ශුද්ධවූ අල් කුර්ආන් අර්ථ කථනය - ශුද්ධ වූ අල්කුර්ආන් අර්ථ විවරණයේ සංෂිප්ත අනුවාදය - ඉන්දියානු පරිවර්තනය

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91 : 10

آٰلْـٰٔنَ وَقَدْ عَصَیْتَ قَبْلُ وَكُنْتَ مِنَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟

क्या तू जीवन से निराश होने के बाद अब ईमान ला रहा है?! हालाँकि (ऐ फ़िरऔन!) तू अल्लाह की यातना उतरने से पहले, उसका इनकार करके और उसके रास्ते से रोककर, अल्लाह की अवज्ञा करता रहा है और तू बिगाड़ पैदा करने वालों में से था, क्योंकि तू स्वयं पथभ्रष्ट था और दूसरों को भी पथभ्रष्ट करता था। info
التفاسير:
මෙ⁣ම පිටුවේ තිබෙන වැකිවල ප්‍රයෝජන:
• وجوب الثبات على الدين، وعدم اتباع سبيل المجرمين.
• धर्म पर मज़बूती से जमे रहने और अपराधियों के मार्ग पर न चलने की अनिवार्यता। info

• لا تُقْبل توبة من حَشْرَجَت روحه، أو عاين العذاب.
• जिसके प्राण निकल रहे हों, या जो यातना को अपनी आँखों से देख ले, उसकी तौबा स्वीकार नहीं की जाती है। info

• أن اليهود والنصارى كانوا يعلمون صفات النبي صلى الله عليه وسلم، لكن الكبر والعناد هو ما منعهم من الإيمان.
• यहूदी और ईसाई नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की विशेषताओं को जानते थे, परंतु अहंकार और हठ ने उन्हें ईमान लाने से रोक दिया। info