ශුද්ධවූ අල් කුර්ආන් අර්ථ කථනය - ශුද්ධ වූ අල්කුර්ආන් අර්ථ විවරණයේ සංෂිප්ත අනුවාදය - ඉන්දියානු පරිවර්තනය

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70 : 2

قَالُوا ادْعُ لَنَا رَبَّكَ یُبَیِّنْ لَّنَا مَا هِیَ ۙ— اِنَّ الْبَقَرَ تَشٰبَهَ عَلَیْنَا ؕ— وَاِنَّاۤ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ لَمُهْتَدُوْنَ ۟

फिर वे अपने हठ में हद से बढ़ते हुए कहने लगे : अपने पालनहार से प्रार्थना करो कि वह हमारे लिए इसके गुणों को और अधिक स्पष्ट कर दे; क्योंकि उपर्युक्त विशेषताओं वाली गायें बहुत हैं, उनमें से हम उसकी पहचान नहीं कर सकते। उन्होंने इस बात की पुष्टि भी की कि - यदि अल्लाह ने चाहा - तो वे ज़बह के लिए अपेक्षित गाय तक पहुँच जाएँगे। info
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71 : 2

قَالَ اِنَّهٗ یَقُوْلُ اِنَّهَا بَقَرَةٌ لَّا ذَلُوْلٌ تُثِیْرُ الْاَرْضَ وَلَا تَسْقِی الْحَرْثَ ۚ— مُسَلَّمَةٌ لَّا شِیَةَ فِیْهَا ؕ— قَالُوا الْـٰٔنَ جِئْتَ بِالْحَقِّ ؕ— فَذَبَحُوْهَا وَمَا كَادُوْا یَفْعَلُوْنَ ۟۠

मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : अल्लाह तआला कहता है : वह गाय ऐसी है जो जुताई में काम करने और भूमि को सींचने के लिए सधाई हुई नहीं है, और वह दोषों से मुक्त है, तथा उसमें उसके पीले रंग के अलावा किसी और रंग का निशान नहीं है। तब उन्होंने कहा : अब तू सटीक विवरण के साथ आया है जो पूरी तरह से उस गाय का निर्धारण करता है। और उन्होंने उस गाय को ज़बह किया, जबकि वे वाद-विवाद और हठ के कारण क़रीब थे कि उसे ज़बह न करें। info
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72 : 2

وَاِذْ قَتَلْتُمْ نَفْسًا فَادّٰرَءْتُمْ فِیْهَا ؕ— وَاللّٰهُ مُخْرِجٌ مَّا كُنْتُمْ تَكْتُمُوْنَ ۟ۚ

तथा उस समय को याद करो, जब तुमने अपने ही में से एक व्यक्ति की हत्या कर दी, फिर आपस में लड़ने लगे। हर एक अपने आपको हत्या के आरोप से बचाने लगा और दूसरों पर आरोप धरने लगा, यहाँ तक कि तुम आपस में झगड़ बैठे। जबकि अल्लाह उस निर्दोष व्यक्ति की हत्या के मामले को प्रकाश में लाने वाला था, जिसे तुमे छिपा रहे थे। info
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73 : 2

فَقُلْنَا اضْرِبُوْهُ بِبَعْضِهَا ؕ— كَذٰلِكَ یُحْیِ اللّٰهُ الْمَوْتٰی وَیُرِیْكُمْ اٰیٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟

तो हमने तुमसे कहा : मरे हुए व्यक्ति के शरीर पर उस गाय के किसी भाग से मारो, जिसे तुम्हें ज़बह करने का आदेश दिया गया था। क्योंकि हत्यारा कौन है यह बताने के लिए अल्लाह उसे पुनर्जीवित करेगा! चुनाँचे उन्होंने वैसा ही किया और उसने अपने हत्यारे को बता दिया। और इस मरे हुए व्यक्ति को फिर से जीवित करने की तरह, अल्लाह क़ियामत के दिन मरे हुओं को पुनर्जीवित करेगा। अल्लाह तुम्हें अपनी शक्ति के स्पष्ट प्रमाण दिखाता है, ताकि तुम उन्हें समझो और अल्लाह पर सही मायने में विश्वास रखो। info
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74 : 2

ثُمَّ قَسَتْ قُلُوْبُكُمْ مِّنْ بَعْدِ ذٰلِكَ فَهِیَ كَالْحِجَارَةِ اَوْ اَشَدُّ قَسْوَةً ؕ— وَاِنَّ مِنَ الْحِجَارَةِ لَمَا یَتَفَجَّرُ مِنْهُ الْاَنْهٰرُ ؕ— وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا یَشَّقَّقُ فَیَخْرُجُ مِنْهُ الْمَآءُ ؕ— وَاِنَّ مِنْهَا لَمَا یَهْبِطُ مِنْ خَشْیَةِ اللّٰهِ ؕ— وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟

