Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro bya Qur'an Ntagatifu mu rurimi rw'igihinde - Byasobanuwe na Azizul-Haqq Al-Umary.

अद्-दुख़ान

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1 : 44

حٰمٓ ۟ۚۛ

ह़ा, मीम। info
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2 : 44

وَالْكِتٰبِ الْمُبِیْنِ ۟ۙۛ

क़सम है स्पष्ट करने वाली पुस्तक की। info
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3 : 44

اِنَّاۤ اَنْزَلْنٰهُ فِیْ لَیْلَةٍ مُّبٰرَكَةٍ اِنَّا كُنَّا مُنْذِرِیْنَ ۟

निःसंदेह हमने इसे[1] एक बरकत वाली रात में उतारा है। निःसंदेह हम डराने वाले थे। info

1. बरकत वाली रात से अभिप्राय "लैलतुल क़द्र" है। यह रमज़ान के महीने के अंतिम दशक की एक विषम रात्रि होती है। यहाँ आगे बताया जा रहा है कि इसी रात्रि में पूरे वर्ष होने वाले विषय का निर्णय किया जाता है। इस शुभ रात की विशेषता तथा प्रधानता के लिए सूरतुल-क़द्र देखिए। इसी शुभ रात्रि में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर क़ुरआन उतरने का आरंभ हुआ। फिर 23 वर्षों तक आवश्यकतानुसार विभिन्न समय में उतरता रहा। (देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत संख्या : 185)

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4 : 44

فِیْهَا یُفْرَقُ كُلُّ اَمْرٍ حَكِیْمٍ ۟ۙ

इसी (रात) में प्रत्येक अटल मामले का निर्णय किया जाता है। info
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5 : 44

اَمْرًا مِّنْ عِنْدِنَا ؕ— اِنَّا كُنَّا مُرْسِلِیْنَ ۟ۚ

हमारी ओर से आदेश के कारण। निःसंदेह हम ही भेजने वाले थे। info
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6 : 44

رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ ؕ— اِنَّهٗ هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟ۙ

आपके पालनहार की दया के कारण। निश्चय वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है। info
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7 : 44

رَبِّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَیْنَهُمَا ۘ— اِنْ كُنْتُمْ مُّوْقِنِیْنَ ۟

जो आकाशों तथा धरती और उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों का पालनहार है, यदि तुम विश्वास करने वाले हो। info
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8 : 44

لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ ؕ— رَبُّكُمْ وَرَبُّ اٰبَآىِٕكُمُ الْاَوَّلِیْنَ ۟

उसके अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं। वही जीवित करता और मारता है। तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादाओं का पालनहार है। info
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9 : 44

بَلْ هُمْ فِیْ شَكٍّ یَّلْعَبُوْنَ ۟

बल्कि वे संदेह में पड़े खेल रहे हैं। info
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10 : 44

فَارْتَقِبْ یَوْمَ تَاْتِی السَّمَآءُ بِدُخَانٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ

तो आप उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब आकाश प्रत्यक्ष धुआँ[2] लाएगा। info

2. इस प्रत्यक्ष धुएँ तथा दुःखदायी यातना की व्याख्या सह़ीह़ ह़दीस में यह आयी है कि जब मक्कावासियों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कड़ा विरोध किया, तो आपने यह शाप दिया कि ऐ अल्लाह! उनपर सात वर्ष का अकाल भेज दे। और जब अकाल आया, तो भूख के कारण उन्हें धुआँ जैसा दिखाई देने लगा। तब उन्होंने आप से कहा कि आप अल्लाह से प्रार्थना कर दें। वह हमसे अकाल दूर कर देगा, तो हम ईमान ले आएँगे। और जब अकाल दूर हुआ तो फिर अपनी स्थिति पर लौट आए। फिर अल्लाह ने बद्र के युद्ध के दिन उनसे बदला लिया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4821, तथा सह़ीह़ मुस्लिम : 2798)

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11 : 44

یَّغْشَی النَّاسَ ؕ— هٰذَا عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟

जो लोगों को ढाँप लेगा। यह दुःखदायी यातना है। info
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12 : 44

رَبَّنَا اكْشِفْ عَنَّا الْعَذَابَ اِنَّا مُؤْمِنُوْنَ ۟

ऐ हमारे पालनहार! हमसे यह यातना दूर कर दे। निःसंदेह हम ईमान लाने वाले हैं। info
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13 : 44

اَنّٰی لَهُمُ الذِّكْرٰی وَقَدْ جَآءَهُمْ رَسُوْلٌ مُّبِیْنٌ ۟ۙ

उनके लिए नसीहत कहाँ? हालाँकि, निश्चित रूप से उनके पास स्पष्ट करने वाला रसूल आ चुका। info
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14 : 44

ثُمَّ تَوَلَّوْا عَنْهُ وَقَالُوْا مُعَلَّمٌ مَّجْنُوْنٌ ۟ۘ

फिर उन्होंने उससे मुँह फेर लिया और उन्होंने कहा : यह तो सिखाया हुआ है, यह पागल है। info
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15 : 44

اِنَّا كَاشِفُوا الْعَذَابِ قَلِیْلًا اِنَّكُمْ عَآىِٕدُوْنَ ۟ۘ

निःसंदेह हम इस यातना को थोड़ी देर के लिए दूर करने वाले हैं। (परंतु) निःसंदेह तुम फिर वही कुछ करने वाले हो। info
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16 : 44

یَوْمَ نَبْطِشُ الْبَطْشَةَ الْكُبْرٰی ۚ— اِنَّا مُنْتَقِمُوْنَ ۟

जिस दिन हम बड़ी पकड़[3] पकड़ेंगे, निःसंदेह हम बदला लेने वाले हैं। info

3. यह बड़ी पकड़ का दिन बद्र के युद्ध का दिन है। जिसमें उनके बड़े-बड़े सत्तर प्रमुख मारे गए तथा इतनी ही संख्या में बंदी बनाए गए। और उनकी दूसरी पकड़ क़ियामत के दिन होगी, जो इससे भी बड़ी और गंभीर होगी।

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17 : 44

وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَآءَهُمْ رَسُوْلٌ كَرِیْمٌ ۟ۙ

तथा निःसंदेह हमने इनसे पूर्व फ़िरऔन की जाति की परीक्षा ली तथा उनके पास एक अति सम्मानित रसूल आया। info
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18 : 44

اَنْ اَدُّوْۤا اِلَیَّ عِبَادَ اللّٰهِ ؕ— اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ

यह कि अल्लाह के बंदों को मेरे हवाले कर दो। निश्चय मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ। info
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