदों से किस तरह आह्वान कर सकते थे कि वे तुझे छोड़कर हमारी पूजा करें?! लेकिन असल बात यह है कि तूने इन मुश्रिकों को दुनिया की सुख-सुविधाएँ प्रदान कीं और इनसे पहले इनके बाप-दादों को भी ढील देने के लिए धन-संपन्नता प्रदान की थी, यहाँ तक कि वे तेरी याद को भूला गए। इसलिए उन्होंने तेरे साथ दूसरों की पूजा की, तथा वे अपने दुर्भाग्य के कारण विनष्ट होने वाले लोग थे। info
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19 : 25

فَقَدْ كَذَّبُوْكُمْ بِمَا تَقُوْلُوْنَ ۙ— فَمَا تَسْتَطِیْعُوْنَ صَرْفًا وَّلَا نَصْرًا ۚ— وَمَنْ یَّظْلِمْ مِّنْكُمْ نُذِقْهُ عَذَابًا كَبِیْرًا ۟

(ऐ मुश्रिको!) तुम्हारे उन पूज्यों ने, जिनकी तुमने अल्लाह के अलावा पूजा की थी, तुम्हें उसमें झूठा ठहरा दिया, जो तुम उनपर दावा करते हो। अतः तुम अपनी अक्षमता के कारण अपने आपसे न यातना टाल सकते हो और न ही अपनी मदद कर सकते हो। तथा (ऐ मोमिनो!) तुम में से जो व्यक्ति अल्लाह का साझी बनाकर अत्याचार करेगा, हम उसे बहुत बड़ी यातना चखाएँगे, जैसा कि हम ऊपर उल्लिखित लोगों को चखा चुके हैं। info
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20 : 25

وَمَاۤ اَرْسَلْنَا قَبْلَكَ مِنَ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّاۤ اِنَّهُمْ لَیَاْكُلُوْنَ الطَّعَامَ وَیَمْشُوْنَ فِی الْاَسْوَاقِ ؕ— وَجَعَلْنَا بَعْضَكُمْ لِبَعْضٍ فِتْنَةً ؕ— اَتَصْبِرُوْنَ ۚ— وَكَانَ رَبُّكَ بَصِیْرًا ۟۠

(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले जितने भी रसूल भेजे, वे सभी इनसान थे, जो खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते-फिरते थे। अतः इस मामले में आप कोई अनूठे नबी नहीं हैं। तथा (ऐ लोगो!) हमने तुम्हें खुशहाली एवं ग़रीबी तथा स्वास्थ्य एवं बीमारी आदि अलग-अलग अवस्थाओं में रखकर, एक-दूसरे के लिए परीक्षण बनाया है। क्या तुम अपने इस परीक्षण में धैर्य से काम लोगे, कि अल्लाह तुम्हें तुम्हारे धैर्य का प्रतिफल प्रदान करे?! और तुम्हारा रब देख रहा है कि कौन सब्र करता है और कौन सब्र नहीं करता, तथा कौन उसका आज्ञापालन करता है और कौन उसकी अवज्ञा करता है। info
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حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• الجمع بين الترهيب من عذاب الله والترغيب في ثوابه.
• अल्लाह की यातना से डराने के साथ-साथ उसके सवाब की प्रेरणा देना। info

• متع الدنيا مُنْسِية لذكر الله.
• दुनिया की समृद्धि अल्लाह की याद को भुलाने वाली है। info

• بشرية الرسل نعمة من الله للناس لسهولة التعامل معهم.
• रसूलों का इनसान होना अल्लाह की ओर से लोगों के लिए एक नेमत है, क्योंकि उनके साथ व्यवहार करना आसान होता है। info

• تفاوت الناس في النعم والنقم اختبار إلهي لعباده.
• लोगों का नेमतों और निक़मतों (सज़ाओं) में अलग-अलग होना, अल्लाह की ओर से उसके बंदों के लिए एक परीक्षण है। info