फिर इन दिल में उतरने वाले सदुपदेशों और स्पष्ट चमत्कारों के बाद भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए। यहाँ तक कि वे पत्थर की तरह, बल्कि उससे भी ज़्यादा सख़्त हो गए; क्योंकि ये अपने हाल में ज़रा भी परिवर्तन स्वीकार करने को तैयार नहीं, जबकि पत्थर परिवर्तित होते और स्थिति बदलते रहते हैं। चुनाँचे कुछ पत्थरों से नहरें फूट निकलती हैं और कुछ पत्थर फट जाते हैं और उनसे पानी के सोते निकल आते हैं, जिनसे इनसान और चौपाए लाभान्वित होते हैं, जबकि कुछ पत्थर अल्लाह के भय से पहाड़ों की ऊँचाइयों से गिर पड़ते हैं। परंतु तुम्हारे दिलों का हाल ऐसा नहीं है। तथा तुम जो कुछ कर रहे हो, अल्ल्लाह उससे से ग़ाफ़िल नहीं है। बल्कि वह उससे अवगत है और तुम्हें उसका बदला देगा। info
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75 : 2

اَفَتَطْمَعُوْنَ اَنْ یُّؤْمِنُوْا لَكُمْ وَقَدْ كَانَ فَرِیْقٌ مِّنْهُمْ یَسْمَعُوْنَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ یُحَرِّفُوْنَهٗ مِنْ بَعْدِ مَا عَقَلُوْهُ وَهُمْ یَعْلَمُوْنَ ۟

तो क्या - ऐ मोमिनो! - तुम यहूदियों की स्थिति की वास्तविकता और उनके हठ को जानने के बाद इस बात की आशा रखते हो कि वे ईमान ले आएँगे और तुम्हारी बात स्वीकार कर लेंगे?! जबकि उनके विद्वानों का एक समूह ऐसा रहा है, जो तौरात में उनपर उतरे हुए अल्लाह के वचनों को सुनते हैं; फिर वे उन्हें समझने और जानने के बाद उनके शब्दों और अर्थों को बदल देते हैं, जबकि वे अपने अपराध की गंभीरता को जानते हैं। info
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76 : 2

وَاِذَا لَقُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قَالُوْۤا اٰمَنَّا ۖۚ— وَاِذَا خَلَا بَعْضُهُمْ اِلٰی بَعْضٍ قَالُوْۤا اَتُحَدِّثُوْنَهُمْ بِمَا فَتَحَ اللّٰهُ عَلَیْكُمْ لِیُحَآجُّوْكُمْ بِهٖ عِنْدَ رَبِّكُمْ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟

यहूदियों के विरोधाभासों और छल में से यह (भी) है कि जब वे कुछ मोमिनों से मिलते हैं, तो उनके सामने पैग़ंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सत्यता और आपके संदेश की शुद्धता को स्वीकार करते हैं, जिसकी स्वयं तौरात भी गवाही देता है। लेकिन जब यहूदी एक-दूसरे के साथ अकेले होते हैं, तो वे इन स्वीकारोक्तियों के कारण एक-दूसरे को दोष देते हैं; क्योंकि मुसलमान उनकी पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सच्चाई की स्वीकृति को उनके खिलाफ सबूत बनाते हैं। info
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මෙ⁣ම පිටුවේ තිබෙන වැකිවල ප්‍රයෝජන:
• أن بعض قلوب العباد أشد قسوة من الحجارة الصلبة؛ فلا تلين لموعظة، ولا تَرِقُّ لذكرى.
• कुछ लोगों के दिल सख़्त पत्थर से भी ज़्यादा कठोर होते हैं; जो न किसी उपदेश से नर्म पड़ते हैं और न किसी नसीहत से प्रभावित होते हैं। info

• أن الدلائل والبينات - وإن عظمت - لا تنفع إن لم يكن القلب مستسلمًا خاشعًا لله.
• तर्क और निशानियाँ - भले ही बहुत बड़ी हों - किसी काम की नहीं हैं अगर दिल अल्लाह के अधीन और विनम्र नहीं है। info

• كشفت الآيات حقيقة ما انطوت عليه أنفس اليهود، حيث توارثوا الرعونة والخداع والتلاعب بالدين.
• इन आयतों ने यहूदियों के मन में जो कुछ भी था, उसकी वास्तविकता को प्रकट कर दिया है। क्योंकि तुच्छता (ओछापन), छल करना और धर्म के साथ खिलवाड़ करना उन्हें विरासत में मिला है। info