పవిత్ర ఖురాన్ యొక్క భావార్థాల అనువాదం - హిందీ అనువాదం - అల్ ఖుర్ఆన్ అల్ కరీమ్ యొక్క సంక్షిప్త తఫ్సీర్ వ్యాఖ్యానం

मुह़म्मद

ఈ సూరహ్ (అధ్యాయం) యొక్క ప్రయోజనాలు:
تحريض المؤمنين على القتال، تقويةً لهم وتوهينًا للكافرين.
ईमान वालों को लड़ने के लिए उभारना, ताकि उन्हें सशक्त किया जाए और काफ़िरों को कमज़ोर किया जाए। info

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1 : 47

اَلَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟

जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और लोगों को अल्लाह के धर्म से रोका, अल्लाह ने उनके कर्मों को व्यर्थ कर दिया। info
التفاسير:

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2 : 47

وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوْا بِمَا نُزِّلَ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّهِمْ ۙ— كَفَّرَ عَنْهُمْ سَیِّاٰتِهِمْ وَاَصْلَحَ بَالَهُمْ ۟

और जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए और उसपर ईमान लाए, जो अल्लाह ने अपने रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया है (और वही उनके पालनहार की ओर से सत्य है), अल्लाह ने उनके पापों को मिटा दिया, चुनाँचे वह उनपर उनकी पकड़ नहीं करेगा और उनके सांसारिक और आख़िरत के मामलों को ठीक कर दिया। info
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3 : 47

ذٰلِكَ بِاَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوا اتَّبَعُوا الْبَاطِلَ وَاَنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّبَعُوا الْحَقَّ مِنْ رَّبِّهِمْ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ اَمْثَالَهُمْ ۟

दोनों पक्षों के लिए यह उल्लिखित बदला इस कारण है कि अल्लाह का इनकार करने वालों ने असत्य का अनुसरण किया और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखने वालों ने अपने रब की ओर से सत्य का अनुसरण किया। अतः दोनों के प्रयासों में अंतर के कारण उनका बदला अलग-अलग था। जिस तरह अल्लाह ने दोनों पक्षों : मोमिनों के पक्ष और काफ़िरों के पक्ष के बारे में अपना निर्णय स्पष्ट किया, उसी तरह अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है, इसलिए हर एक को उसके सदृश से मिलाता है। info
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4 : 47

فَاِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَضَرْبَ الرِّقَابِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَثْخَنْتُمُوْهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ ۙ— فَاِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَاِمَّا فِدَآءً حَتّٰی تَضَعَ الْحَرْبُ اَوْزَارَهَا— ذٰلِكَ ۛؕ— وَلَوْ یَشَآءُ اللّٰهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَبْلُوَاۡ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍ ؕ— وَالَّذِیْنَ قُتِلُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَلَنْ یُّضِلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟

अतः जब (ऐ ईमान वालो!) तुम युद्धरत काफिरों से मिलो, तो अपनी तलवारों से उनकी गरदनें उड़ाओ और जब तक उन्हें अधिक से अधिक संख्या में क़त्ल करके उनकी शक्ति तोड़ न दो, उनसे लड़ाई जारी रखो। जब उनमें से बहुत से लोगों को क़त्ल कर चुको, तो कैदियों के बंधनों को कस लो। फिर उन्हें क़ैद करने के बाद हित की अपेक्षा के अनुसार तुम्हारे पास यह विकल्प है कि : उनपर उपकार करते हुए कुछ लिए बिना ही उन्हें रिहा कर दो, या उन्हें पैसे लेकर या किसी अन्य चीज़ के बदले में छोड़ दो। उनसे तब तक लड़ते रहो और उन्हें बंदी बनाते रहो, जब तक कि काफ़िरों के इस्लाम लाने या उनकी संधि के साथ युद्ध समाप्त न हो जाए। यह उपर्युक्त काफ़िरों द्वारा मोमिनों का परीक्षण, दिनों का परिवर्तन और उनमें से कुछ की दूसरों पर विजय, अल्लाह का हुक्म (फैसला) है। यदि अल्लाह बिना लड़ाई के काफ़िरों से बदला लेना चाहे, तो वह अवश्य उनसे बदला ले ले। लेकिन अल्लाह ने तुम्हें एक-दूसरे के द्वारा आज़माने के लिए जिहाद का कानून बनाया है। चुनाँचे वह उन लोगों की परीक्षा लेता है जो ईमान वालों में से लड़ते हैं और जो नहीं लड़ते हैं, तथा काफ़िर की मोमिन के द्वारा परीक्षा लेता है। क्योंकि यदि उसने किसी ईमान वाले को क़त्ल कर दिया, तो ईमान वाला जन्नत में जाएगा, लेकिन अगर किसी ईमान वाले ने उसे मार दिया, तो वह जहन्नम में जाएगा। और जो लोग अल्लाह के रास्ते में मारे गए, तो अल्लाह उनके कर्मों को कदापि व्यर्थ नहीं करेगा। info
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5 : 47

