Ibisobanuro bya qoran ntagatifu - Ibisobanuro bya Qur'an Ntagatifu mu rurimi rw'igihinde - Byasobanuwe na Azizul-Haqq Al-Umary.

अल्-अम्बिया

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1 : 21

اِقْتَرَبَ لِلنَّاسِ حِسَابُهُمْ وَهُمْ فِیْ غَفْلَةٍ مُّعْرِضُوْنَ ۟ۚ

लोगों के लिए उनका हिसाब[1] बहुत निकट आ गया और वे बड़ी लापरवाही में मुँह फेरने वाले हैं। info

1. अर्थात प्रलय का समय, फिर भी लोग उससे अचेत माया मोह में लिप्त हैं।

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2 : 21

مَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ ذِكْرٍ مِّنْ رَّبِّهِمْ مُّحْدَثٍ اِلَّا اسْتَمَعُوْهُ وَهُمْ یَلْعَبُوْنَ ۟ۙ

उनके पालनहार की ओर से उनके पास कोई नया उपदेश[2] नहीं आता, परंतु वे उसे हँसी-खेल करते हुए बड़ी कठिनाई से सुनते हैं। info

2. अर्थात क़ुरआन की कोई आयत अवतरित होती है, तो उसमें चिंतन और विचार नहीं करते।

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3 : 21

لَاهِیَةً قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاَسَرُّوا النَّجْوَی ۖۗ— الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ۖۗ— هَلْ هٰذَاۤ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ ۚ— اَفَتَاْتُوْنَ السِّحْرَ وَاَنْتُمْ تُبْصِرُوْنَ ۟

उनके दिल पूरी तरह ग़ाफ़िल होते हैं। और उन लोगों ने चुपके-चुपके कानाफूसी की जिन्होंने अत्याचार किया था, कि यह (नबी) तो तुम्हारे ही जैसा एक इनसान है, तो क्या तुम जादू के पास आते हो, हालाँकि तुम देख रहे हो?[3] info

3. अर्थात यह कि वह तुम्हारे जैसा मनुष्य है। अतः इसका जो भी प्रभाव है, वह जादू के कारण है।

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4 : 21

قٰلَ رَبِّیْ یَعْلَمُ الْقَوْلَ فِی السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ ؗ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟

उस (रसूल) ने कहा : मेरा पालनहार आकाश और धरती की हर बात को जानता है और वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है। info
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5 : 21

بَلْ قَالُوْۤا اَضْغَاثُ اَحْلَامٍ بَلِ افْتَرٰىهُ بَلْ هُوَ شَاعِرٌ ۖۚ— فَلْیَاْتِنَا بِاٰیَةٍ كَمَاۤ اُرْسِلَ الْاَوَّلُوْنَ ۟

बल्कि उन्होंने (क़ुरआन के बारे में) कहा : यह[4] सपनों की उलझी हुई बातें हैं, बल्कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है, बल्कि वह कवि है! अतः उसे चाहिए कि हमारे पास कोई निशानी लाए, जैसे पहले के रसूल (निशानियों के साथ) भेजे गए थे। info

4. अर्थात क़ुरआन की आयतें।

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6 : 21

مَاۤ اٰمَنَتْ قَبْلَهُمْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَهْلَكْنٰهَا ۚ— اَفَهُمْ یُؤْمِنُوْنَ ۟

इनसे पहले कोई बस्ती, जिसे हमने विनष्ट किया, ईमान[5] नहीं लाई। तो क्या ये ईमान ले आएँगे? info

5. अर्थात निशानियाँ देख कर भी ईमान नहीं लाई।

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7 : 21

وَمَاۤ اَرْسَلْنَا قَبْلَكَ اِلَّا رِجَالًا نُّوْحِیْۤ اِلَیْهِمْ فَسْـَٔلُوْۤا اَهْلَ الذِّكْرِ اِنْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ۟

और (ऐ नबी!) हमने आपसे पहले पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजे, जिनकी ओर हम वह़्य (प्रकाशना) करते थे। अतः तुम ज़िक्र (किताब) वालों[6] से पूछ लो, यदि तुम (स्वयं) नहीं जानते हो। info

6. अर्थात पिछली आकाशीय पुस्तकों के ज्ञानियों से।

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8 : 21

وَمَا جَعَلْنٰهُمْ جَسَدًا لَّا یَاْكُلُوْنَ الطَّعَامَ وَمَا كَانُوْا خٰلِدِیْنَ ۟

तथा हमने उन्हें ऐसे शरीर (वाले) नहीं बनाए थे, जो खाना न खाते हों और न वे हमेशा रहने वाले थे।[7] info

7. अर्थात उनमें मनुष्य ही की सब विशेषताएँ थीं।

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9 : 21

ثُمَّ صَدَقْنٰهُمُ الْوَعْدَ فَاَنْجَیْنٰهُمْ وَمَنْ نَّشَآءُ وَاَهْلَكْنَا الْمُسْرِفِیْنَ ۟

फिर हमने उनसे किए हुए वादे को सच कर दिखाया। तो हमने उन्हें बचा लिया और उसे भी जिसे हम चाहते थे। और हमने हद से बढ़ने वालों को नष्ट कर दिया। info
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10 : 21

لَقَدْ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكُمْ كِتٰبًا فِیْهِ ذِكْرُكُمْ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟۠

निःसंदेह हमने तुम्हारी ओर एक किताब (क़ुरआन) उतारी है, जिसमें तुम्हारा सम्मान है। तो क्या तुम नहीं समझते? info
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