Kur'an-ı Kerim meal tercümesi - Muhtasar Kur'an-ı Kerim Tefsiri Hintçe Tercümesi

अल्-बुरूज

Surenin hedefleri:
بيان قوة الله وإحاطته الشاملة، ونصرته لأوليائه، والبطش بأعدائه.
अल्लाह की शक्ति और उसके व्यापक ज्ञान, तथा अपने दोस्तों के लिए उसके समर्थन, और अपने दुश्मनों की सख़्त पकड़ करने का वर्णन। info

external-link copy
1 : 85

وَالسَّمَآءِ ذَاتِ الْبُرُوْجِ ۟ۙ

अल्लाह ने आसमान की क़सम खाई है, जिसमें सूर्य एवं चाँद की मंज़िलें (कक्षाएँ) हैं। info
التفاسير:

external-link copy
2 : 85

وَالْیَوْمِ الْمَوْعُوْدِ ۟ۙ

और क़ियामत के दिन की क़सम खाई है, जिसमें उसने सभी प्राणियों को इकट्ठा करने का वादा किया है। info
التفاسير:

external-link copy
3 : 85

وَشَاهِدٍ وَّمَشْهُوْدٍ ۟ؕ

और अल्लाह ने हर गवाही देने वाले की क़सम खाई, जैसे कि नबी अपनी उम्मत पर गवाही देगा, और उसकी क़सम खाई है, जिसके बारे में गवाही दी जाएगी, जैसे कि उम्मत, जिसपर उसका नबी गवाही देगा। info
التفاسير:

external-link copy
4 : 85

قُتِلَ اَصْحٰبُ الْاُخْدُوْدِ ۟ۙ

उन लोगों को शापित किया गया, जिन्होंने ज़मीन में बहुत बड़ी खाई खोदी थी। info
التفاسير:

external-link copy
5 : 85

النَّارِ ذَاتِ الْوَقُوْدِ ۟ۙ

और उन्होंने उसमें आग जलाई और ईमान वालों को उसमें ज़िंदा डाल दिया। info
التفاسير:

external-link copy
6 : 85

اِذْ هُمْ عَلَیْهَا قُعُوْدٌ ۟ۙ

जबकि वे उस आग से भरी हुई खाई के किनारों पर बैठे हुए थे। info
التفاسير:

external-link copy
7 : 85

وَّهُمْ عَلٰی مَا یَفْعَلُوْنَ بِالْمُؤْمِنِیْنَ شُهُوْدٌ ۟ؕ

और वे मोमिनों को जो यातना दे रहे थे, उसके गवाह थे; क्योंकि वे वहाँ उपस्थित थे। info
التفاسير:

external-link copy
8 : 85

وَمَا نَقَمُوْا مِنْهُمْ اِلَّاۤ اَنْ یُّؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ الْعَزِیْزِ الْحَمِیْدِ ۟ۙ

और इन काफ़िरों को ईमान वालों की केवल यह बात अप्रिय लगी कि वे उस अल्लाह पर ईमान रखते थे, जो प्रभुत्वशाली है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, तथा हर चीज़ में प्रशंसनीय हैं। info
التفاسير:

external-link copy
9 : 85

الَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ شَهِیْدٌ ۟ؕ

वह कि जिसके लिए अकेले आसमानों और धरती का राज्य है और वह हर चीज़ से अवगत है। उसके बंदों की कोई बात उससे छिपी नहीं है। info
التفاسير:

external-link copy
10 : 85

اِنَّ الَّذِیْنَ فَتَنُوا الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ لَمْ یَتُوْبُوْا فَلَهُمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ وَلَهُمْ عَذَابُ الْحَرِیْقِ ۟ؕ

निश्चय जिन लोगों ने ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली औरतों को आग की यातना दी, ताकि उन्हें एक अल्लाह पर ईमान लाने से फेर दें, फिर उन्होंने अपने गुनाहों से तौबा नहीं की, तो उनके लिए क़ियामत के दिन जहन्नम की यातना है, तथा उनके लिए ऐसी आग की यातना है, जो उन्हें जला डालेगी; यह उसका बदला है जो उन्होंने ईमान वालों को आग से जलाया था। info
التفاسير:

external-link copy
11 : 85

اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ جَنّٰتٌ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْكَبِیْرُ ۟ؕ