سَیَهْدِیْهِمْ وَیُصْلِحُ بَالَهُمْ ۟ۚ

वह उन्हें उनके सांसारिक जीवन में सच्चाई का पालन करने की तौफ़ीक़ देगा और उनकी स्थिति सुधार देगा। info
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6 : 47

وَیُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ ۟

वह उन्हें क़ियामत के दिन जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे उसने उन्हें दुनिया में उसके विवरण के साथ परिचित करा दिया है और वे उसे पहचान गए हैं, तथा उसने उन्हें आखिरत में उसके अंदर उनके ठिकानों की पहचान करा दी है। info
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7 : 47

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَنْصُرُوا اللّٰهَ یَنْصُرْكُمْ وَیُثَبِّتْ اَقْدَامَكُمْ ۟

ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! यदि तुम अल्लाह की, उसके नबी और उसके धर्म की मदद करके और काफ़िरों से लड़ाई करके, मदद करोगे, तो अल्लाह तुम्हें उनपर विजय प्रदान करके तुम्हारी मदद करेगा और युद्ध में उनसे मुठभेड़ के समय तुम्हारे क़दम जमा देगा। info
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8 : 47

وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَاَضَلَّ اَعْمَالَهُمْ ۟

और जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया, उनके लिए नुकसान और विनाश है और अल्लाह ने उनके कर्मों के प्रतिफल को नष्ट कर दिया। info
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9 : 47

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَرِهُوْا مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ۟

उन्हें यह सज़ा इस कारण मिली कि उन्होंने उस क़ुरआन को नापसंद किया, जो अल्लाह ने अपने रसूल पर उतारा, सिर्फ इस कारण कि उसमें अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) की शिक्षा है। तो अल्लाह ने उनके कार्यों को अकारथ कर दिया। इसलिए वे दुनिया और आखिरत दोनों जगह घाटे में रहे। info
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10 : 47

اَفَلَمْ یَسِیْرُوْا فِی الْاَرْضِ فَیَنْظُرُوْا كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— دَمَّرَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ ؗ— وَلِلْكٰفِرِیْنَ اَمْثَالُهَا ۟

क्या ये झुठलाने वाले लोग धरती में चले-फिरे नहीं, ताकि वे सोच-विचार करते कि उनसे पहले झुठलाने वाले लोगों का अंत कैसा रहा? वास्तव में, वह एक दर्दनाक अंत था। अल्लाह ने उनके घरों को उनपर ध्वस्त कर दिया और इस तरह उसने उन्हें, उनके बाल-बच्चों और उनके धन को नष्ट कर दिया। तथा काफ़िरों के लिए हर समय और जगह में इसी तरह की सज़ाएँ हैं। info
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11 : 47

ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ مَوْلَی الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَاَنَّ الْكٰفِرِیْنَ لَا مَوْلٰی لَهُمْ ۟۠

दोनों पक्षों के लिए उक्त (अलग-अलग) बदला इस कारण है कि अल्लाह ईमान वालों का मददगार है और काफ़िरों का कोई सहायक नहीं है। info
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ఈ పేజీలోని వచనాల ద్వారా లభించే ప్రయోజనాలు:
• النكاية في العدوّ بالقتل وسيلة مُثْلى لإخضاعه.
• दुश्मन को मार कर परास्त कर देना उसे वश में करने का एक आदर्श उपाय है। info

• المن والفداء والقتل والاسترقاق خيارات في الإسلام للتعامل مع الأسير الكافر، يؤخذ منها ما يحقق المصلحة.
• उपकार करना, छुड़ौती लेना, क़त्ल कर देना और दास बना लेना, इस्लाम में एक काफिर बंदी से निपटने के विकल्प हैं, इनमें से उसे चुना जाएगा, जिससे हित की पूर्ति होती हो। info

• عظم فضل الشهادة في سبيل الله.
• अल्लाह के रास्ते में शहीद होने की महान श्रेष्ठता। info

• نصر الله للمؤمنين مشروط بنصرهم لدينه.
• ईमान वालों के लिए अल्लाह की मदद, उनके उसके धर्म की मदद करने की शर्त पर है। info