Kur'an-ı Kerim meal tercümesi - Muhtasar Kur'an-ı Kerim Tefsiri Hintçe Tercümesi

अश़्-शूरा

Surenin hedefleri:
بيان كمال تشريع الله، ووجوب متابعته، والتحذير من مخالفته.
अल्लाह के विधान की पूर्णता और उसका पालन करने की अनिवार्यता का वर्णन, तथा उसका उल्लंघन करने पर चेतावनी। info

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1 : 42

حٰمٓ ۟ۚ

1-2 - {हा, मीम। ऐन, सीन, क़ाफ़।} सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। info
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2 : 42

عٓسٓقٓ ۟

1-2 - {हा, मीम। ऐन, सीन, क़ाफ़।} सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। info
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3 : 42

كَذٰلِكَ یُوْحِیْۤ اِلَیْكَ وَاِلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكَ ۙ— اللّٰهُ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟

इसी वह़्य की तरह, ऐ मुहम्मद! आपकी ओर और आपसे पहले के नबियों की ओर, वह अल्लाह वह़्य करता है, जो अपने दुश्मनों से बदला लेने में बड़ा शक्तिशाली और अपने प्रबंधन और रचना में हिकमत वाला है। info
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4 : 42

لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَهُوَ الْعَلِیُّ الْعَظِیْمُ ۟

जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, उन सब का रचयिता, स्वामी और प्रबंध करने वाला अकेला अल्लाह है। वह अपने अस्तित्व, महिमा और प्रभुत्व के साथ सर्वोच्च और अपने अस्तित्व में महान है। info
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5 : 42

تَكَادُ السَّمٰوٰتُ یَتَفَطَّرْنَ مِنْ فَوْقِهِنَّ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ یُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَیَسْتَغْفِرُوْنَ لِمَنْ فِی الْاَرْضِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمُ ۟

अल्लाह की महानता के कारण निकट है कि आकाश अपनी विशालता और ऊँचाई के बावजूद धरती के ऊपर से फट पड़ें। तथा फ़रिश्ते अपने पालनहार की पवित्रता का वर्णन करते हैं और विनम्रता एवं सम्मान में उसकी प्रशंसा करते हुए, उसकी महिमा का गान करते हैं। तथा वे अल्लाह से धरती वालों के लिए क्षमा याचना करते हैं। सुन लो, निश्चय अल्लाह ही अपने तौबा करने वाले बंदों के पापों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है। info
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6 : 42

وَالَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ اللّٰهُ حَفِیْظٌ عَلَیْهِمْ ۖؗ— وَمَاۤ اَنْتَ عَلَیْهِمْ بِوَكِیْلٍ ۟

जिन लोगों ने अल्लाह के अलावा मूर्तियों को अपना संरक्षक बना लिया है, जिनकी वे अल्लाह को छोड़कर पूजा करते हैं, अल्लाह उनपर निगरानी रखे हुए है; उनके कार्यों को रिकॉर्ड कर रहा है और उन्हें उनका बदला देगा। आपको (ऐ रसूल!) उनके कार्यों को संरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। इसलिए आपसे उनके कार्यों के बारे में हरगिज़ नहीं पूछा जाएगा। आपका काम तो केवल पहुँचा देना है। info
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7 : 42

وَكَذٰلِكَ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ قُرْاٰنًا عَرَبِیًّا لِّتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰی وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنْذِرَ یَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— فَرِیْقٌ فِی الْجَنَّةِ وَفَرِیْقٌ فِی السَّعِیْرِ ۟

जिस तरह हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले के नबियों की ओर वह़्य की थी, उसी तरह आपकी ओर अरबी भाषा में क़ुरआन की वह़्य की है, ताकि आप मक्का तथा उसके आस-पास के लोगों को, फिर सभी लोगों को सावधान करें और लोगों को क़ियामत के दिन से डराएँ, जिस दिन अल्लाह अगले-पिछले सभी लोगों को एक ही स्थान पर हिसाब तथा बदले के लिए इकट्ठा करेगा, उस दिन के आने के बारे में कोई संदेह नहीं है। उस दिन लोग दो समूहों में विभाजित होंगे : एक समूह जन्नत में जाएगा, जो कि ईमान वाले होंगे और एक समूह जहन्नम में जाएगा, जो कि काफ़िर लोग होंगे। info
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8 : 42

وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَعَلَهُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ یُّدْخِلُ مَنْ یَّشَآءُ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— وَالظّٰلِمُوْنَ مَا لَهُمْ مِّنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟

अगर अल्लाह उन्हें इस्लाम धर्म पर चलने वाला एक ही समुदाय बनाना चाहता, तो उन्हें इस्लाम पर क़ायम रहने वाला एक ही समुदाय बना देता और उन सभी को जन्नत में दाख़िल कर देता। लेकिन उसकी हिकमत की अपेक्षा यह हुई कि वह जिसे चाहे इस्लाम में प्रवेश दे और जन्नत में दाख़िल करे। जो लोग कुफ़्र और पाप के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं, उनका कोई संरक्षक न होगा, जो उनकी रक्षा कर सके और न कोई मददगार होगा, जो उन्हें अल्लाह की यातना से बचा सके। info
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9 : 42

اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ ۚ— فَاللّٰهُ هُوَ الْوَلِیُّ وَهُوَ یُحْیِ الْمَوْتٰی ؗ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟۠

बल्कि इन मुश्रिकों ने अल्लाह के अलावा (दूसरे) संरक्षक बना लिए हैं, जिनसे वे दोस्ती रखते हैं। हालाँकि अल्लाह ही सच्चा संरक्षक है। क्योंकि उसके सिवा कोई और लाभ या हानि नहीं पहुँचा सकता है। वही मृतकों को पुनर्जीवित करके हिसाब और बदले के लिए उठाएगा। उस महिमावान को कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। info
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10 : 42

وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِیْهِ مِنْ شَیْءٍ فَحُكْمُهٗۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبِّیْ عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ ۖۗ— وَاِلَیْهِ اُنِیْبُ ۟

तुम (ऐ लोगो!) अपने धर्म के मूल सिद्धांतों या उसकी शाखाओं में से जिस चीज़ के बारे में भी मतभेद करो, उसका निर्णय अल्लाह की ओर है। चुनाँचे उसके बारे में अल्लाह की किताब या उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत की ओर लौटा जाएगा। यह जो इन गुणों से विशिष्ट है, वही मेरा पालनहार है, उसी पर मैंने अपने सभी मामलों में भरोसा किया है और उसी की ओर मैं तौबा के साथ लौटता हूँ। info
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Bu sayfadaki ayetlerin faydaları:
• عظمة الله ظاهرة في كل شيء.
• अल्लाह की महानता हर चीज में स्पष्ट है। info

• دعاء الملائكة لأهل الإيمان بالخير.
• फ़रिश्ते ईमान वालों के लिए भलाई की दुआ करते हैं। info

• القرآن والسُنَّة مرجعان للمؤمنين في شؤونهم كلها، وبخاصة عند الاختلاف.
• क़ुरआन और सुन्नत मोमिनों के लिए उनके सभी मामलों में दो संदर्भ हैं, खासकर जब कोई मतभेद पैदा हो जाए। info

• الاقتصار على إنذار أهل مكة ومن حولها؛ لأنهم مقصودون بالرد عليهم لإنكارهم رسالته صلى الله عليه وسلم وهو رسول للناس كافة كما قال تعالى: ﴿وَمَآ أَرسَلنُّكَ إلَّا كافةً لِّلنَّاس...﴾، (سبأ: 28).
• मक्का और उसके आस-पास के लोगों के लिए चेतावनी को इसलिए सीमित किया गया है; क्योंकि यहाँ उद्देश्य उन्हीं को जवाब देना है। क्योंकि उन्होंने ही आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के रसूल (संदेशवाहक) होने का इनकार किया था। हालाँकि आप समस्त लोगों के लिए रसलू बनाकर भेजे गए हैं, जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया : {...وَمَآ أَرسَلنُّكَ إلَّا كافةً لِّلنَّاس} "हमने आपको समस्त लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है।" (सूरत सबा : 28). info