निश्चय जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, उनके लिए ऐसे बाग़ हैं, जिनके महलों एवं पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं। यह बदला, जो उनके लिए तैयार किया गया है, यही बहुत बड़ी सफलता है, जिसके बराबर कोई अन्य सफलता नहीं हो सकती। info
التفاسير:

external-link copy
12 : 85

اِنَّ بَطْشَ رَبِّكَ لَشَدِیْدٌ ۟ؕ

निश्चय (ऐ रसूल) आपके पालनहार का ज़ालिम को पकड़ना बहुत मज़बूत है (यद्यपि वह उसे थोड़ी मोहलत दे दे)। info
التفاسير:

external-link copy
13 : 85

اِنَّهٗ هُوَ یُبْدِئُ وَیُعِیْدُ ۟ۚ

वही सृजन और यातना की शुरुआत करता है, और वही इन्हें दोबारा करेगा। info
التفاسير:

external-link copy
14 : 85

وَهُوَ الْغَفُوْرُ الْوَدُوْدُ ۟ۙ

और वही है जो अपने तौबा करने वाले बंदों के पापों को क्षमा करने वाला है, और वह अपने परहेज़गार दोस्तों से प्रेम करता है। info
التفاسير:

external-link copy
15 : 85

ذُو الْعَرْشِ الْمَجِیْدُ ۟ۙ

वह महिमाशाली अर्श (सिंहासन) का स्वामी है। info
التفاسير:

external-link copy
16 : 85

فَعَّالٌ لِّمَا یُرِیْدُ ۟ؕ

वह जो चाहे कर गुज़रने वाला है। जिसके गुनाहों को चाहे माफ़ कर दे और जिसे चाहे सज़ा दे। उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं है। info
التفاسير:

external-link copy
17 : 85

هَلْ اَتٰىكَ حَدِیْثُ الْجُنُوْدِ ۟ۙ

(ऐ रसूल) क्या तुम्हें उन सेनाओं की खबर पहुँची है, जो सत्य से लड़ने और उससे रोकने के लिए एकत्रित हुई थीं?! info
التفاسير:

external-link copy
18 : 85

فِرْعَوْنَ وَثَمُوْدَ ۟ؕ

फ़िरऔन, तथा सालेह अलैहिस्सलाम के समुदाय समूद की? info
التفاسير:

external-link copy
19 : 85

بَلِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فِیْ تَكْذِیْبٍ ۟ۙ

उनके ईमान न लाने का कारण यह नहीं है कि उनके पास झुठलाने वाले समुदायों और उनके विनाश की खबरें नहीं आई हैं, बल्कि बात यह है कि वे अपनी इच्छाओं के पीछे चलते हुए उस चीज़ को झुठलाते हैं, जो रसूल उनके पास लेकर आए। info
التفاسير:

external-link copy
20 : 85

وَّاللّٰهُ مِنْ وَّرَآىِٕهِمْ مُّحِیْطٌ ۟ۚ

अल्लाह उनके कर्मों से अवगत है, उन्हें गिन रखा है, उनमें से कोई चीज़ भी उससे नहीं छूटती है, और वह उन्हें उनका बदला देगा। info
التفاسير:

external-link copy
21 : 85

بَلْ هُوَ قُرْاٰنٌ مَّجِیْدٌ ۟ۙ

क़ुरआन कोई काव्य या तुकबंदी नहीं है, जैसा कि झुठलाने वालों का दावा है, बल्कि वह गौरव वाला क़ुरआन हा। info
التفاسير:

external-link copy
22 : 85

فِیْ لَوْحٍ مَّحْفُوْظٍ ۟۠

वह ऐसी तख्ती में अंकित है, जो परिवर्तन, विरूपण, कमी और वृद्धि से संरक्षित है। info
التفاسير:
Bu sayfadaki ayetlerin faydaları:
• يكون ابتلاء المؤمن على قدر إيمانه.
• मोमिन की आज़माइश उसके ईमान के अनुसार होती है। info

• إيثار سلامة الإيمان على سلامة الأبدان من علامات النجاة يوم القيامة.
• शरीर की सुरक्षा पर ईमान की सुरक्षा को वरीयता देना, क़ियामत के दिन मोक्ष के संकेतों में से है। info

• التوبة بشروطها تهدم ما قبلها.
• तौबा अगर उसकी शर्तों के साथ की जाए, तो वह उससे पहले के गुनाहों को मिटा देती है। info